RE: kamukta औरत का सबसे मंहगा गहना
अब तो मेरा भी हाथ उनके सख्त मूसल से लिंग को सहलाने लगा था, साथ ही मेरे जिस्म का हर अंग उनके चुम्बन से सराबोर हो रहा था। मेरी योनि तो कब से उसके लिंग के लिए मरी जा रही थी और अब अपनी सल्तनत लुटाने का वक्त भी आ ही गया।
सुधीर मेरे पैरों की तरफ घुटनों के बल बैठ गए और उन्होंने मेरे दोनों पैरों को फैला कर मेरी योनि को बड़े प्यार से सहलाया.. मैं तड़प उठी।
फिर उन्होंने मेरी योनि पर एक चुम्बन अंकित किया, मेरे शरीर के रोयें खड़े हो गए और फिर वे अपने लिंग महाराज को मेरी योनि के मुहाने पर टिका कर मुझ पर झुक गए।
उन्होंने थोड़ी ताकत लगाई और अपना लगभग आधा लिंग मेरी योनि की दीवारों से रगड़ते हुए, मेरी झिल्ली को फाड़ते हुए अन्दर पेवस्त करा दिया।
मैं दर्द के मारे बिलबिला उठी और छूटने की नाकाम कोशिश करने लगी। पर वो तो मुझ पर किसी शेर की तरह झपट्टा मारने लगे, उन्होंने मेरे उरोजों को दबाते हुए एक और जोर का झटका दिया और अपने लिंग को जड़ तक मेरी योनि में बिठा दिया।
मैं रो पड़ी पर उसे कहाँ कोई फर्क पड़ना था, उन्होंने हंसते हुए कहा- क्यों जानेमन.. अब हुई ना सल्तनत फतह?
मैंने मरी सी आवाज में कहा- हाँ हो तो गई.. पर जंग में तो मेरा ही खून बहा है ना, आपको क्या फर्क पड़ना है।
उनका जवाब था कि जंग में तो खून-खराबा आम बात है.. अब सिर्फ लड़ाई का मजा लो!
यह कहते हुए उन्होंने फिर एक बार अपना पूरा लिंग ‘पक्क.. की आवाज के साथ बाहर खींच लिया। किसी बड़े मशरूम की तरह दिखने वाला लिंग का अग्र भाग मेरी योनि से बाहर आ गया.. मुझे बड़ा मजा आया।
फिर उन्होंने मेरी योनि को अपने लिंग के अग्र भाग से सहलाया और एक ही बार में अपना तना हुआ लिंग मेरी योनि की जड़ तक बिठा दिया। इस अप्रत्याशित प्रहार से मैं लगभग बेहोश सी हो गई, पर कमरा ‘आहह ऊहह..’ की आवाजों से गूंज उठा।
जब मैं थोड़ी संयत हुई.. तब एक लम्बे दौर की घमासान पलंगतोड़ कामक्रीड़ा के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए और एक दूसरे से चिपक कर यूं ही लेटे-लेटे कब नींद आ गई.. पता नहीं चला।
किमी ने आगे बताना शुरू किया- मैं रात भर की कामक्रीड़ा के बाद ऐसे ही सो गई थी और जब सुबह ‘खट’ की आवाज के साथ दरवाजा खुला, उसी के साथ ही मेरी नींद भी खुल गई।
मैंने देखा सामने सुधीर खड़े थे, मैं चौंक गई क्योंकि सुधीर तो मेरे साथ थे, पर वो दरवाजे से कैसे आ रहे हैं।
उहहह.. मुझे अब होश आया कि बीती रात मेरे साथ कुछ भी नहीं हुआ, असल में मैंने रात भर अपने सुहागरात के सपने देखे हैं। वास्तव में मेरी सुहागरात तो कोरी ही रह गई।
मैंने अकचका कर सुधीर से पूछा- आप रात भर नहीं आए..! और मैं भी आपका इंतजार करते करते सो गई थी।
उनका मुंह खुलते ही दारू की बदबू आई, उन्होंने कहा- वो दोस्तों के साथ कब रात बीत गई.. पता ही नहीं चला!
मैंने ‘कोई बात नहीं..’ कहते हुए उन्हें बिस्तर में लिटाया और सुला कर घर के काम-काज में लग गई।
इसी तरह की दिनचर्या चलने लगी थी, मैंने समझदारी से कुछ दिनों में अपने पति को छोड़कर घर के सभी सदस्यों को खुश कर लिया, सुधीर कभी रात को घर आते थे और कभी नहीं भी आते थे और तीन महीने बाद भी मेरी असली सुहागरात का वक्त नहीं आया था।
एक दिन काम करते करते जेठानी ने मजाक किया- क्यों देवरानी, फूल कब खिला रही हो?
