Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
08-11-2018, 02:28 PM,
RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
बार टेंडर से विमल दोस्ती गाँठ चुका था और उसने सुनीता को विमल के साथ देखा था, उसने चुपके से विमल के कमरे का नंबर मिलाया – विमल को थोड़ी ही देर हुई थी कामया को अच्छी तरहा संतुष्ट करने में और वो लगभग सोने की ओर था की रूम का फोन बज गया – गालियाँ देते हुए विमल ने फोन उठाया और जो उसने सुना – उसके कान खड़े हो गये- नींद काफूर हो गई – मासी बार में बैठी वाइन पी रही थी और वहाँ के लोगो का निशाना बनी हुई थी. उसने बार टेंडर को थॅंक्स बोला और फटाफट अपने कपड़े पहने. कामया को तो कोई होश ही नही था.

कमरे से बाहर आ कर सुनीता नीचे लॉबी में उतर गई, बार बस बंद होने वाला था और वो बार में घुस गई एक वाइन की बॉटल का ऑर्डर दे डाला और वहीं पीने बैठ गई.
बार के सारे लॅफंडर उसे ही घूर घूर के देख रहे थे.

बार टेंडर से विमल दोस्ती गाँठ चुका था और उसने सुनीता को विमल के साथ देखा था, उसने चुपके से विमल के कमरे का नंबर मिलाया – विमल को थोड़ी ही देर हुई थी कामया को अच्छी तरहा संतुष्ट करने में और वो लगभग सोने की ओर था कि रूम का फोन बज गया – गालियाँ देते हुए विमल ने फोन उठाया और जो उसने सुना – उसके कान खड़े हो गये- नींद काफूर हो गई – मासी बार में बैठी वाइन पी रही थी और वहाँ के लोगो का निशाना बनी हुई थी. उसने बार टेंडर को थॅंक्स बोला और फटाफट अपने कपड़े पहने. कामया को तो कोई होश ही नही था.

विमल फटा फट बार में पहुँचता है और देखता है की कितने ही नशेड़ी सुनीता को ऐसे घूर रहे थे कि अभी रेप कर डालेंगे. अपने गुस्से को काबू में रखते हुए वो टेबल के पास पहुँचता है लेकिन जाने से पहले वो गर्देन हिला कर बारमेन की तरफ देखता है उसका शुक्रिया करने की खातिर, और सीधा टेबल पे जा कर सुनीता के सामने जा के बैठ जाता है.
अपने आप को रोक नही पाता और पूछ लेता है

‘आप यहाँ इस वक़्त – महॉल देख रही हो?’

सुनीता बड़ी मुस्किल से अपने आँसू रोकती है.

‘तू आ गया- पर क्यूँ?’
इस एक सवाल के पीछे कई सवाल छुपे हुए थे.
विमल की अंतरात्मा तक कांप जाती है.

ये चूत और लंड का रिश्ता नही था – ये खून का रिश्ता था जिसे सिर्फ़ तीन लोग जानते थे – सुनीता खुद और कामया और रमेश जिसने इसे अंजाम दिया था.

‘माँ’ बोलता बोलता विमल रुक जाता है और सुनीता को ऐसा लगता है जैसे विमल ने उसे 'माँ' कह के पुकारा हो.

‘बोल ना – फिर एक बार बोल’

अब विमल के कान , नाक, दिमाग़ सब खड़े हो जाते हैं.

वो मासी बोलता बोलता माँ तक रुक गया था -क्यूंकी सुनीता की ये हालत देख कर बहुत भावुक हो गया था.

और सुनीता को ऐसा लगा कि उसने उसे “माँ” कह के पुकारा हो.

विमल बात को पलट ता है – ‘ प्लीज़ चलो यहाँ से’

‘तूने फिर नही बोला………….’

सुनीता की आँखों से आँसू बहने लगते हैं – और वो इस कगार पे पहुच चुकी थी कि उसकी रुलाई रोके ना रुकती, विमल ये भाँप गया और उठ के सुनीता को कंधा देते हुए उठाया और सिर्फ़ इतना बोला ‘ कमरे में बात करेंगे’

जैसे ही विमल ने उसे छूआ सुनीता को चैन मिल गया – उसके बहने वाले आँसू रुक गये- उसकी ज़ुबान का लड़खड़ाना रुक गया – मानो जैसे कोई शक्ति उसके अंदर प्रवाहित कर गई हो वरना बियर और उसके उपर वाइन की जो घमासान कॉकटेल युद्ध होती है पेट के अंदर जो सीधे दिमाग़ तक पहुँचती है उसको बड़े बड़े पियाक्कड़ नही झेल पाते.

विमल सुनीता को अपने कमरे में ले गया, जहाँ कामया अपनी चुदाई की सुखद अनुभूति में नग्न बिस्तर पे सो रही थी. आज उसे इतना आनंद मिला था कि अगर नगाड़े भी बजते तब भी उसकी आँख जल्दी नही खुलती.

कमरे में पहुँच कर विमल दरवाजा अंदर से बंद करता है और सुनीता को ले कर सोफे पे बैठ जाता है. वाइन की आधी बॉटल वो साथ ले आया था.
विमल : क्या हुआ है अब बताओ?

सुनीता : तुझे नही मालूम?

विमल : कुछ कुछ लेकिन आपके मुँह से सुनना चाहता हूँ.

सुनीता : मैं तेरे बिना अब जी नही पाउन्गि.

विमल : आपके पास ही तो हूँ – आपका ही हूँ – फिर ये ख़याल क्यूँ – मैं कौन सा आपको छोड़ के कहीं जा रहा हूँ. एक आवाज़ देना और मैं आपकी बाँहों में समा जाउन्गा.

सुनीता : तू समझता क्यूँ नही – मेरा दिल – मेरी आत्मा – मेरा जिस्म- सब तेरा हो चुका है – अब मैं वापस नही जा सकती – मैं रमण से कोई रिश्ता नही रखना चाहती – मैं बस सिर्फ़ तेरी बन के रहना चाहती हूँ.

विमल हैरानी से सुनीता को देखने लगा – उसे लगा ये वक़्ती जनुन है – जो शायद ज़्यादा पीने की वजह से हो रहा है – वो ये नही समझ पाया – कि सुनीता वाकई में अपने दिल की बात बोल रही है

सुनीता : विमू – लव मी 

और विमल सुनीता को अपनी बाँहों में ले कर उसके होंठों पे अपने होंठ रख देता है. विमल के लिए ये सिर्फ़ जिस्म की प्यास बुझाने का एक और रास्ता था पर सुनीता ने जिस्म की प्यास नही अपनी तपती हुई बरसों से तड़पति हुई ममता की प्यास बुझाई थी – वो प्यास भुजाते बुझते ऐसे मुकाम पे पहुँच गई थी कि अब वो सिर्फ़ अपने विमू की हो कर रहना चाहती थी – उसे हर वक़्त अपने सीने से चिपका के रखना चाहती थी – उसके लंड को अपनी चूत में रखना चाहती थी- वो फिर से अपने मम्मो में दूध भर के विमू को पिलाना चाहती थी – वो फिर से एक बार और एक बच्चे को जनम देना चाहती थी – वो बच्चा उसके विमू का होगा – उसके विमू का – और ये बात वो विमल से करना चाहती थी – पर अभी उसमे इतनी हिम्मत नही आई थी कि खुल के अपने दिल के बात विमल से कर सके.
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