RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
अपडेट 10:
जैसे ही शशांक बाहर आता है उसकी नज़र बाहर दरवाज़े पर खड़ी शिवानी पर पड़ती है ...अपनी भवें सीकोडता हुआ उसे देखता है ....
" तू यहाँ क्या कर रही है ..??" थोड़े गुस्से से उस से पूछता है...पर शिवानी की आँखों में भी आँसू छलकते देख चूप हो जाता है ...
" मैने सब कुछ देखा भी और सुना भी भैया ....आप सच में कितना प्यार करते हो ना मोम से ..??इतना तो शायद मैं भी नहीं कर पाऊँ कभी किसी से ..."
" हां मेरी गुड़िया ..मैं बहोत प्यार करता हूँ ..बहोत ... " अभी भी शशांक का चेहरा थोड़ा उदासी लिए होता है ....
" कम ओन भैया ..चियर अप ....आप क्या सोचते हैं मोम चूप बैठेंगी...कभी नहीं ...आप देखना आप को आप का प्यार मिलेगा और भरपूर मिलेगा ..." शिवानी ने अपने प्यारे भैया का मूड ठीक करने को आँखों से आँसू पोंछ मुस्कुराते हुए कहा....
" आर यू शुवर शिवानी..? उफ़फ्फ़ अगर ऐसा हो गया तो मेरी जिंदगी के वो पल सब से हसीन पल होंगे.. तेरे मुँह में घी शक्कर .." शशांक ने आहें भरते हुए कहा ....
" अरे बिल्कुल होगा भैया और हंड्रेड परसेंट होगा ...आख़िर मेरे ही भैया हो ना आप...और मेरी चाय्स भी कोई ऐसी वैसी थोड़ी ना होती है ...जिस पर मैं मरती हूँ ..वो जिस पर मारे उस की तो खैर नहीं ...और एक बात भैया ..मुझे अपने मुँह में घी शक्कर नहीं चाहिए ...कुछ और ही चाहिए ." शिवानी अपने भैया के गालों पर पिंच करते हुए एक बड़ी शरारती मुस्कान चेहरे पे लाते हुए बोलती है ....
शशांक उसकी इस बात पर उसे आँखें फाड़ कर देखता है और उसके गालो पे हल्की सी चपत लगाता है
" तू भी ना शिवानी...कुछ भी बोल देती है ...." फिर हँसने लगता है और अपने गालों को जहाँ उस ने पिंच किया था , सहलाता है ...और थोड़ा झुंझलाते हुए कहता है
"अरे बाबा तू कैसे बोलती है यार ..मेरी समझ में तो कुछ नहीं आता ... "
" अब सब कुछ क्या यहीं खड़े खड़े बताऊं ??...पापा आते ही होंगे ..चलो तुम्हारे कमरे में ..मैं बताती हूँ मेरे भोले भैया .." और शिवानी उसका हाथ थामे उसे घसीट ती हुई उसी के कमरे में ले जाती है...
शिवानी अंदर घूस्ते ही झट पलंग पर लेट जाती है..और शशांक के लिए जगेह बनाते हुए उसे भी अपने पास आने का इशारा करती है....पर शशांक उसके बगल में लेटने की बजाए एक कूर्सी खींच पलंग से लगाते हुए उसकी बगल बैठ जाता है ...शिवानी उसकी ओर देखते हुए थोड़ा मुस्कुराती है और मन ही मन सोचती है :
" आख़िर कब तक .अपने आप को बचाओगे भैया ....? जब मेरे छूने से ही तुम्हारे अंदर इतना तूफान आ सकता है के तुम बाथरूम के अंदर तूफान के झोंके शांत करो....फिर यह तूफान मेरे अंदर शांत होने में देर नहीं ..."
" अरे क्या सोच रही है ..चल जल्दी बता ना ...."
" बताती हूँ बाबा बताती हूँ...देखो मोम कोई ऐसी वैसी औरत तो हैं नहीं के तुम ने बाहें फैलाई और वो तुम्हारी बाहों के अंदर घूस जायें ..? हां मैने जितना देखा और सुना तुम दोनों की बातें ..मोम को तुम ने हिला दिया है...उनको सोचने पर मजबूर ज़रूर कर दिया है "
" अच्छा ..?? पर यार शिवानी तुम इतनी छोटी सी प्यारी सी गुड़िया ..तुम्हें इतना सब कैसे पता हो जाता है..."शशांक ने उस की ओर हैरानी से देखा ....
" ह्म्म्म्मम..भैया आप भी तो मोम की नज़र में एक बच्चे हो..फिर भी आप ने अपनी बातों से साबित कर दिया ना के आप भी एक मर्द हो अब ....बच्चे नही..??" शिवानी ने करारा जवाब दिया शशांक को ...
शशांक फिर से हैरान हो जाता है ...और उसकी आँखों में शिवानी के लिए प्रशन्शा झलकती है ..
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