RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
शाम हो चूकि थी ..अंधेरा घिर आया था और दिए की रोशनी से सारा घर जगमगा उठा था ..शिवानी के लिए तो इस बार दिए से उठ ती लौ ने सिर्फ़ उसके घर को ही नहीं बल्कि उसके जीवन में भी एक नयी रोशनी ले आई थी ..वो बहोत खुश थी...
वो दिए की थाली अंदर रख कर शशांक के पास आती है.... उसकी ओर बड़े प्यार से देखती है और बोलती है ..
" भैया , पापा और मोम आते ही होंगे ..चलो तैयार हो जाओ ...मैं भी तैयार हो जाती हूँ ..बताओ ना मैं क्या पहनूं..??""
" अरे तू तो कुछ भी ना पहनेगी ना तब भी कितनी अच्छी लगेगी ...तेरा फिगर भी कितना मस्त है ..बिल्कुल मोम की तरेह ...." शशांक उसे छेड़ते हुए कहता है ..
शिवानी उसके गाल पर एक प्यारा सा चपत लगाती है ...
" ह्म्म्म्म ..लगता है आज तुम ने मुझे कुछ ज़्यादा ही देख लिया .....अच्छा बाबा मज़ाक छोड़ो ना ...बताओ ना क्या पहनूं ..?'"
" हां यार तुम ठीक बोल रही हो..मैने तुम्हें बिना कपड़ों के इतना देख लिया कि अब तू कपड़ों में अच्छी लगती ही नहीं ....." शशांक फिर छेड़ता है उसे ..
" ओओओः भैया तुम भी ना .." उसके सीने पर मुक्का लगाती हुई बोलती है '" जल्दी बोलो ना , पापा मोम के आने का टाइम हो रहा है ..कुछ तो सोचो ना ... "
" ठीक है बाबा ..तू साड़ी पहेन ले .... वो शिफ्फॉन वाली है ना ..."
और फिर शिवानी बिना देर किए मूड कर भागती हुई अपने कमरे की ओर चली जाती है अपने भैया की पसंद की साड़ी पहेन ने..
शशांक भी अपने कमरे में जाता है चेंज करने को ...
शशांक गले वाला कुर्ता और मॅचिंग चूड़ीदार पाजामा पहेनता है ...
दोनों भाई बहेन तैय्यार हो कर बाहर हाल में आते हैं ..दोनों एक दूसरे को बस एक टक देखते रहते हैं ..
शिवानी साड़ी में कितनी अच्छी लग रही थी . साड़ी नाभि से नीचे बाँध रखी थी उस ने ..पतली झीनी शिफ्फॉन उसके स्लिम फिगर में कितनी फॅब रही थी ....ब्लाउस छोटा सा ...बस ब्रा को ढँकते हुए ... उसकी हर चीज़ जितनी ढँकी थी उतनी ही दीखती भी थी ...
यही तो है साड़ी का कमाल ..जितना ढँकती है उस से ज़्यादा उघाड़ती है....
शशांक का भी मस्क्युलर फिगर सिल्क के कुर्ते से उभर कर बाहर आ रहा था ..
शिवानी आरती की थाली हाथ मे लिए शशांक के साथ बाहर बरामदे में खड़ी अपने पापा और मोम का इंतेज़ार करती है ...
थोड़ी ही देर में दोनों आ जाते हैं...
शिव और शांति कार से उतरते हैं , उनका घर दिए से सज़ा है ..जगमगा रहा है और दोनों भाई बहेन उनके स्वागत में खड़े हैं ...
शिव शांति खुशी से फूले नहीं समाते अपने बच्चों के प्यार से ....
शशांक और शिवानी उनकी आरती उतारते हैं और उनके पैर छूते हैं
दोनों अपने मोम और पापा से गले मिलते हैं ... आशीर्वाद लेते हैं ..
शांति जब शशांक को गले लगाती है , सीने से लगाती है ..उसके गाल चूमती है .. थोड़ा चौंक जाती है ..आज शशांक उस से गले लगता है..पर अपने आप को थोड़ा अलग रखता है अपनी मोम के सीने से ..रोज की तरेह चीपकता नहीं ....शांति समझ जाती है .... उसे यह भी समझ आ जाता है शशांक को कितनी परेशानी हो रही है अपने आप को रोकने में ....उसका शरीर इस कोशिश से कांप रहा था ... किसी चूंबक से लोहे को जबरन अलग किया जाए तो बार बार वो चूंबक की ही तरफ जाएगा ...पर ज़ोर अगर ज़्यादा हो तो लोहा हिलता ही रहेगा , चूंबक से चीपकने को......कुछ ऐसी ही हालत शशांक की थी ...
शांति उसके इस बदलाव से कांप उठ ती है ...." उफफफ्फ़ ...मुझ से इतना प्यार..?? " उसकी आँखें भर आती हैं ..वो फ़ौरन अपना चेहरा दूसरी ओर करते हुए अपने कमरे की ओर जाने लगती है
" बच्चों तुम वेट करो ..मैं भी तैयार हो कर आती हूँ.." जाते जाते शांति कहती है..
हॉल में शिवानी और शशांक रह जाते हैं
शिवानी अपने भैया की हालत समझ जाती है ....वो बोल उठ ती है
" हां भैया तुम सही में मोम की पूजा करते हो ..यही फ़र्क है प्यार और पूजा में ...."
" शिवानी ..... "शशांक उसकी ओर देखता हुआ कहता है" अपनी सुंदरता की देवी पर , अपनी मोम के आँचल में कोई भी आँच नहीं आने दूँगा ..कभी नहीं ..."..शशक की आँखों में एक दृढ़ता , एक निश्चय है ...
" हां भैया मैं जानती हूँ ...और मैं यह भी जानती हूँ कि आप की पूजा जल्द ही सफल होगी ..."
थोड़ी देर में शांति और शिव दोनों बाहर आते हैं .. उनके साथ दीवाली मनाते हैं ..फुलझड़ियाँ छोड़ते हैं ..पटाखे चलाते हैं ..और यह दीवाली उनके जीवन में नयी रोशनी ..नयी आशायें और रिश्तों के नये रूप का धमाका ले कर आती है...
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