Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
08-11-2018, 02:20 PM,
RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
जहाँ रमेश के प्यार करने के तरीके में एक पागलपन था, वहीं विमल से कामशाश्त्र का प्रखंड पंडित लग रहा था. अब तक तो रमेश से चोद कर सो जाता, पर विमल तो इतनी देर से सिर्फ़ होंठों के रस को ही प्राथमिकता देता रहा था, अब भी उसके हाथ उसके उरोजो से दूर थे, और वो अंदर ही अंदर तड़प रही थी कि कब वो उसके उरोजो पे ध्यान देगा.

कहाँ वो विमल को अपने जिस्म का गुलाम बनाने आइी थी, कहाँ वो उसकी गुलाम बनती जेया रही थी.


ऊऊओह ववववववीीईईईईईईईइइम्म्म्ममममम्मूऊऊुुउउ
कहाँ था तू अब तक. लव मी सन, लव मी 
उूउउम्म्म्ममममममममम आआआआअहह

कामया की सिसकियाँ ज़ोर पकड़ रही थी, वो अपने आप में नही थी, बस जल्द से जल्द विमल को अपने अंदर समेटना चाहती थी, पर विमल था कि धीरे धीरे उसके हर अहसास हर कामना और हर छुपी हुई इच्छा को बाहर निकाल रहा था.
दूर नैनी लेक में चाँद का प्रतिबिंब अपनी ही क्रीड़ा कर रहा था

किसी कवि ने कहा है


चारु चंद्र की चंचल किरणें,
खेल रहीं थीं जल थल में।
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई थी,
अवनि और अम्बर तल में।
पुलक प्रकट करती थी धरती,
हरित तृणों की नोकों से।
मानो झूम रहे हों तरु भी,
मन्द पवन के झोंकों से।

कुछ ऐसी ही दशा थी इस वक़्त कामया की.
बिना उसकी चूत को हाथ लगाए, बिना उसके उरोज़ को छुए, विमल उसे उन वादियों में ले जाता है, कि वो खुद को एक चंद्र किरण महसूस करने लगती है जो नैनी झील की सतह पे अठखेलियाँ कर रही हो.

कामया को पता ही नही चलता कब विमल उसकी लिंगेरी को उतार देता है, और वो मात्र पैंटी में उसकी बाहों में छुई मुई की तरहा लरजती जा रही थी.

जब विमल के होंठ उसके निपल को छूते हैं 

आआआआआआअहह

यूँ लगता है जैसे घनघोर गर्जना हो रही हो और कामया की चूत अपने अंदर से एक उफ्फनति हुई नदी के बाँध को रास्ता दिखा देती है.

इतना भयंकर ओर्गसम वो भी बिना चुदे.

कामया लग भग बेहोश हो कर लहराने लगती है की विमल उसे अपनी बाहों में जाकड़ लेता है और उसे उस सैलाब से गुजरने देता है जिसकी रचना सिर्फ़ और सिर्फ़ उसके दिल में बसे कामया के प्रेम ने की थी.

कामया धीरे धीरे होश में आती है, उसे लगभग आधा घंटा लग जाता है उस आनंद को महसूस करने में उसे अपने अंदर समेटने में जो विमल ने उसे दिया था, उसकी पैंटी इतनी गीली हो चुकी थी कि पहन कर रखना असंभव हो गया था, उसकी चूत से इतना रस बहा था कि टाँगों से होता हुआ नीचे फर्श पे फैल गया था .

कामया के जिस्म में अभी भी थरथराहट थी. वो प्यार भरी नज़रों से विमल को देखती ही जा रही थी और विमल अपनी आँखें बंद किए बस उसे सीने से लिपटाये खड़ा था. जब कामया के जिस्म में हरकत शुरू ही तो विमल ने अपनी आँखें खोल कर उसकी तरफ देखा कामया की नज़रों में बस प्यार ही प्यार भरा हुआ था.

विमल उसके चेहरे पे झुक कर उसकी आँखों को चूमता है और नीचे झुक कर उसकी गीली पैंटी उसके जिस्म से अलग कर देता है. अब कामया पूरी तरहा से नग्न उसकी बाँहों में थी. कामया की सफाचाट चूत कुलबुलाती हुई उसे अपनी ओर खींच रही थी, पर उसके मन में अभी कुछ और था.
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