RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
अपडेट:21
इन मधुर रिश्तों के नये आयामों में शिवानी, शशांक और शांति एक दूसरे में खो जाते हैं ..पर रिश्तों की बंदिशें कायम रखते हैं ...पूरी तरेह ...
शिवानी को शशांक और शांति के रिश्तों का शूरू से ही पता है..पर शांति को यह नहीं पता के शिवानी को पता है..... शांति को शशांक और शिवानी के रिश्तों का पता नहीं ...और शिवानी को अपने व्यवहार से शांति को यह जताना है उसे शशांक और शांति के बारे कुछ मालूम नहीं ..कितनी बारीकी है इन रिश्तों के समीकरणों में ...इन बारीकियों को समझते हुए रिश्तों को निभाने में एक अलग ही मज़ा ..आनंद और रोमांच से भरी मस्ती थी ....अब तक इस खेल में तीनों माहीर हो चूके थे ..
और शिव बस अपने दूकान और शांति जैसी बीबी में ही खोया था ....
जहाँ शिवानी शशांक के प्यार से और मेच्यूर , समझदार होती जाती है , अपनी अल्हाड़पन को लाँघते हुए जवानी की ओर बढ़ती जाती है .वहीं शांति अपनी ढलती जवानी की दहलीज़ को लाँघते हुए वक़्त को फिर से वापस आता हुआ महसूस करती है.... शशांक के साथ का वक़्त उसे फिर से जवानी , अल्हाड़पन और अपने प्रेमिका होने का एहसास दिलाता है ..इस कल्पना मात्र से वो झूम उठ ती है .....उसके लिए वक़्त फिर से वापस आता है ...और इस वक़्त को वो पूरी तरेह अपने में समेट लेती है ...इस वक़्त में खो जाती है ..यह वक़्त सिर्फ़ उसका और शशांक का है ....शांति और शशांक का .....
शशांक इन दोनों रिश्तों के बीच बड़ी अच्छी तरेह ताल मेल बना कर रखता है ....उन दोनों को उनके औरत होने पे फक्र होने का एहसास दिलाता है ...और खुद भी समय के साथ और भी परिपक्व होता जाता है ..
शशांक का ग्रॅजुयेशन ख़त्म हो चूका है..और अब उसी कॉलेज में रीटेल मार्केटिंग में एमबीए कर रहा है ..उस ने एमबीए के बाद अपनी मोम और डॅड के साथ ही काम करने की सोच रखी है ...
शिवानी ग्रॅजुयेशन के फाइनल एअर में है....दोनों अभी भी साथ ही कॉलेज जाते हैं ...बाइक पर ..पर शिवानी के हाथों की हरकत अब कुछ कम है...नहीं के बराबर ..और . क्यूँ ना हो.?? :
शिव कुछ दिनों के लिए शहेर से बाहर हैं दूकान के काम से ..शाम का वक़्त है....शांति आज कल दूकान से जल्दी वापस आ जाती है ....सेल का काम संभालने को एक मॅनेजर रखा है ..वोही संभालता है शोरूम ...
शशांक और शांति को शिव के रहते इस बार मिलने का मौका नहीं मिला था कुछ दिनों से ..दोनों तड़प रहे थे ...मानों कब के भूखे हों....
शिवानी उनकी तड़प समझती है ...और शाम की चाइ साथ पीते ही उठ जाती है और बोलती है ..
" देखो भाई..आज कॉलेज में मैं काफ़ी थक गयी हूँ..मैं तो चली अपने रूम में सोने ..कोई मुझे जगाए नहीं ..." और शशांक की तरफ देख मोम से आँखें बचाते हुए आँख मारती है ..और इठलाती हुई अपने कमरे की ओर चल पड़ती है..
थोड़ी देर शशांक और शांति एक दूसरे की ओर देखते रहते हैं ..उनकी आँखों में एक दूसरे के लिए तड़प और प्यास सॉफ झलक रहे हैं ..
" शशांक मैं चलती हूँ... चलो खाना ही बना लूँ .." और मुस्कुराते हुए उठ जाती है ...
शशांक भी मुस्कुराता है और बोलता है
" पर मोम तुम ने इतनी अच्छी साड़ी पहेन रखी है ..दूकान से आने के बाद चेंज भी नहीं किया ..किचन में गंदी हो जाएगी ना ..नाइटी पहेन लो ना ..वो सामने ख़ूला वाला..???"
" ह्म्म्म्म..मेरे बेटे को मेरे कपड़ों का बड़ा ख़याल है ......ठीक है बाबा आती हूँ चेंज कर के .."
वो अपने रूम की ओर जाती है पर जाते जाते पीछे मूड कर शशांक को देख एक बड़ी सेक्सी मुस्कान लाती है अपने होंठों पर ..
शशांक भी मुस्कुराता है और अपने कमरे की ओर जाता है चेंज करने को..
शांति फ्रेश हो कर नाइटी पहेन किचन में है ..खाना बना रही है
शशांक भी आ जाता है...
शांति नाइटी में बहोत ही सेक्सी लगती है ..उसके अंदर का उभार पूरी तरेह झलक रहा है ...उसने ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनी थी ...
शशांक उसे पीछे से अपनी बाहों में लेता है ...उसने भी बहोत ढीला टॉप और बॉक्सर पहेन रखा था
मोम के बदन की गर्मी और कोमलता के स्पर्श से उसका लंड तन्ना जाता है ...सामने से उसके हाथ मोम की चूचियाँ सहला रहे है ..नाइटी के अंदर से ..मोम चूप चाप उसकी हरकतों का मज़ा ले रही है और साथ में खाना भी बनाती जाती है ..
आज भी उसका लंड शांति को अपने गुदाज और मुलायम चूतड़ो के अंदर चूभता हुआ महसूस होता है ...पर आज वो चौंक्ति नहीं है उस शाम की तरेह ..आज और भी अपनी टाँगें फैला देती है..सब कुछ बदल गया है समय के साथ .....
शशांक अपना चेहरा शांति की गर्दन से लगाए है ..शांति की गालों से अपने गाल चिपकाता है और बड़े प्यार से घीसता है ..
अपने बॉक्सर के सामने के बटन्स खोल देता है ... लंड उछलता हुआ बाहर आता है . शांति की चूतड़ो की दरार में हल्के हल्के उपर नीचे करता है ..नाइटी के साथ अंदर धंसा है ..
उसे मालूम है शांति को किचन में चुदवाने में काफ़ी रोमांचक अनुभव होता है ...
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