Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
08-11-2018, 02:20 PM,
RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
दूर सामने नैनी लेक दिख रही थी, आसमान बिल्कुल सॉफ था और तारे टिमटिमा रहे थे, पहाड़ों की ठंडी ठंडी हवा चल रही थी.
कामया सिहर उठती है कि कहीं कोई दूसरे कमरे का शक़्स देख ना ले, कहीं रमेश अपने कमरे की लॉबी में ना आ जाए. डर के मारे उसे पसीना आने लगता है, वो इल्तिजा भरी नज़रों से विमल को देखती है.

विमल उसे अपने और करीब लाता है और उसके कान में फुसफुसाता है.

‘मुझ पे भरोसा रखो, डरो मत, इस समाँ का लुत्फ़ उठाओ’

चाहे कामया उसके साथ चुदवाने का मन बना के आई थी, फिर भी नारी लज्जा हमेशा आड़े आती ही रहती है और शर्म से उसका चेहरा नीचे झुक जाता है.

अब विमल वो खेल शुरू करता है जो पहले कामया ने किया था.
वो अपने मुँह में वाइन भर लेता है और बॉटल लोब्बली में पड़ी टेबल पे रख कर कामया को अपनी बाँहों में ले कर उसके लबों पे अपने लब रख देता है.

कामया का जिस्म रोमांच से भर उठता है,खुले आसमान के नीचे यूँ इस तरह किसी की बाँहों में चूमे जाना वो पहली बार महसूस कर रही थी. और चूमने वाला कोई और नही उसका बेटा था ये सच्चाई और भी उसके जिस्म की संवेदना को बढ़ा रही थी.

जैसे ही विमल के होंठ उसके होंठों को छूते हैं उसके होंठ खुल जाते हैं और फिर शुरू होता है लंबा किस जिसमे वो एक दूसरे के मुँह में वाइन उडेलते रहते हैं और फिर पी जाते हैं.

विमल के साथ इतना रोमांच आएगा, कामया ने कभी कल्पना ही नही करी थी, और आज वो पछता रही थी, कि क्यूँ उसने ये सुख पहले नही उठाया.

कामया को यूँ महसूस हो रहा था जैसे विमल उसकी भावनाओं को एक बंद गुलाब की तरहा धीरे धीरे खोल रहा हो, उसके जिस्म का रोया रोया विमल से प्यार करने लगा था. कहीं कोई उत्तावलापन नही था, बिल्कुल एक ठहरे हुए इंसान की तरहा विमल कामया के जिस्म में तरंगों की बरसात कर रहा था, जिसकी वजह से कामया की चूत ने मचलना शुरू कर दिया था.
एक घंटे तक दोनो का यही खेल चलता रहता है और वाइन की बॉटल ख़तम हो जाती है.

विमल अब उसके होंठ छोड़ कर उसकी गर्दन को चाटने और चूमने लगता है और कामया उसके साथ चिपकती चली जाती है. विमल अपनी ज़ुबान उसके गले से फेरते हुए उसके उरोजो की घाटी में ले आता है.

ऊऊऊऊहह वीीईईईईईईईईइइम्म्म्ममममम्मूऊऊुउउ

कामया ज़ोर से सिसक पड़ती है, उसका सारा डर गायब हो चुका था, रह जाता है तो बस वो अहसास जो विमल की ज़ुबान उसके जिस्म को दे रही थी.

विमल उसके जिस्म की एक एक तार को छेड़ रहा था, कामया को ऐसा लग रहा था जैसे उसके जिस्म में संगीत बज रहा हो.

इतना आनंद , इतना सुख उसने अपने पूरे जीवन में महसूस नही किया था. वो रमेश और विमल के प्यार करने के बीच तुलना करने लगती है.
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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास - by sexstories - 08-11-2018, 02:20 PM

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