मैंने भी गुस्से में कह दिया- गमले में आज तक पानी की बूंद नहीं पड़ी और आप फूल की बात करती हो?
जेठानी मेरी बात को झट से समझ गई, उसने कहा- फिर तो गमला प्यासा होगा, तू कहे तो मैं कुछ मदद करूं?
मैंने कहा- आप मेरी मदद कैसे करोगी?
उसने कहा- गाजर, मूली, बेलन ये सब कब काम आएंगे, तू कहे तो हम दोनों मजे ले सकते हैं।
मैं पढ़ी-लिखी लड़की थी.. मुझे ये सब बातें बकवास लगीं.. मैं भड़क उठी, तो जेठानी ने झेंप कर कहा- मैंने कोई जबरदस्ती तो नहीं की है, जब तुम्हारा मन हो मुझे बता देना!
मैं वहाँ से उठ गई और आगे इस बारे में हमारी बात भी नहीं हुई।
अब रोज रात मुझे रतिक्रिया के सपने आने लगे, मैं भले ही पढ़ी-लिखी लड़की थी, पर तन की जरूरतों के आगे किसका बस चलता है!
मेरी भी हालत ऐसी ही होने लगी।
एक रात को सपने देखते-देखते मैं अपनी योनि को सहलाने लगी और थोड़ी ही देर में मेरी योनि भट्टी की तरह गर्म हो गई। मैंने क्रमशः एक, फिर दूसरी उंगली योनि में डाल ली, पर मेरी वासना शांत होने के बजाए और भड़क उठी। अब मुझे जेठानी की बातें याद आने लगीं, फिर मैं चुपके से रसोई में जाकर एक गाजर उठा आई, पहले तो गाजर को थूक से गीला किया और योनि के ऊपर रगड़ने लगी। इसी के साथ मैं अपने दूसरे हाथ से अपने उरोज को सहला रही थी।
अब मेरी योनि लिंग मांग रही थी, तो मैंने गाजर के मोटे भाग को योनि के अन्दर प्रवेश कराना चाहा, जो तीन इंच मोटा होगा, उसकी लंबाई भी बहुत थी.. पर पतली होने के क्रम में थी।
गाजर को योनि में डालते हुए दर्द के मारे मेरी जान निकल रही थी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… पर गाजर अन्दर नहीं गई, तो मैंने दर्द को सहने के लिए अपने दांतों को जकड़ लिया और एक जोर का धक्का दे दिया। इससे गाजर मेरी योनि में तीन इंच अन्दर तक घुस गई और योनि से खून की धार बह निकली।
मेरी आँखों में आँसू आ गए, मैं डर गई.. मैंने अपनी सील खुद ही तोड़ी थी, पर अभी मेरा इम्तिहान बाकी था।
अब मेरे सर से सेक्स का भूत उतर गया था, मैंने गाजर को निकालने के लिए उसे वापस खींची.. लेकिन गाजर टस से मस नहीं हुई।
फिर मैंने सोचा थोड़ा हिला डुला कर खींचती हूँ। मैंने इतनी तकलीफ के बावजूद गाजर को हिलाने के लिए उसे और अन्दर धकेली और फिर बाहर खींचने लगी, मेरी तो जान ही निकल गई, फिर भी गाजर को निकालना तो जरूरी था।
मेरे जोर लगाने से गाजर बीच से टूट गई… हाय राम.. ये क्या हो गया.. अब मैं क्या करूँ! गाजर का बहुत छोटा सा भाग लगभग डेढ़ इंच ही बाहर दिख रहा था। अब मुझसे गाजर निकालते भी नहीं बन रही थी और दर्द के मारे मेरी हालत और खराब हो रही थी।
अब मुझे बदनामी से लेकर दर्द खून और सभी चीजों की चिन्ता सताने लगी।
ऐसी हालत में अब मेरे पास जेठानी के पास जाने के अलावा कोई चारा नहीं था। ऐसे भी मैंने पूरे कपड़े तो उतारे नहीं थे सिर्फ पेंटी उतारी थी और साड़ी ऊपर करके मजे लेने में लगी थी, सो मैंने तुरंत साड़ी को नीचे किया और लंगड़ा कर चलती हुई जेठानी के कमरे के बाहर जाकर उसे आवाज लगाई।
फिर उसे बुला कर अपने कमरे में लाई और झिझकते हुए उसे अपनी साड़ी उठा कर अपनी योनि दिखाई और पूरी कहानी बताई।
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