RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
अपडेट 22 :
काफ़ी देर तक शांति और शशांक एक दूसरे में खोए रहते हैं ..एक दूसरे से लिपटे ..एक दूसरे की साँसों ,दिल की धड़कनों और जिस्मों को आँखें बंद किए महसूस करते रहते हैं...
तभी शिवानी के कमरे से कुछ आहट सुनाई पड़ती है , शांति चौंक पड़ती है और शशांक को अपने से बड़े प्यार से अलग करती है ...
" उम्म्म..मों क्या ..तुम से अलग होने का जी ही नहीं करता ..." शशांक बोलता है ..
" बेटा , जी तो मेरा भी नहीं करता ..पर क्या करें ..." और वो खड़ी हो जाती है..अपनी नाइटी ठीक करती है ....शशांक से अलग होते हुए कहती है ..."लगता है शिवानी उठ गयी है...उसे जोरो की भूख लगी होगी ...तुम भी हाथ मुँह धो कर आ जाओ ..मैं भी बाथरूम से आती हूँ , फिर हम सब साथ डिन्नर लेंगे .." शांति , शशांक के गालों को चूमते हुए बाहर निकल जाती है ..
शशांक भी अपने रूम में चला जाता है फ्रेश होने..
जैसे बाहर निकलता है बाथ रूम से , उसके कमरे में शिवानी आ धमकती है ..
" सो हाउ वाज़ दा शो भाय्या..?'' एक शैतानी से भरी मुस्कान होती है उसके चेहरे पर..
" जस्ट ग्रेट शिवानी ..आंड थॅंक्स फॉर एवेरितिंग , तुम्हारे बिना यह सब पासिबल नहीं था ..."
" थॅंक्स क्यूँ भैया .प्यार में हमेशा लेते नहीं कभी कुछ देना भी चाहिए ..है ना ? अपने लिए तुम्हारा प्यार मोम से शेअर करती हूँ ...किसी और से थोड़ी ना ..आख़िर वो मेरी भी मोम हैं ना .आइ टू लव हर सो मच ..हम सब के लिए कितना करती हैं ..हम उन्हें इतना भी नहीं दे सकते .? "
" वाह वाह ...क्या बात है ..आज तो शिवानी बड़ी प्यारी प्यारी बातें कर रही है प्यार और मोहब्बत की ....अरे कहाँ से सीखा यह सब ...?" शशांक की आँखों में शिवानी के लिए प्यार और प्रशन्शा झलकते हैं ..
" तुम्हीं से तो सीखा है भैया ..."
" मुझ से..??? ..ह्म्म्म ..वो कैसे ....??"
शिवानी कुछ बोलती उसके पहले ही शांति की आवाज़ सुनाई पड़ती है दोनों को
" अरे बाबा कहाँ हो तुम दोनों ..खाना कब से लगा है ..ठंडा हो जाएगा ...जल्दी आ जाओ...."
शिवानी की बात अधूरी रह जाती है ...
" अब चलो भैया पहले खाना खा लें फिर बातें करेंगे , देर हुई तो मोम चिल्ला चिल्ला के सारा घर सर पे उठा लेंगी..."
शशांक इस बात पर जोरदार ठहाका लगाता है और फिर दोनों हंसते हुए बाहर निकलते हैं डाइनिंग टेबल की ओर ...
खाना खाते वक़्त कुछ खास बात नहीं होती .सब से पहले मोम उठ ती हैं और रोज की तरेह शिवानी को बर्तन समेटने की हिदायत दे अपने कमरे में चली जाती हैं ...उनको सोने की जल्दी थी ..
" भैया तुम चलो मैं बस आई ..."शिवानी बर्तन समेट ते हुए बोलती है ..
" जल्दी आना शिवानी.." कहता हुआ शशांक अपने कमरे की ओर चल देता है..
अपने कमरे में आ कर शशांक लेट जाता है..और शिवानी के बारे सोचता है " आज कल कितना चेंज आ गया है इस लड़की में ..कैसी बड़ी बड़ी बातें करती है ...कल तक तो सिर्फ़ हाथ चलाती थी आज दिल और दिमाग़ भी चला रही है..." और उसके होंठों पे मुस्कुराहट आ जाती है...
तभी शिवानी भी आ जाती है और शशांक को मुस्कुराता देख बोलती है
" ह्म्म्म्मम..यह अकेले अकेले किस बात पर इतनी बड़ी मुस्कान है भैया के चेहरे पर..? "
शशांक की नज़र पड़ती है शिवानी पर ...उस ने बहोत ही ढीला टॉप और लूज़ और पतला सा पाजामा पहेन रखा था
टॉप के अंदर उसकी चूचियाँ उछल रही थी उसकी ज़रा सी भी हरकत से ...इतने दिनों में उसकी चूचियों की गोलाई काफ़ी बढ़ गई थी ...पतले से पाजामे के अंदर उसकी लंबी सुडौल टाँगें और मांसल जंघें बाहर झलक रही थी ..शशांक की नज़र थोड़ी देर इन्ही चीज़ों के मुयायने में अटक जाती है...
" अरे भैया क्या देख रहे हो.... सारी रात तो पड़ी है ..देख लेना ना जी भर ...चलो ना पहले अपनी अधूरी बात हम पूरी कर लें ..??" कहते हुए शिवानी उसके बगल बैठ जाती है , शशांक उसके और करीब आ जाता है और अपनी टाँग उसकी कूल्हे और जाँघ से चिपकाता हुआ लेटा रहता है ..
" ह्म्म्म्म..तो बात शूरू करें ..? पर तू यह बता के तेरी किस बात का मैं जवाब पहले दूं ..आते ही सवालों की बौछार कर दी तुम ने .." शशांक पूछता है..
" तुम भी ना भैया ..बस बात टालो मत ...तुम बस चूप रहो ..मैं बोलती हूँ ...मैं बोल रही थी ना के मोम से तुम्हारा प्यार शेअर करना मैने तुम्ही से सीखा है ...मैं बताती हूँ कैसे ....बस चूप चाप कान खोलो और सुनो ...और यह अपने हाथों की हरकत बंद रखो..?'' और शशांक का हाथ जो उसकी मुलायम और गुदाज़ जांघों को सहला रहे थे अपने हाथ में लेते हुए हटा देती है बड़े प्यार से...
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