RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
अपडेट 19 :
दोनों भाई-बहेन को एक दूसरे की बाहों में छोड़ते हैं ..और ज़रा चलें शिव-शांति के कमरे में..देखें दोनों पति-पत्नी क्या कर रहें हैं ...
आज शांति को जल्दी उठने की कोई चिंता नहीं .... पर उसे बाथरूम जाने की तलब जोरों से लगी है ....वो अलसाई , आधी नींद में उठ ती है और टाय्लेट के अंदर जाती है ...नाइटी उपर उठाते हुए टाय्लेट-सीट पर बैठ ती है ....उसकी चूत के होंठों पर , जांघों पर सभी जगेह कल रात के तूफ़ानी प्यार के निशान मौज़ूद थे...
उन्हें देख वो मुस्कुराती है .. शशांक के साथ बीताए उन सुनहरे पलों की याद आते ही सीहर उठ ती है ...उफ़फ्फ़ कितना प्यार करता है मुझ से....
मेरी झोली में अपना सारा प्यार एक ही दिन लूटा देने को कितना उतावला था ..कितनी तड़प थी शशांक में .... इस कल्पना मात्र से ही उसकी चूत फड़कने लगते हैं .....वो उठ ती है और अच्छी तरेह अपनी चूत और जांघों की सफाई करती है ... शशांक के लंड के साइज़ ने भी उसे मदमस्त कर दिया था ..उफ़फ्फ़ कितना लंबा, मोटा और कड़ा था ..जितना प्यार करता था साइज़ भी वैसा ही था ......
फिर से शशांक के लंड को अपनी चूत के अंदर होने की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत रीस्ने लगती है...उफ़फ्फ़ .....यह कैसा प्यार है...
वो फिर से अपनी चूत पोंछती है और अपने बीस्तर पर शिव के बगल लेट जाती है....
इधर शिव भी रात की अच्छी नींद से काफ़ी रिलॅक्स्ड महसूस कर रहा था ..उसकी आँखें भी खूल जाती हैं .....पर सुबेह की ताज़गी का आनंद उसके लंड को भी आ रहा था ..और नतीज़ा ...उसके पाजामे के अंदर तंबू का आकार लिए उसे सलामी दे रहा था ...
उसके होंठों पर मुस्कुराहट आती है ....शांति अभी अभी टाय्लेट से आई थी ..उसके चेहरे पर भी एक शूकून , आनंद और मस्ती थी ..उसके चेहरे पर भी मुस्कान थी ...और बीखरे बाल , नाइटी के अंदर से झान्कति हुई उसकी सुडौल चूचियाँ ...शिव की नज़र उस पर पड़ती है ..उसे एक टक निहारता रहता है ...
शांति की नज़रें उसकी नज़रों से टकराती हैं ...शांति को आनेवाले पलों की झाँकी शिव की आँखों में सॉफ सॉफ नज़र आ जाती है ....
" ऐसे क्या देख रहे हो शिव ..मुझे कभी देखा नहीं .??" शिवानी की आवाज़ में कल रात की मस्ती , और अभी सुबेह का अपने पति के लिए उमड़ता हुआ प्यार लाबा लब भरा था...उसे अच्छी तरेह महसूस हो गया , प्यार बाँटने से और भी बढ़ जाता है....
" ह्म्म्म्म..देखा तो है शांति पर सुबेह सुबेह इतने इतमीनान से तुम्हारे रूप को पी जाने का मौका कभी कभी ही मिलता है..." कहता हुआ शिव की नज़र और भी गहराई लिए शांति को नंगा करती जा रही थी ..
शांति उसकी इस पैनी और उसे उसके नाइटी को भेदती हुई अंदर तक झान्कति नज़र से अपने अंदर कुछ रेंगता हुआ महसूस करती है ....
अपना सर शिव के सीने के उपर छुपा लेती है , और बोलती है
" बड़े बे-शरम हो तुम भी... कोई ऐसे भी देखता है भला.."
शिव उसके इस बात पर मर मिट ता है , शांति को अपनी तरफ खींचता है और अपनी टाँगें उसकी जांघों के उपर रखता है ...उसका तननाया लंड नाइटी के उपर उपर ही शांति की चूत से टकराता है ...
शांति सीहर उठ ती है ...
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