Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
08-11-2018, 02:17 PM,
#99
RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
रवि घर से बाहर चला जाता है और ऋतु कुछ देर बाथ टब में लेटी हुई सोचती रहती है कि उसने क्या ग़लती कर दी.
भारी मन से बाहर आती है और टवल लपेट कर सीधा अपने कमरे में जा कर बिस्तर पे गिर जाती है और सुबकने लगती है.

इस से पहले कि हम ये देखें कि रवि कहाँ गया और क्या हुआ उसके साथ , एक बार विमल से मिलके आते हैं.

विमल की मोच बहुत ज़्यादा थी, हालाँकि डॉक्टर तेज दवाई दे के गया था, पर फिर भी दवाई अपना असर दिखाने में समय लेती है.
एक मर्द की तरहा विमल अपना दर्द सह रहा था. सुनीता प्यार से उसके बालों में हाथ फेर रही थी, ताकि उसे नींद आ जाए. पर दर्द में किसी को नींद आती है.

सुनीता एक ऐसी माँ थी जो बरसों अपने जिगर के टुकड़े से दूर रही, अपनी बहन की खातिर, और उस समय के हालात की खातिर, क्यूंकी उसके जीजा रमेश ने उसे बिनब्याही माँ बना दिया था.

जब से वो फिर विमल के संपर्क में आई, उसकी बरसों की प्यासी ममता छलक के बाहर आना चाहती थी, जिससे उसने बड़ी मुश्किल से रोका हुआ था. पर होनी के पेट में क्या छुपा होता है ये कोई नही जानता.

नियती बार बार विमल और सुनीता को किसी ना किसी तरहा करीब ला रही थी, जहाँ सुनीता के दिल में माँ की ममता थी, वहीं विमल के दिल में उसके लिए आदर तो था पर साथ में वासना जनम ले चुकी थी. विमल जो भी करना चाहता था, उसमे वो सुनीता की इज़्ज़त पे कोई दाग नही लगाना चाहता था और ना ही ऐसा कुछ करना चाहता था कि सुनीता को लगे या इस बात का अहसास हो कि विमल के अंदर उसके लिए वासना जनम ले चुकी है.

बहुत मुश्किल होता है खुद पे कंट्रोल रखना, और अभी तक विमल ने पूरा कंट्रोल रखा हुआ था.
सुनीता, पे विमल के साथ हुए हादसों का धीरे धीरे प्रभाव पड़ रहा था, ममता की भावना के पीछे, एक अनोखी भावना जनम ले रही थी, जिसका शायद कोई नाम नही था, एक ऐसी अनुभूति, जो वासना से बहुत परे थी, पर उसका तालुक जिस्मो के मिलन से ज़रूर था.
एक अद्रिश्य शक्ति दोनो को खींच रही थी, टकरा रही थी.

सुनीता उसके सर पे हाथ फेरते हुए बिल्कुल उसके साथ ही अढ़लेटी थी और पोज़िशन कुछ इस तरहा बन गई थी कि विमल का मुँह सुनीता के उरोज़ से ज़्यादा दूर नही था.

एक ही पोज़िशन पे बैठी बैठी सुनीता का जिस्म दुखने लगा, खुद को राहत पहुँचने के लिए वो थोड़ा हिली, इस वजह से उसका उरोज़ एक दम विमल के मुँह से सट गया, बीच में दीवार थी तो उसकी ब्रा और जॉगिंग सूट के टॉप की.

विमल का मुँह अपने आप खुल गया और वो सुनीता के उरोज़ को अपने मुँह में समाने की कोशिश करने लगा.

सुनीता शायद उन पलों को पाना चाहती थी जो उसने खो दिए थे, वो विमल को सिर्फ़ कुछ दिन ही अपना दूध पीला पायी थी. सुनीता के हाथ अपनी आप उसके जॉगिंग सूट की ज़िप खोल देते हैं और वो अपना एक उरोज़ ब्रा से बाहर निकाल उसी पोज़िशन में आती है और विमल के सर को अपने उरोज़ पे दबा देती है. विमल उसका निपल चूसने लगता है. सुनीता को ऐसा लगता है जैसे वो विमल को वाकई में अपना दूध पिला रही हो.

जब छोटा बच्चा भी माँ का दूध पिता है, तब भी उसका कुछ असर माँ की चूत पे पड़ता है. ऐसा ही सुनीता के साथ हुआ, इधर विमल ने उसका निपल चूसना शुरू किया उधर सुनीता की चूत साथ में गीली होनी शुरू हो गई.
पर सुनीता के दिल में सिर्फ़ ममता थी, वासना नही, वो सिर्फ़ एक माँ की तरहा विमल को दूध पिलाने की कोशिश कर रही थी, शायद वो विमल का ध्यान दर्द से दूर ले जाना चाहती थी, उसे सकुन पहुँचाना चाहती थी.

विमल भी एक बच्चे की तरहा उसका निपल चूस्ता रहता है,थोड़ी देर बाद, बिल्कुल एक माँ की तरहा, सुनीता अपना दूसरा उरोज़ भी ब्रा से बाहर निकाल विमल के मुँह में अपना दूसरा निपल दे देती है, और विमल उसे चूसना शुरू कर देता है.
सुनीता साथ ही साथ उसके सर पे हाथ फेरती रहती रहती है और उसे सोने के लिए उकसाती रहती है.

कुछ दवाई का असर कुछ सुनीता की ममता का असर, विमल उसके निपल को चूस्ता हुआ बिल्कुल एक बच्चे की तरहा सो जाता है. सुनीता उसके मुँह से अपना निपल नही निकालती और वो भी नींद के आगोश में चली जाती है.

चलिए ज़रा देखें रवि क्या कर रहा है.

रवि घर से जब बाहर निकला था उस वक़्त रात के 8.30 बज रहे थे. उसके दिमाग़ में ना जाने कितने सवाल थे जिनका जवाब वो किसी से नही माँग सकता था. उसने कभी किसी लड़की से कोई रिश्ता नही बनाया था, ना जाने कितनी उसके साथ पढ़ती हुई उसे अपना बॉय/फ्रेंड बनाना चाहती थी, पर उसके दिमाग़ में सिर्फ़ ऋतु ही रहती थी और वो किसी को घास नही डालता था. कल जब ऋतु उसकी बाँहों में आ गई थी तो वो बहुत खुश हुआ था. पर आज जो हुआ और जो उसने देखा और जो प्रस्ताव ऋतु ने उसके सामने रखा वो उसे अंदर ही अंदर कुछ तोड़ गया था. उसके कदम अपने खास दोस्त ऋषभ की तरफ बढ़ गये, आधा घंटा पैदल चलता हुआ वो उसके घर पहुँचा. अपनी बाइक तो वो अपने घर ही छोड़ आया था.
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