RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
" ओके बाबा ओके...चलो सूनाओ अपनी राम कहानी ..." शशांक उठ बैठ ता है और पीठ सिरहाने से टीकाए उसकी ओर ध्यान से देखता है ..
" देखो तुम किस तरेह हम दोनों के बीच अपना भर पूर प्यार लूटा रहे हो..? कम से कम मुझे तो ज़रा भी एहसास नहीं होता के तुम मुझे कम और मोम को ज़्यादा प्यार करते हो....तुम में हम दोनों के लिए बे-इंतहा प्यार है भैया ...बेशुमार ...इतना बेशुमार प्यार जो तुम ने मुझे दिया ..मैं क्या मोम से शेअर नहीं कर सकती ...इस से मेरे लिए तुम्हारा प्यार तो कभी कम नहीं होगा ना..?? "
शशांक फिर से शिवानी की बातों से हैरान रह जाता है ... इतनी बड़ी बात और इतना बड़ा दिल ...जब की ज़्यादातर औरतें इतनी दरिया दिल नहीं होतीं ... किसी से भी अपना प्यार बाँट नहीं सकती ...
" ओह माइ गॉड ..शिवानी आइ आम इंप्रेस्ड ..पर शिवानी इतना भरोसा तुम्हें मुझ पे है ..??"
" हां भैया मुझे अपने से ज़्यादा आप पर भरोसा है ..मैं अगर कभी बहेक भी गयी तो मुझे पूरा यकीन है आप मुझे संभाल लोगे ..." शिवानी एक तक शशांक की ओर देखते हुए बोले जा रही है..
" पर क्यूँ शिवानी..??"
" भैया ..आप के साथ इतने दिनों से कॉलेज जाती हूँ , वापस घर आती हूँ और फिर आप को कॉलेज में भी देखती हूँ..लड़कियाँ आप पर मरती हैं ..आप की एक नज़र को तरसती हैं ..पर आप ने आज तक किसी की ओर आँख उठा कर नहीं देखा ....आप चाहते तो एक से एक मुझ से भी ज़्यादा स्मार्ट और सुंदर लड़कियाँ आप की गर्ल फ्रेंड्स होतीं ..पर इन सब को दर किनार कर दिया आप ने ..और चुना सिर्फ़ मुझे और मोम को ...क्या मैं समझती नहीं ....अब अगर मैं आप पर विश्वास नहीं करूँ तो फिर इस दुनिया में किसी पर भी विश्वास करना ना-मुमकिन है...."
शशांक अवाक़ रह जाता है अपनी कल तक गुड़िया जैसी बहेन की बातें सुन ...उसकी आँखें भर आती हैं ..
पर उसकी इन बातों ने एक बड़ा सा सवाल खड़ा कर दिया ..जिसका जवाब किसी के पास नहीं था ..ना उसके पास ना शिवानी के पास ..आखीर इस बे-इंतहा प्यार का अंत क्या होगा ..?? आखीर कब तक हम इसे निभाएँगे ...कब तक ..???
शशांक इस सवाल से परेशान हो जाता है ....और अपने इस प्यार की बे -बसी पर आँसू बहाता हुआ शिवानी की तरेफ एक टक देखता रहता है....
शिवानी उसकी आँखों में आँसू देख चौंक जाती है....
" अर्ररीईईईई? यह क्या भैया ..क्या मैने कुछ ग़लत कहा ..??आप रो क्यूँ रहे हो..??"
शशांक अपने आँसू पोंछता है और बोलता है
" नहीं शिवानी तुम ने कुछ भी ग़लत नहीं कहा ..बस इसलिए तो मैं रो रहा हूँ बहेना ..."
" मेरी तो कुछ समझ में नहीं आता भैया ..मैं तो समझी थी आप खुश हो जाओगे ..पर यहाँ तो बात उल्टी ही हो गयी .."
" शिवानी ....तू जान ना चाह ती है ना मेरी आँखों में आँसू क्यूँ हैं..?? "
" बिल्कुल भैया ..." भैया की आँखों में आँसू देख उसकी आवाज़ भी रुआंसी है...
" तो सून ..क्या तुम ने कभी सोचा है मेरे और तुम्हारे इस बे-इंतहा प्यार का नतीज़ा क्या होगा ..?? मेरे और मोम के बीच तो कोई खास प्राब्लम नहीं ...किसी की भी अपनी जिंदगी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता .पर तुम क्या जिंदगी भर मुझे ही प्यार करती रहोगी...तुम्हारी अपनी जिंदगी भी है ना शिवानी ..क्या तुम शादी नहीं करोगी ..? कब तक हम दोनों यह आँख मिचौली का खेल खेलते रहेंगे शिवानी ..कब तक ..बोलो ना बहेना कब तक..?????"
शिवानी अपने भैया की बात से ज़रा भी परेशान नहीं होती ...चेहरे पे शिकन तक नहीं आती ...
शशांक फिर से हैरान हो जाता है अपनी बहेन के रवैय्ये से ..
" क्यूँ तुम्हारे पास है इसका जवाब ?शिवानी बोलो ना क्या जवाब है तुम्हारे पास ..??"शशांक शिवानी के कंधों को झकझोरता हुआ पूछता है ...
शिवानी शशांक के हाथों को अपने कंधों से अलग करती है ...उसकी तरफ देखती है थोड़ी देर ...
और फिर जब उसे जवाब देती है ... शशांक के पास उसके जवाब का कोई भी जवाब नहीं .....
उसे इतना तो समझ आ गया शिवानी के जवाब से ..... शिवानी अब गुड़िया नहीं ...उसने समझ लिया है प्यार एक आग का दरिया है गुड़िया का खेल नहीं...!!!
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