RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
शिवानी शशांक के सीने पर अपना पूरा बोझ डाले , अपनी गोल गोल सुडौल चूतड़ उसकी पॅंट से चिपकाए अपने मुरझाए चेहरे पर फिर से एक शरारती मुस्कान लिए उसके साथ साथ आगे बढ़ती है सोफे की तरफ .
शशांक झुंझला उठता है अपनी बहेन की इस हरकत से ..पर अपने आप को संभालता है ....उसका लंड अंदर ही अंदर शिवानी के चूतड़ो की दरार से टकराता जाता है ...पर शशांक अपने आप को बड़ी मुश्किल से कंट्रोल किए सोफे पर बैठता है ....और शिवानी की कमर को थामते हुए उसे अपने बगल कर लेटा लेता है ...
शिवानी के चेहरे को अपनी हथेलियों से बड़े प्यार से थामता है और उसके गाल चूम लेता है ..शिवानी फिर से आँखें बंद कर लेती है और सोचती है " आज लगता है ऊँट पहाड़ के नीचे और मेरी चूत इसके लंड के नीचे आने ही वाली है.."
पर शशांक तो किसी और ही मिट्टी का बना होता है ....उसका लंड उसकी चूत पर तो नहीं पर हां उसकी हथेल्ली की हल्की चपत उसके गालों पर पड़ती है ..और शिवानी अपने लंड और चूत के सपनों से वापस आ जाती है ...
" देख शिवानी ..तू जानती है ना मैं तुझे कितना प्यार करता हूँ ..? "शशांक बड़े प्यार से उसे कहता है ..
" तो क्या मैं नहीं करती आप से..?"
"हां करती हो..शिवानी ..पर उस तरेह नहीं जैसे कोई बहेन अपने भाई से करती है ....देख , ना मैं ना तू ..कोई भी अब बच्चा नहीं रहा ....क्यूँ अपने आप को धोखे में रख रही है गुड़िया ..?? प्लीज़ होश में आ जा ... "
" भैया मैं पूरे होश-ओ-हवास में हूँ ..और आप भी जानते हो मैं कोई बच्ची नहीं रही ..."
" तभी तो कह रहा हूँ ना मेरी बहना ....क्यूँ तू मेरे पीछे पड़ी है ..अपने क्लास में तुझे कोई लड़का पसंद नहीं ..? मेरी रानी बहना ..अपना बॉय फ्रेंड बना ले .."
" भैया एक बात पूछूँ ..? "
" हां पूछ ना शिवानी .." शशांक उसके बालों को सहलाता हुआ कहता है..
" आप की क्लास में भी तो कितनी हसीन, जवान और खूबसूरत लड़कियाँ हैं ..मैं जानती हूँ आप किसी को भी आँख उठा कर नहीं देखते ...आप ने अब तक अपनी गर्ल फ्रेंड क्यूँ नहीं बनाई..?"शिवानी की बात से शशांक चौंक जाता है .....उसकी गुड़िया अब गुड़िया नहीं रही ..वो भी अब इन बातों को समझती है ... उसे ऐसे ही फूसलाया नहीं जा सकता ..कूछ ना कूछ तो करना पड़ेगा ...
शशांक कुछ देर खामोश रहता है और शिवानी की तरेफ देखता है ...
" क्यूँ भैया चूप क्यूँ हो गये ..?? " शिवानी भी शशांक की आँखों में झाँकते हुए कहा ...
" तू क्या जान ना चाहती है..सच या झूट..?? "
" भैया ...मैं आप का सच और झूट सब जानती हूँ ..पर मैं आप के मुँह से सुन ना चाहती हूँ..हिम्मत है तो बोलिए ना .." शिवानी ने शशांक को लल्कार्ते हुए कहा ..
शशांक आज शिवानी की बातों से एक तरफ तो हैरान था पर दूसरी तरेफ मन ही मन उसकी इतनी बेबाक , स्पष्ट और निडर तरीके से बात करने के अंदाज़ का कायल भी हो गया था ....
शिवानी अब बड़ी हो गयी थी ...
"ह्म्म्म ठीक है तो सुन ..मैं मोम से बहोत प्यार करता हूँ शिवानी ..बे-इंतहा ....उनके सामने मुझे कोई और नज़र नहीं आता ... तू भी नहीं .." शशांक ने भी शिवानी की ही तरेह उसे दो टुक जवाब दिया .
पर शिवानी उसके जवाब से ज़रा भी विचलित नहीं हुई....बलके उसकी आँखों में उसके लिए आदर और प्रशन्शा के भाव थे..
" भैया ...मेरे प्यारे भैया ..बस उसी तरेह मैं भी आप को प्यार करती हूँ बे-इंतहा ....मुझे भी कोई आप के सामने नहीं दीखता ....और एक बात , आप ने जिस तरेह मोम के बारे मुझे बिना कुछ छुपाए सब कुछ बताया ...मेरी नज़र में आप और भी उँचे हो गये हो...आप ने मुझ से झूट नहीं कहा ..कोई भी बहाना नहीं बनाया ..मेरी भावनाओं की कद्र की ...और सूनिए ..मैं आप से कुछ भी एक्सपेक्ट नहीं करती ....बस सिर्फ़ आप मुझे इस तरेह नसीहतें मत दें ..आप अपनी राह चलिए ..मैं अपनी राह ....शायद हम दोनों की राह शायद कहीं , कभी मिल जाए..???"
शिवानी इतना कहते कहते रो पड़ती है ... उसकी आँखों से आँसू की धार फूट पड़ती है ..
शशांक उसे अपने गले से लगा लेता है ...उसकी पीठ सहलाता है ..उसकी आँखों से आँसू पोंछता है और कहता है ..
" शिवानी ....शिवानी ..मत रो बहना ..एक प्यार करनेवाला ही जानता है प्यार का दर्द ..मैं समझता हूँ ...पर तू भी समझती है ना मेरी मजबूरी ..?? "
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