Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
08-11-2018, 01:54 PM,
#3
RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
बाथरूम से आने के बाद सबसे पहले मैने वो डीवीडी अपने लॅपटॉप पे डाउनलोड करी और फिर जल्दी से उसे उसकी जगह पे रख दिया.

बार बार वही नज़ारे मेरी आँखों के सामने तैर रहे थे. मम्मी पापा ये सब सिर्फ़ चाचा चाची के साथ करते हैं या और लोग भी शामिल हैं? क्या ये सिर्फ़ एक बार हुआ था या अब भी होता है? अब मैं बच्ची तो थी नही कि सेक्स के बारे मे ना जानती हूँ.मैं अपनी सारी बातें मम्मी से किया करती थी, मम्मी मेरे लिए सबसे बड़ी दोस्त है.क्या मैं इस के बारे में भी मम्मी से पूछ सकती हूँ? शायद नही, मम्मी मेरे सामने लज्जित हो जाएगी. 

फिर सच्चाई का कैसे पता करूँ. वो डीवीडी आगे देखने की मेरी हिम्मत नही हो रही थी और अब तो मम्मी पापा किसी भी वक़्त आ सकते थे. 

मैने किचन में जा कर रात का खाना तैयार किया, ताकि मम्मी को आ कर किचन में कम ना करना पड़े. करीब एक घंटे बाद मम्मी पापा आ गये और मम्मी काफ़ी हैरान हुई कि मैने खाना तैयार कर रखा है और खुश भी बहुत हुई, क्यूंकी वो काफ़ी थक चुकी थी.


रात को खाना खा कर सब सोने चल दिए. मैं अपने कमरे में बिस्तर पे लेटी सोचती रही कि सच का कैसे पता करूँ और जो आग मेरे जिस्म में लग चुकी थी उसे कैसे शांत करूँ. दिल किया कोई बाय्फ्रेंड बना लेती हूँ, इतने तो पीछे पड़े हैं. पर बदनामी के डर से इस रास्ते पे जाने की हिम्मत ना हुई. 

एक ही रास्ता दिख रहा था विमल मेरा बड़ा भाई. अगर मैं उसको पटा लेती हूँ तो घर की बात घर में रहेगी. उसका भी काम हो जाएगा और मेरा भी. वो तो लड़का है क्या पता बाहर कितनी लड़कियाँ फसा रखी हो. 

रात भर मैं सो ना सकी. अभी भाई के आने में 3 दिन बाकी पड़े थे , इन तीन दिनो में मुझे कुछ ऐसा प्लान करना था कि भाई मेरे पीछे पड़े और ये ना लगे कि मैं भाई के पीछे पड़ी हूँ.

किसी भी लड़के को अपनी तरफ खींचना हो तो उसे अपनी झलकियाँ दिखा कर तरसाओ वो पके आम की तरहा तुम्हारी गोद में आ गिरेगा. 

मैने भी कुछ ऐसा ही सोचा. सोचते सोचते ना जाने कब मेरी आँख लग गई.

रात भर नींद तो नही आई और सुबह मैं अपनी सवालों भरी नज़र से माँ को नही देखना चाहती थी, मैं बिना कुछ खाए पिए घर से चली गई. मेरी एक ही खास सहेली है कविता मैं उसके घर आ गई .

वहाँ पहुच कर पता चला कि वो और उसके डॅड ही घर पे थे, उसकी माँ और भाई दोनो माँ के मैके गये हुए थे. दिन बातों बातों में कब गुजरा पता ही ना चला और रात को मैं उसके साथ ही उसके कमरे में सो गई. 

थोड़ी देर बाद मेरी नीद खुली तो देखा कविता गायब है, सोचा बाथरूम गई होगी आ जाएगी जब कुछ देर और वो नही आई तो मैं कमरे से बाहर निकली और देखा कि उसके डॅड के कमरे की लाइट जल रही है मेरे कदम उस तरफ बढ़ चले और जो देखा उसने मुझे हिला के रख दिया.
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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास - by sexstories - 08-11-2018, 01:54 PM

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