RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
मैं कब तक सोता रहा , मुझे होश ही नही था ...मुझे मेरे होंठों पे कुछ गीला और गर्म सा महसूस हुआ ..मेरी आँख खूल गयी ..देखा तो भारती मेरे होंठ चूम रही थी , सुबेह सुबेह उठाने का नायाब तरीका ..
" अरे बाबा ..उठो ना ....""
मैं अंगड़ाइया लेते हुए , उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसे भी जवाबी किस करना शूरू कर दिया ..
"उफफफफफफ्फ़ ...तुम प्रीतू ... सारी रात मेरी चूत और गान्ड का बजा बजा दिया तुम ने ..अब भी कुछ बाकी है क्या ..?? "
"मेरी जान ..बाकी बहोत कुछ है .... "
"ठीक है ..ठीक है ..बाकी बाद के लिए भी रहने दो ... " भारती ने अपने को छुड़ाते हुए कहा ....
"भारती ..बाद किस ने देखा है ..?? कल हम रहें ना रहें ..???''
यह सुन ते ही उस ने मेरी ओर गुस्से की निगाहों से देखते हुए कहा" ऐसा मत बोलना फिर कभी .. ना बोलना ना सोचना ....मेरी सूखी जिंदगी में तुम ने अपने प्यार से जो हरे भरे पौधे लगाए हैं ...उन्हें मुझे भी तो बड़ा करना है..ना ..अपने प्यार से ...ऐसी अशुभ बात मत करो..चलो उठो ..तुमें भी तो अपने ऑफीस जाना है या नहीं ..?? "
और ऑफीस का नाम सुन ते ही मैने घड़ी देखी ... और हड़बड़ाता हुआ उठा ..."अरे बाबा रे बाबा तुम तो बिल्कुल मेरी बीबी बन गयी यार ....वो भी मुझे ऐसे ही उठती है..अरे बाबा ऑफीस तो जाना ही है ,आज तो एक ज़रूरी मीटिंग भी है.."
मैं उठा , हाथ मुँह धो कर कपड़े पहने , भारती को गले लगाया और फिर फ़र्राटे के साथ कार दौड़ाते हुए घर पहून्चा .
इसी तरेह हमारे दिन गुजर रहे थे ..यह एक ऐसा पड़ाव था मेरी जिंदगी का ..जहाँ प्यार की घनी छाँव थी ... सेक्स का कल्कल करता झरना था ..शीतल ..स्वच्छता और प्यास बूझाने वाली ..मैं बहोत खुश था ..भारती खुश थी ...उसकी जिंदगी ही बदल गयी थी...उस ने अपने धंधे को बहोत ही कम कर दिया था ..बस कुछ ही गिने चूने कस्टमर्स को ही बुलाती ..उस का इरादा कुछ दिनो बाद इसे पूरी तरेह बंद करने का था ...बस उसे उस दिन का इंतेज़ार था जब गोपाल का बिज़्नेस अच्छी तरेह चल निकले ..
गोपाल भी यही चाहता था ..
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