RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
शशांक का पूरा बदन झन झना उठता है...सीहर जाता है , उसकी रही सही रुकावट का बाँध फूट जाता है ....
वो आआहएं भरता है " आआआआआआः ..शिवाााआआआआआअनी..."
और फिर वो भी उसे अपने में जाकड़ लेता है पूरी तरेह...शिवानी उसकी जाकड़ में खो जाती है ...अपने आप को भूल जाती है उसकी मजबूत बाहों में..... ..कुछ देर तक उसके सीने पर अपना सर रखे उसे निहारती रहती है ...फिर कुछ सोचती है ..और .शिवानी अपने को अलग करती है , एक झटके में अपना टॉप और स्लॅक्स उतार देती है ....
नंगी हो जाती है बिल्कुल...और घूटनों के बल , जंघें फैलाए शशांक के सामने बैठ जाती है ..
शशांक के सामने उसकी गदराई और अनछुइ जवानी बे-परदा है ...सिर्फ़ शशांक के लिए ....सिर्फ़ शशांक से मिलनेवाले मीठे दर्द के अहसास के लिए ...
थोड़ी देर दोनों एक दूसरे को देखते हैं ..दोनों की आँखों में आग सुलग रही थी ... एक ऐसी आग जिसकी लपट में दोनों झुलसने को बेताब हो उठ ते है...यह थी जवानी की आग.....
शशांक के सामने शिवानी का मक्खन जैसा पेट , जांघों के बीच टाइट फाँक , फाँक के बीच गीलापन , कड़क उछलती हुई गथीली चूचियाँ , फड़कते हुए रस से भरपूर होंठ ...बड़ी बड़ी आँखें हसरत , ललक और चाहत से भरी .....
शिवानी ने अपने को पूरी तरेह उसके सामने रख दिया.....कुछ भी बाकी नहीं था अब ...यह .शशांक की मर्दानगी को शिवानी की चुनौती थी ....
शशांक उठ ता है और खुद भी नंगा हो जाता है .. वो भी घूटनों के बल शिवानी के सामने बैठ जाता है...
उसकी मर्दानगी भी नंगी हो जाती है ... ऐसी मर्दानगी जिसके आगोश में कोई भी औरत हंसते हुए अपना सब कुछ लुटा दे ..शिवानी बस आँखें फाडे उसे देखती है ..चौड़ा सीना , गठिला बदन ..मजबूत बाहें और फनफनाता और कडेपन से हिलता हुआ 8" का लंड ..
शशांक ने उसकी चुनौती स्वीकार कर ली ....
वो उस से लिपट जाती है ...उसके सीने पर सर रखे , अपनी बाहों से उसे जाकड़ लेती है ...आँखें बंद और सर सीने में छुपा ....उसकी औरत ने आत्मसमर्पण कर दिया उस मर्द को ....शिवानी कांप रही थी
शशांक उसे फिर से अपनी गोद में उठाता है ..और उसे लिटा देता है ...
पहली बार दोनों को नंगे शरीर से स्पर्श का अद्भुत और रोमांचक अनुभव होता है ...नंगे शरीर की गर्मी , उसकी कोमलता , उसकी मांसलता का अहसास होता है.... शिवानी इस आनंद से चीख उठ ती है ....
उसकी चूत से पानी रिस रहा था ..उसकी चूचियाँ शशांक के हाथों के स्पर्श मात्र से कड़ी हो गयी थी...उसकी घुंडिया कड़ी हो गयी थी...
शशांक उसके उभरे स्तन को मुँह मे लेता हुआ घूंड़ी के उपर अपनी जीभ फिराता है..शिवानी कांप उठ ती है .... उसका सर दबाती है अपनी चूची की तरेफ ....शशांक उसे अपने मुँह में भर लेता है ..चूस्ता है ..शिवानी को ऐसा महसूस होता है उसका सब कुछ अब बाहर निकल जाएगा '..उसके चूतड़ अपने आप उछल पड़ते हैं .... शशांक का लंड शिवानी की जांघों के बीच टकराता जाता है ...
शशांक का भी बूरा हाल है....
उसका कडपन अब उस से सहेन नहीं होता ..उसे लगता है इसे अब गर्मी चाहिए ...उसे अब किसी कोमल घर्षण की ज़रूरत है ..और यह कोमल और मुलायम घर्षण उसे शिवानी के अंदर ही मिल सकता है ...उफ़फ्फ़ यह कितना नॅचुरल रिक्षन था ...किसी को बताने की ज़रूरत नहीं होती ..अपने आप होता जाता है...
वो शिवानी के चूतड़ो को उठाता है ..उसके नीचे तकिया रखता है ..शिवानी पैर फैलाती है ..उसकी कसी चूत में पतली सी फाँक दीखती है ..गुलाबी फाँक ...बिल्कुल गीली ...
शशांक उसकी जांघों के बीच आ जाता है , अपना कड़क हिलता हुआ लंड हाथों में लेता है ..शिवानी अगले कदम की कल्पना से सीहर उठती है ..आँखें बंद कर लेती है ..
शशांक सुपाडे को उसकी पतली फाँक पर लगाता है .... लंड की गर्मी शिवानी को महसूस होती है ..चूत बहोत गीली है , बहोत फिसलन है , बहोत कसी है ..लंड पर ज़ोर लगाता है शशांक , सुपडा अंदर जाता है ....शिवानी की जाँघ फैल जाती हैं ... शशांक थोड़ा थूक लगाता है ....और ज़ोर लगाता है ...शिवानी भी टाँगें पूरी फैला देती है....चूतड़ उपर उठाती है ...उसका लंड और भी अंदर जाता है ...
उफफफफफ्फ़ कितनी गर्म है , कितना टाइट है शिवानी की चूत , शशांक को ऐसा महसूस होता है मानो किसी के हथेलियों ने उसके लंड को बूरी तरेह जाकड़ रखा हो ..करीब आधे से ज़्यादा लंड अंदर है ...
शिवानी की आँखों में पीड़ा है ..दर्द है पर होठों पर मुस्कान ..दर्द भरी मुस्कान ...
शिवानी की आँखों से दर्द से भरे आँसू टपकते हैं ..पर होठों पर अभी भी मुस्कान है ....दर्द आख़िर मीठा है ना ....
शशांक उसकी ओर देखता है .....उसके आँसू को चूम लेता है ..चाट जाता है ...
शिवानी आत्मविभोर है ....
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