RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
शाम के 4 बज चूके हैं ..आज शशांक की क्लास थोड़ी जल्दी ही छूट गयी ..लास्ट पीरियड वाले सर ने जल्दी ही क्लास छोड़ दिया था ...
वो अपनी बाइक पर बैठा शिवानी का इंतेज़ार करता है ..उसे आने में अभी कुछ देर और है..करीब आधे घंटे और..
वो वहाँ बैठा उसी का बारे सोचता है ....वो अपनी बहेन से बहोत प्यार करता है..पर सिर्फ़ एक छोटी भोली भली नाज़ुक सी गुड़िया सी बहेन की तरेह ..उसके लिए कुछ भी कर सकता था ...उसके हर नखरे उठाता , सहता और उसे हमेशा खुश देखना चाहता ..
पर इधर कुछ दिनों से उसे शिवानी के व्यवहार ने परेशान कर दिया था ....वो समझता था कि शिवानी क्या चाहती थी .पर लाख कोशिश के बावज़ूद उसे अपनी बहेन के बारे ऐसे सेक्षुयल विचार नहीं आते ... उसके लिए वो इतनी कोमल , नाज़ुक और ज़हीन थी कि उसे किसी भी तरेह की कोई तकलीफ़ और दर्द देने के बारे सोच ही नहीं सकता ...उसके सामने वो एक गुड़िया थी जिसके साथ सिर्फ़ प्यार और दुलार किया जा सकता . जिसको फूल जैसे संभाल के रखना चाहिए ...हमेशा सुगंधित और तरो-ताज़ा वरना कहीं उस फूल की पंखुड़िया नीकल ना जायें ...
इन्ही उधेड़बून में खोया था के शिवानी आ जाती है ..
शशांक के पीठ पर एक हल्का सा मुक्का लगाती है ....
" ओह भैया ..कहाँ खो गये हो ...अरे बाबा मैं आ गयी ...चलो ना घर ..."
शशांक अपने ख़यालों से वापस आता है ..
" हां मेरी गुड़िया ....तेरे आने की खबर तो सारे शहेर वाले जान गये .. अफ ..कितने जोरों का मुक्का लगाई रे .." शशांक ने दर्द होने का नाटक किया ....
" अरे उफफफ्फ़. सॉरी भैया..क्या सही में ज़ोर से लगा ..?? लाओ मैं पीठ सहला दूं " शिवानी ने यह सुनेहरा मौका हाथ से लपक लिया ..... शशांक के पीछे चीपक कर बैठ गयी और उसकी पीठ सहलाने लगी ...." कहाँ लगी ..बताओ ना प्लीज़.."
" अरे बाबा अब ज़्यादा नौटंकी मत कर ... अब ठीक है ..कहीं कोई दर्द वर्द नहीं ..ठीक से बैठ , घर चलते हैं ...वहाँ बातें करेंगे ...आज तुझ से काफ़ी कुछ कहना है .." शशांक ने कहते हुए अपनी बाइक किक की और बाइक स्टार्ट कर एक व्रूम - ज़ूम की आवाज़ के साथ कॉलेज से बाहर निकलती गयी.
" ओह भैया ...आज क्या हो गया ....कहीं मैं ग़लत तो नहीं सुन रही ....आप ने क्या कहा वो ..मुझ से बातें करेंगे ..??" शिवानी का दिल उछल पड़ा था ..शशांक से अकेले में बात करने की संभावना से ...उसे विश्वास नहीं हो रहा था
" अरे हां बाबा ..मैं क्या अपनी गुड़िया से बातें नहीं कर सकता ..?" शशांक ने बाइक को धीमी करते हुए कहा ...
"अरे क्यूँ नहीं ..पर रोज तो आप बस नसीहतें ही देते हो...बातें तो कभी नहीं करते ..." शिवानी ने शिकायती लहज़े में कहा
" चलो आज तुम्हारी शिकायत दूर कर देता हूँ ...अब चूप चाप बैठ " और शशांक ने बाइक की स्पीड बढ़ाते हुए घर की ओर बढ़ता जाता है..
"ओह्ह्ह..भैया....आइ लव यू ..यू आर छो च्वीत ,,," शिवानी उस से और चीपक कर बैठ जाती है और अपने भाई के कंधे पर अपना सर रखे बाइक पर बैठे हवा के झोंको का आनंद लेती जाती है ..
थोड़ी देर में ही दोनों घर पहून्च जाते हैं ....शशांक बाइक रोकता है ..शिवानी उतर जाती है और घर के अंदर दाखील होती है...शशांक गाड़ी स्टॅंड पर खड़ी कर उसके पीछे पीछे अंदर जाता है ..
अंदर शांति सोफे पर अढ़लेटी बैठी है ..सर सोफे पर टीकाए ...उसे देख दोनों भाई बहेन पहले तो चौंक जाते हैं ., पर फिर शशांक के चेहरे पर एक बड़ी चौड़ी मुस्कान आ जाती है ....
" अरे मोम आप अभी यहाँ ..? दूकान पर डॅड अकेले हैं ..?? क्या हुआ ..?" शशांक थोड़ी चिंता करते हुए पूछता है ...
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