RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
थका सा, टूटा सा, कन्फ्यूज़ सा, वो ऋषब के घर की बेल बजाता है. दरवाजा रषब की माँ खोलती है, जो उसे अच्छी तरहा जानती थी.
‘अरे रवि तुम, इस वक़्त, क्या हाल बना रखा है, आओ अंदर आओ’
रवि अंदर जाता है तो ऋषब की माँ अपने बेटे को आवाज़ दे कर बुलाती है आर रवि के लिए जूस लेने चली जाती है.
ऋषब : अबे हीरो, इस वक़्त, सब ठीक तो है, ये तेरे चेहरे पे 12 क्यूँ बजे हुए हैं?
रवि : यार तुझ से बहुत ज़रूरी काम था.
ऋषब समझ जाता है की ज़रूर कुछ गहरी बात है, वरना रवि इस वक़्त नही आता.
ऋषब : चल मेरे कमरे में चल, वहीं बात करेंगे.
रवि उसके साथ चला जाता है. जब तक वो अंदर बैठते, तब तक ऋषब की माँ जूस ले के आ जाती है.
रवि जूस पीता है और ऋषब की माँ उसे गहरी नज़रों से देख कर अपने पति के पास चली जाती है.
ऋषब की माँ : सुनो जी, रवि आया है ईस्वक़्त, उसका चेहरा बता रहा है, ज़रूर कोई सीरीयस बात है, आप जाइए ना ऋषब के पास बैठा है वो.
ऋषब का पिता : अरे बच्चों के बीच मेरा क्या काम, उसे अगर मुझ से कोई काम होगा तो सीधा मुझ से बात कर सकता है.
ऋषब की माँ : ये आप अपनी ईगो बीच में मत लाइए, और जाइए, पता कीजिए क्या समस्या है उसकी, कई बार बच्चे सीधा बडो से बात नही कर पाते, ऋषब के सामने शायद वो आपसे दिल की बात कर पाए.
ऋषब के माँ बाप, दोनो ही रवि से उतना प्यार करते थे जितना वो ऋषब से, क्यूंकी रवि की वजह से ही ऋषब का ध्यान पढ़ाई में लगा और वो दोनो बहुत गहरे दोस्त बन चुके थे.
रवि , ऋषब से बात कर रहा था कि किसी तरहा उसे पार्ट टाइम नौकरी वहीं मिल जाए ताकि वो अपनी पढ़ाई वहीं पूरी कर सके, वो इंडिया वापस नही जाना चाहता था. जब ऋषब के पिता अंदर आए तो ऋषब ने सारी बात उनके सामने रखी. उन्होने कोई गॅरेंटी तो नही दी, पर कहा कि कोशिश करेंगे और एक-आध दिन में बता देंगे.
रवि बहुत खुश हुआ और वो वहीं ऋषब के पास रुक गया, दोनो दोस्त रात भर जाने क्या क्या बातें करते रहे
इधर रवि के निकलने के बाद, रमण ऋतु के रूम में गया, तो देखा उसने सिर्फ़ एक टवल लपेटा हुआ है , जो हिल चुका है और उसकी गान्ड सॉफ सॉफ दिख रही थी, ऋतु तकिये में मुँह छुपा कर सूबक रही थी.
रमण उसके पास जा कर बैठ जाता है और उसके नंगे कंधों पे हाथ फेरते हुए पूछता है ‘क्या हुआ जान , रो क्यूँ रही हो?
ऋतु कोई जवाब नही देती.
रमण थोड़ा झुक कर उसके कंधे चूमने लगता है और अपनी ज़ुबान फेरने लगता है. ऋतु के जिस्म में हलचल मचने लग जाती है, धीरे धीरे उसका सुबकना बंद हो जाता है, रमण का यूँ इस तरहा प्यार से उसके कंधे को चाट्ना उसे अच्छा लग रहा था.
तभी ऋतु के मोबाइल पे स्मस आने का सिग्नल बजता है.
ऋतु रमण को अलग कर अपना मोबाइल उठाती है.
मेसेज रवि का था, बस इतना ही लिखा था कि वो घर वापस नही आ रहा, रात को अपने दोस्त के घर रुकेगा. ऋतु को समझते देर नही लगती कि वो बहुत नाराज़ है इसलिए घर नही आ रहा. उसका चेहरा उदास हो जाता है और आँखों से फिर नदी बहने लगती है.
रमण उसके हाथ से मोबाइल ले कर मेसेज देखता है और अंदर ही अंदर खुश हो जाता है कि आज रात को ऋतु के साथ अकेला है.
वो ऋतु को खींच कर अपनी गोद में बिठा लेता है और उसके चेहरे को चूमने लगता है.
