Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
08-11-2018, 02:18 PM,
RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
उस रात सुनीता ऋतु के साथ ही सोई. अपनी माँ की वो बेइज़्ज़ती ऋतु भूली नही थी. अब वक़्त आ गया था वो बदला लेने के लिए. चूत के आशिक़ को चूत का गुलाम बनाने के लिए.
जिस्म की प्यास मिटाने के साथ साथ ऋतु के दिल में छुपी हुई नफ़रत भी अपना खेल खेलने लगी .

जब रमण ने उसका सारा जिस्म अपने वीर्य को चाट कर सॉफ कर दिया तो ऋतु बिस्तर से उठ के खड़ी हो गई, वो इतना झाड़ चुकी थी की बिना चुदाई के मूत का प्रेशर बन गया था.

इठलाती हुई गान्ड मटकाती हुई वो कमरे में बने बाथरूम की तरफ बढ़ती है और रमण को पीछे आने का इशारा करती है.

रमण उसके पीछे जाता है ये सोच कर की वाइन की वजह से वो दोनो साथ साथ नहाएँगे और जिस्मो को सॉफ करेंगे.
पर ऋतु का मक़सद कुछ और ही था. रवि के साथ जब उसका मूत निकला था वो उत्तेजना की चरम सीमा पे थी.

पर रमण को वो जॅलील करना चाहती थी.

बाथरूम में घुस कर वो शवर ऑन करती है और नीचे खड़ी हो जाती है. रमण जैसे ही अंदर घुसता है वो शवर हल्का कर देती है और रमण को इशारे से ज़मीन पे लेटने को बोलती है. 

रमण जैसे ही नीचे लटता है वो उसके उपर चढ़ जाती है और अपनी चूत बिल्कुल उसके मुँह पे रख देती है.

‘मेरी चूत बहुत अच्छी लगती है ना, चलो अपना मुँह खोलो, आज मेरी चूत का अमृत पीना.’

रमण अपना मुँह खोलता है और ऋतु का बाँध जो उसने मुश्किल से रोका हुआ था टूट जाता है और उसका मूत रमण के मुँह में गिरने लगता है.

रमण घबरा जाता है, वो उठने की कोशिश करता है तो ऋतु उसे झड़क देती है.

‘पी ना बेटीचोद, मज़ा आएगा, अब से रोज तुझे अपना अमृत पिलाउन्गि, पिएगा ना’

मरता क्या ना करता रमण उसका मूत पीने लगता है. ऋतु की चूत की चाहत में वो अंदर ही अंदर टूटता सा जा रहा था.ऋतु उसके पोरुश की धज्जियाँ दा रही थी, और वो बेबस हो के रह जाता है.

अपना मूत उसे पिलाने के बाद ऋतु उसे शवर के नीचे खड़ा करती है और अपना बदन उसके बदन से रगड़ने लगती है.

‘क्यूँ बेटीचॉड, मज़ा आया ना, मेरा अमृत पी कर’

ऋतु ने पापा की जगह रमण को बेटीचोद बुलाना शुरू कर दिया था. रमण को बहुत बुरा लग रहा था पर वो चुप रह जाता है. वो ऋतु को नाराज़ नही करना चाहता था.

‘बोल ना, मज़ा आया या नही’

‘हां’

‘गुड, चलो अब आपके इनाम की बारी है’ कह कर ऋतु घुटनो के बल बैठ जाती है और रमण के लंड को मुँह में भर के चूसने लगती है. 

अहह ऋतु के नर्म मुँह का अहसास अपने लंड पे पा कर रमण सिसक पड़ता है.
शवर का गिरता हुआ पानी रमण के लंड से होता हुआ ऋतु के मुँह में जा रहा था,
ऋतु थोड़ा पीछे हट ती है और रमण की गान्ड को अपनी और धकेल कर उसे शवर से बाहर करती है. अब ऋतु को पानी का नही रमण के लंड का स्वाद मिल रहा था.

थोड़ी देर रमण के लंड को चूसने के बाद, वो रमण के आँड को मुँह में भर लेती है और ज़ोर से चूसने लगती है.

रमण दर्द से तड़प्ता है, उस दर्द में भी उसे मज़ा मिल रहा था. 

ऋतु उसके दूसरे आँड को मुँह में भर के चुस्ती है और रमण बिलबिला उठता है, उसके अंडकोष में हलचल मचने लगती है, और जब ऋतु उसके सुपाडे को अपने नाकुन से कुरेदने लगी तो रमण ने छूटने की कोशिश करी, पर उसके मुँह में फसे अपने आँड को नही निकाल पाया.

उसके जिस्म में उत्तेजना की लहरें तीव्र गति से उठ रही थी, ईस्वक़्त वो अपना लंड ऋतु की चूत में डालना चाहता था, पर ऋतु उसे कोई मोका नही दे रही थी. वो उसके लंड पे उपर से नीचे तक अपने नाख़ून फेरने लगती है और उसके आँड को और भी ज़ोर से चूसने लगती है.

आआआअहह गगगगगगगगगगूऊऊऊऊद्द्द्द्द्द्दद्ड

चीखता हुआ रमण झड़ने लगता है और ऋतु फिर से उसकी पिचकारी अपने उरोज़ पे लेती है और जैसे ही रमण की आखरी बूँद भी उसके उरोज़ पे गिर जाती है, रमण रेत के टीले की तरहा भरभराता हुआ फर्श पे बैठ जाता है.

तडपा तडपा कर ऋतु ने उसे दो बार झाड़ा दिया था.

रमण जैसे ही नीचे बैठता है ऋतु उसके पास जा कर अपने उरोज़ उसके मुँह के आगे कर देती है और रमण एक बार फिर से अपने वीर्य को चाटने लगता है.

इस खेल में ऋतु की उत्तेजना भी काफ़ी बढ़ गई थी और अब उसे अपनी चूत में लंड चाहिए था. 

ऋतु रमण को खींच कर शवर के नीचे खड़ा करती है और खुद उस के साथ चिपक कर उसके होंठ चूसने लगती है, साथ ही साथ वो रमण के लंड को सहलाने लगती है जो फिर अपने रूप में आने लगता है.

‘जानू मज़ा आया ना’

‘इतना मज़ा तो तेरी माँ ने भी कभी नही दिया’

‘देखते जाओ कितना मज़ा देती हूँ तुम्हें’

रमण का लंड फिर खड़ा हो चुका था और ऋतु की चूत भी बहुत रस बहा रही थी. वॉशबेसिन का सहारा ले कर ऋतु झुक जाती है और अपनी गान्ड रमण की तरफ कर देती है.

रमण पीछे से उसकी चूत चाट ता है और खड़ा हो कर अपना लंड उसकी चूत में फसा कर ज़ोर का धक्का मारता है और अपना आधा लंड एक बार में ही उसकी चूत में घुसा देता है. 

आआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई आराम से 

ऋतु चीख पड़ती है, पर रमण पे अब भूत सवार हो चुका था. वो ऋतु की कमर पकड़ कर एक झटका और मारता है और पूरा लंड उसकी चूत में पेल देता है.

ऊऊऊऊऊम्म्म्ममममममममाआआआआआआ
ऋतु ज़ोर से चीखती है.

रमण अब उसके उपर झुक कर उसके दोनो उरोज़ पकड़ के भिचता है और सटा सॅट अपना लंड उसकी चूत में पेलने लगता है.

अहह ऊऊहह उूउउफफफ्फ़ उउउम्म्म्मम

ऋतु सिसकती रहती है और रमण उसे चोदने में मस्त हो जाता है.
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