RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
अपडेट 20 :
शिव-शांति के परिवार के सभी सदस्य अब तक पूरी तरेह जाग उठे थे...तन , मन और दिल , हर तरेह से ...जब वे नाश्ते के टेबल पर आते हैं ..उनके चेहरे से सॉफ झलक रहा था...
चेहरा दिल का आईना होता है....यह बात अच्छी तरेह सभी के चेहरे पे लीखा था ..
शिवानी चहेकते हुए अपने मोम और पापा से गले मिलती है ..जब कि हमेशा उसके चेहरे पे गुस्से और झुंझलाहट की झलक रहती थी ..खास कर सुबेह ...
शांति उसके गले लगती है ..गाल चूमती है और उसके दमदामाते चेहरे को देख बोलती है ...
"ह्म्म्म्मम...अरे यह मैं आज क्या देख रही हूँ..शिवानी सुबेह सुबेह इतनी चहक रही है..क्या बात है!."
" हां मोम कल दीवाली कितनी अच्छी रही ..हम सब साथ साथ थे ....शायद यह पहला मौका था जब हम सब साथ थे..है ना मोम..??" शिवानी ने बड़ी होशियारी से अपनी खुशी के असली राज़ को छुपाते हुए कहा ...और शशांक की तरेफ देख मुस्कुराने लगी ..
शशांक की आँखों में उसके जवाब के लिए वाह वाही दीखती है और वो बोल उठ ता है
" वाह क्या बात कही तू ने शिवानी ...ह्म्म्म्म मैं देख रहा हूँ तेरा दिमाग़ भी काफ़ी खुल गया है..."
" क्या मतलब 'तेरा दिमाग़ भी..?' .." क्या मेरा दिमाग़ बंद पड़ा था ....जाओ मैं नहीं बोलती तुम से .." और शिवानी बनावटी गुस्से से चूप हो कर बैठ जाती है...
" अरे नहीं बाबा ...मेरा यह मतलब थोड़ी ना था ..मेली प्याली प्याली बहेना ...." शशांक मस्का लगाता है
शिवानी उसे घूरती है ..." फिर क्या मतलब था ..? "
" अरे मैं तो दीवाली की फुलझाड़ी छोड़ रहा था यार ..अभी भी तेरे साथ फूल्झड़ी छोड़ने की बात भूल नहीं पा रहा हूँ ना ...तू तो कुछ समझती ही नहीं यार..." शशांक का मस्का इस बार सही निशाने पे था ....
फूल्झड़ी से उसका क्या मतलब था शिवानी को पूरी तौर पे समझ आ गया ..उसके चेहरे पर फिर से लंबी और चौड़ी मुस्कान आ गयी ...और वो खिलखिला उठी ....
" ओह यस भैया ..यू आर ग्रेट ....कितनी देर तक हम पताखे और फूल्झड़िया चला रहे थे ...उफफफ्फ़ मज़ा आ गया ...."
शांति शशांक की इस सूझ बूझ की कायल हो गयी थी .वो हमेशा शिवानी के होंठों पे अपनी चिकनी चूपड़ी बातों से हँसी ले आता था ..और आज भी यही हुआ ...
उस ने शशांक को गले लगाया और उसके भी गाल चूमे ...
शशांक अपनी मोम से गले मिलता है , अभी भी वो लक्ष्मण रेखा बरकरार है ..पर उसकी आँखों में इस पतली सी रेखा बरकरार रखने का कोई दर्द , कोई पीड़ा नहीं , और ना उसके शरीर में किसी भी तरेह का कोई तनाव या कोशिश की झलक है ..यह बस अपने आप हो जाता है
उसकी आँखों में अपनी मोम के लिए सम्मान , आभार और प्यार झलकता है ....
शांति को उसकी बातें समझ में आ जाती है ..वो कितनी खुश हो जाती है अपने बेटे के व्यवहार से .
शशांक ने शिवानी और शांति दोनों को कितनी सहजता से कल के हुए रिश्तों मे इतने बड़े बदलाव पर अपनी प्रतिक्रिया जता देता है ..दोनों को उनकी ही भाषा में ..अलग अलग तरीके से....
किसी के चेहरे पे कोई तनाव नहीं ..कोई भी अपराध के भाव नहीं ....शशांक ने दोनों को कितना अश्वश्त कर दिया था अपने व्यवहार से ..किसी को किसी पर कोई शक़ यह शंका नहीं है ....सभी अपने में खुश हैं ...