‘रोते नही सब ठीक हो जाएगा’
रमण उसके आँसू चाटने लगता है और अपना एक हाथ उसके उरोज़ पे रख हल्के हल्के दबाने लगता है.
'चलो पहले चलके खाना खाते हैं. बहुत देर हो चुकी है, खाना ठंडा हो रहा होगा'
ऋतु उठती है तो उसका टवल खुल कर नीचे गिर जाता है
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ऋषब के पिता का नाम कैलाश है और माँ का सुनैइना.
उसकी माँ को देख कर कोई नही कह सकता कि उसके बेटे की उम्र 22 साल है, रवि के बराबर.
ऋषब और सुनैइना अगर साथ कहीं जाएँ तो माँ बेटा कम और भाई बहन ज़्यादा लगेंगे.
सुनियना ने अपने जिस्म को बहुत मेनटेन कर के रखा हुआ है और इस उम्र में भी वो 36-28-38 की फिगर रखती है. कपड़े तो ऐसे पहनती है कि सामने वाले का लंड तुरंत खड़ा हो जाए. उसके कपड़ों के चुनाव में कोई वुल्गेरिटी नही है, परंतु एक नज़ाकत है जो जिस्म को दिखाती नही पर उसे देख कर कोई भी कपड़ों के अंदर छुपे हुए उसके कामुक बदन को देखने की इच्छा करेगा.
रात को करीब 12बजे रवि की नींद खुलती है तो देखता है कि ऋषब बिस्तर से गायब है. रवि को प्यास लग रही थी, वो कमरे से बाहर निकलता है हॉल में जाता है और फ्रिड्ज से पानी की बॉटल निकाल लेता है.
उसकी नज़र कैलाश के कमरे की तरफ पड़ती है, जिसमे लाइट जल रही थी.
अपनी उत्सुकता की वजह से वो कमरे के पास चला जाता है.
अंदर से हल्की हल्की सिसकियों की आवाज़ें आ रही थी, कोई शक़ नही कैलाश चोद रहा होगा सुनैइना को, पर उसे ज़ोर से ऋषब की आवाज़ सुनाई देती है.
‘हां मम्मी, चूसो, और चूसो, बहुत मज़ा आ रहा है’
रवि के कान खड़े हो जाते हैं, उसे यकीन नही हो रहा था कि उसने ऋषब की आवाज़ अभी सुनी थी.
तभी फिर ऋषब की आवाज़ सुनाई देती है.
‘मम्मी तैय्यार हो जाओ, पापा आपकी गान्ड में लंड डालने जा रहे हैं’
‘फिर सुनैइना की आवाज़ आती है ‘ तू लेट जा, मैं तेरे लंड के उपर चड़ूँगी फिर तेरे पापा मेरी गान्ड में डाल लेंगे.’
रवि अपने कान खुजाता है, कहीं खराब तो नही होगये.
ये क्या हो रहा है कमरे के अंदर, बाप बेटा दोनो चोद रहे हैं सुनैइना आंटी को.
रवि वहाँ से ऋषब के कमरे में चला जाता है और सोचने लगता है, कि जो उसने सुना क्या वो ठीक सुना था.
क्या एक बेटा अपनी माँ को चोद सकता है, वो भी अपने बाप के सामने.
रवि का दिमाग़ उलझ के रह जाता है. उसे ऋतु की बात याद आती है पर उसका दिमाग़ और उसका दिल अपनी माँ के साथ कुछ भी ऐसा करने के लिए तैयार नही होता.
उसे लगता है जैसे उसने अपने प्यार ऋतु को खो दिया है – जिस्म की प्यास उसे बहुत दूर ले के जा चुकी है.
रवि की आँखों में आँसू भरने लगते हैं. वो फ़ैसला कर लेता है, कि जब कैलाश उसके लिए नौकरी का इंतेज़ाम कर देगा तो उसके बाद वो ऋषब से दूर हो जाएगा, और कभी भी उसके घर में नही आएगा.
इधर जब ऋतु किचन में जाने के लिए उठी तो उसका टवल गिर गया था, वो रमण के सामने बिल्कुल नंगी हो गई थी. वो टवल उठाने के लिए झुकती है पर रमण उस से पहले टवल उठा कर एक तरफ फेंक देता है.
ऋतु स्वालिया नज़रों से उसकी तरफ देखती है तो रमण खड़ा हो कर अपने कपड़े भी उतार देता है. उसके खड़े लंड को देख ऋतु अपनी आँखें बंद कर लेती है. उसे शर्म आने लगी थी, रमण के सामने नंगी रहने में और उसे नंगा देखने में.
रमण उसके पास जाता है और उसे अपनी गोद में उठा लेता है और किचन की तरफ बढ़ जाता है.
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