RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
अपडेट 8 :
शशांक और शिवानी दोनों अगल बगल बैठे मोम के आने का इंतेज़ार कर रहे थे...थोड़ी देर दोनों चूप थे ..पर शिवानी ने शांत रहना सीखा ही नहीं था ...उसका शैतानी दिमाग़ भला शांत कैसे रह सकता ...
उसका मुँह बंद था ..पर हाथ और पैरों ने हरकत चालू कर दी ......उसके शशांक के बगल वाले पैर के अंगूठे ने शशांक के घूटने से नीचे नंगे पैर की पिंडली को कुरेदना चालू कर दिया और हाथ की उंगलियाँ सीधा पहून्च गयीं उसके बॉक्सर के उभार पर और वहाँ सहलाना चालू कर दिया ..शशांक इस एक दम से हमले पर चिहूंक उठा ...(शशांक जब अपने बेड रूम में वॉश करने को आया था उस ने एक लूस टॉप और बॉक्सर पहेन ली थी )
" उफफफफ्फ़ ...शिवानी ..यार तू क्या कर रही है ..मोम आती होगी."
" अरे बाबा तुम चिंता क्यूँ करते हो भैया ..मोम को कुछ पता नहीं चलेगा ..तुम बस चूप रहो .." और शिवानी ने अपना काम जारी रखा ...
" तू भी ना शिवानी...पर तुम ने कहा था ना मुझे परेशान नहीं करोगी..?" तब तक शिवानी के हाथ पैर ने काफ़ी काम कर दिया था .शशांक का बॉक्सर बूरी तरेह उभरा हुआ था...
"हां कहा तो था भैया ..." शिवानी ने बड़ी कॉन्फिडॅंट्ली कहा
"तो फिर यह क्या है.." शशांक ने झुंझलाते हुए कहा
" यू नो ब्रो' मैने कहीं पढ़ा है 'एवेरितिंग इस फेर इन लव आंड वॉर ' और आप तो जानते हो , आइ आम इन लव "
शिवानी के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी ..
" हे भगवान मुझे इस पागल लड़की से बचा ...." उस ने अपने हाथ जोड़े और भगवान की ओर उपर देखा
तब तक शांति भी फ्रेश हो कर डाइनिंग टेबल की ओर बढ़ते हुए बोलती है
" अरे क्या हो गया शशांक बेटा ..यह भगवान को क्यूँ याद किया जा रहा है..." उन्होने एक चेर खींचा और बैठते हुए कहा .
" अरे कुछ नहीं मोम आज कल भैया बड़े धार्मिक हो गये हैं ना ..खाने से पहले भगवान को याद कर रहे हैं ..." शशांक कुछ बोलता उसके पहले ही शिवानी ने अपना जुमला छोड़ दिया ....और अपनी उंगलियों से उसके लंड को थोड़ी और ज़ोर से थाम लिया ..शशांक सीहर रहा था ...
शिवानी के बात पर शांति जोरों से हंस पड़ती है ..."ओके ओके ..चलो मज़ाक बंद और खाना शूरू करो.."
कहना ना होगा ..शशांक की नज़र अपनी मोम पर टीकी थी ....फ्रेश हो कर आने के बाद उन्होने निघट्य पहेन ली थी ... नाइटी के अंदर उनकी शेप्ली बॉडी की छटा ...बाल जुड़े में बड़ी सफाई से बँधे ...पूरी शरीर से एक बड़ी मादक सी खूशबू ....शशांक की नज़रें अटक सी गयीं अपने मोम की इस छटा पर ..
शांति शशांक की ओर देखती है ..उसे अपनी ओर एक टक देखते हुए पाती है ..उसे थोड़ा अनईजी फील होता है ..पर आखीर माँ से पहले वो भी एक औरत ही थी ..एक जवान , खूबसूरत और हॅंडसम लड़के का इस तरेह देखना.... उसे थोड़ा गर्व भी महसूस हुआ .. इस उम्र में भी उसमें काफ़ी खूबियाँ हैं ...
मुस्कुराते हुए वो बोलती है.."बेटा चल जल्दी खाना शूरू कर ...और हां शिवानी तुम भी ..."
" हां मोम .." बोलता हुआ शशांक खाना शूरू करता है ..शिवानी भी अपने खाली हाथ से खाना शूरू करती है ..पर उसका दूसरा हाथ अभी भी अपने क्रिया कलाप में व्यस्त था ..
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