Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
08-11-2018, 02:15 PM,
#91
RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
ऋतु के जिस्म में झुरजुरी दौड़ जाती है, वो पीछे हटना चाहती है पर रमण उसे अपने साथ चिपका लेता है. रमण उसे चूमता रहता है, ऋतु भी गरम होने लगती है और उसके होंठ खुल जाते हैं. जैसे ही ऋतु के होंठ खुलते हैं रमण की जब अंदर चली जाती है जिससे ऋतु चूसने लगती है. रमण अपने हाथ पीछे ले जा कर उसकी गान्ड को अपनी तरफ दबाता है जिसकी वजह से उसका खड़ा लंड ऋतु की चूत पे दस्तक देने लगता है. अपनी चूत पे रमण के लंड का अहसास पा कर ऋतु सिसक पड़ती है पर उसकी सिसकी रमण के मुँह में ही दब के रह जाती है. दोनो गहरे फ्रेंच किस में डूब जाते हैं.

जब दोनो की साँसे फूलने लगती हैं तो दोनो अलग होते हैं. ऋतु का चेहरा उत्तेजना और शर्म से लाल सुर्ख हो जाता है. दोनो ही बहुत तेज़ तेज़ साँसे ले रहे थे. ऋतु रमण की आँखों में नही देख पाती आर उसके सीने में अपना मुँह छुपा लेती है.
रमण गहरी गहरी साँस लेता हुआ ऋतु की पीठ सहलाता रहता है.
फिर रमण उसे अपनी गोद में उठा कर अपने रूम में ले जाता है और बिस्तर पे लिटा देता है.

ऋतु अपनी आँखें बंद कर के लेटी रहती है. और रमण अपनी शर्ट और बनियान उतार कर उसके साथ लेट जाता है.

रमण ऋतु के उपर झुकता है और फिर उसके होंठ चूसने लगता है. ऋतु भी उसका साथ देने लगती है आर जैसे ही ऋतु के हाथ रमण को अपने घेरे में लेते हैं तो उसे रमण के नंगे होने का अहसास होता है, रमण की चौड़ी पीठ पे उसकी उंगलियाँ घूमने लगती हैं. ऋतु की उंगलियों का स्पर्श अपनी पीठ पे पा कर रमण के जिस्म में ज़लज़ला सा उठ जाता है और वो पागलों की तरहा ऋतु के होंठ चूसने लगता है.

ऋतु के जिस्म में भी तड़प बढ़ती है पर जैसे उसे कुछ याद आता है और वो ज़ोर लगा कर रमण की पकड़ से निकल जाती है.

रमण हैरान हो जाता है कि एकदम ऋतु को क्या हो गया. वो सवालिया नज़रों से ऋतु को देखता है.

‘आप तो आते ही शुरू हो गये, पहले मेरे सवाल का जवाब तो दीजिए’

‘पूछो क्या पूछना चाहती हो’

‘कितना प्यार करते हो मुझ से? या सिर्फ़ मेरे जिस्म से ही खेलना चाहते हो?’

‘तुझे मेरे प्यार पे शक़ है क्या?’

‘एक बाप के नाते आपके प्यार पे कोई शक़ नही, उल्टा मैं तो खुद को खुशकिस्मत समझती हूँ कि मुझे और रवि को आप जैसा पापा मिला---- लेकिन जो आप करना चाहते हो मेरे साथ वो बाप बेटी में नही होता- वो सिर्फ़ दो प्रेमियों के बीच में ही होता है – तो इस लिहाज से आप मेरे प्रेमी बनना चाहते हो?’

‘हां’
‘लेकिन अगर मैं आप को अपना प्रेमी बना लूँ तो बदले में मुझे अपने प्रेमी से एक वादा चाहिए’

‘कैसा वादा?’
‘मैं जो भी माँगूँ वो आपको देना पड़ेगा’

‘क्या चाहती हो? माँग लो जो माँगना है’ रमण इस हालत में नही था कि वो ऋतु की किसी भी बात को मना कर सके, वो ऋतु को जल्द से जल्द अपनी बाहों में चाहता था.
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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास - by sexstories - 08-11-2018, 02:15 PM

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