पर शिवानी कहाँ मान ने वाली थी....उसके दोनों हाथ भले ही टेबल पर थे ..पर टाँगों ने अपनी हरकत ब-दस्तूर चालू रक्खी थी ...उसने अपनी मुलायम मुलायम पावं के अंगूठे को अपने बगल बैठे शशांक की पिंदलियों पर उपर नीचे करती जा रही थी ...
शशांक इस हरकत से पहले तो झुंझला जाता है...उसकी तरफ आँखें तरेरता हुआ देखता है ..पर शिवानी उसे अनदेखा करते हुए अपने काम में लगी रहती है ...और नाश्ता भी करती जा रही थी ..
शशांक के पास इसके अलावा और कोई चारा नहीं था के चूप चाप आनंद लेता रहे ...और उस ने ऐसा ही किया ...नाश्ते के साथ शिवानी की हरकतों का भी मज़ा ले रहा था ...
नाश्ता ख़त्म करते हुए सब से पहले शिव उठ ता है...अपनी रिस्ट . पर नज़र डालता है ...
" ओह्ह्ह्ह..11 बाज गये ...अच्छा बच्चो तुम लोग आराम से छुट्टियाँ मनाओ...और शांति तुम भी आराम कर लो ,दीवाली के बिज़ी दिनों में तुम भी काफ़ी थक गयी होगी ,,मैं ज़रा दूकान से हो आता हूँ ...स्टॉक वग़ैरह चेक कर लूँ .." बोलता हुआ अपने कमरे की ओर चल पड़ता है ...
" ओके शिव ...पर जल्दी आ जाना , आज डिन्नर हम लोग बाहर ही करेंगे ..."
डिन्नर बाहर करने की बात सुनते ही शिवानी उछल पड़ती है और मोम को गले लगा लेती है
" ओह मोम थ्ट्स ग्रेट ....बिल्कुल सही आइडिया है आप का ....बाहर खाना खाए भी कितने दिन हो गये .है ना भाय्या .? " उस ने अपने प्यारे भैया की भी हामी चाहिए थी .उसके बिना उसकी बात का वज़न नहीं होता ...
" अरे हां शिवानी ..यू आर आब्सोल्यूट्ली राइट ...." भैया ने भी अपनी हामी की मुहर लगा दी ...
अब शिवानी मोम को छोड़ भैया से लिपट जाती है ..." ओह भैया यू आर सो स्वीट .."
और उसके गालों को चूम लेती है ..
शशांक एक बड़े ही नाटकिया अंदाज़ से मुँह बनाता हुआ अपने गाल पोंछ लेता है ..मानो शिवानी के होंठों ने उसके गाल मैले कर दिए हों....
शांति की हँसी छूट जाती है शशांक के इस अंदाज़ पर शिवानी का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है
शशांक देखता है मामला गड़बड़ है
" अरे शिवानी ...क्या यार तू बात बात पे गुस्सा कर लेती है ..मैं तो मज़ाक कर रहा था .है ना मोम ??...ले बाबा अब जितना चाहे चूम ले मेरे गाल मैं नहीं पोंच्छूंगा ..."
और अपने कान पकड़ता हुआ गाल उसकी ओर बढ़ा देता है ...शिवानी मुँह फेर लेती है
शशांक अपने कान पकड़े पकड़े ही शिवानी के फिरे मुँह की ओर घूमता है और अपनी आँखों से इशारा करता है मानो उसे कह रहा हो " मान भी जा यार.." और अपना सर झूकए खड़ा रहता है अपनी प्यारी बहेन के सामने ..
शिवानी भी भैया का यह रूप देख अपनी हँसी रोक नहीं पाती और उसे फिर से गले लगती है और उसके गाल चूमती है " फिर ऐसा मत करना भैया ...."
शशांक फिर से अपने गालों को अपनी हथेली से पोंछता है ..पर इस बार अपनी हथेली चूम लेता है ....और बोलता है " ह्म्म्म्मम..शिवानी ने लगता है दीवाली की मीठाइयाँ कुछ ज़्यादा ही खाई हैं ..."
इस बात पर फिर से सब हंस पड़ते हैं .....
और इसी तरेह हँसी , खुशी , प्यार और तिठोली में शिव-शांति के परिवार के दिन गुज़रते जाते हैं ...
शशांक और शिवानी के रिश्तों में गर्मी , जोश और जवानी के उमंगों की ल़हेर ज़ोर पकड़ती जाती है .....
शांति और शशांक के रिश्ते भी और मजबूत होते जाते हैं और नयी उँचाइयों की ओर बढ़ते जाते हैं. ....
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