RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
तभी स्वेता भी फ्रेश हो कर बाथरूम से बाहर आई ..और पूछा
"क्या हुआ प्रीत ..? संध्या कुछ अपसेट लग रही है ..तुम ने कुछ ऐसी वैसी हरकत तो नहीं की ..??"
"नहीं स्वेता ..मैने कुछ भी नहीं किया ..जब कि मेरा मन तो काफ़ी कुछ करने को कब से तड़प रहा है .."
"तो फिर वो ऐसे भागी क्यूँ जा रही थी ..?" उस ने पूछा
मैने उसे सारी बात बताई ...... मेरी बात सुन कर स्वेता उछल पड़ी ..और मेरे लौडे को हाथ से मसल दिया ..मैं चीख पड़ा ""ऊऊओ यह क्या कर रही हो यार ..ऐसे ही बेचारा संध्या की आँसू रो रहा है और तुम हो के बस.... उसे और रुला रही हो ..."
'ही ही ही ...अरे मेरे भोले राजा ...तुम्हारे लौडे का जादू संध्या पर बूरी तरेह छा गया है ..बस ऐसे ही चलने दो ..धीरे धीरे ..बस तुम्हारे लौडे को उसकी छूट में घूसने में अब ज़्यादा देर नहीं ..पर कुछ भी ग़लत कदम मत उठाना मेरे चुड़क्कड़ राजा ... चलो मुझे तो जोरों की भूख लगी है ..मैं संध्या को बुलाती हूँ और टेबल लगाती हूँ.."
स्वेता अपनी भारी और भारी भारी चूतडो को हिलाते हुए अंदर चली गयी....
थोड़ी देर बाद स्वेता और संध्या दोनों ने मिल कर टेबल लगा दिया और हम लोग खाने बैठ गये ..स्वेता टेबल के हेड वाली कुर्सी पर बैठ गयी , आख़िर वो घर की मालकिन थी ..और संध्या और मैं उसके दायें बायें . स्वेता आज अपने पूरे छेड़ खानी की मूड में थी ... उस ने संध्या की चिंगारी में और आग लगाने का काम शूरू कर दिया . खाते खाते उस ने टेबल के नीचे से ही अपने पैरों का कमाल दीखाना चालू कर दिया .
.उस ने अपने पैर के अंगूठे से मेरे पॅंट को उपर सरकाया और अपने तलवे से मेरी पिंदलियों को सहलाना चालू कर दिया ...मैं इस अचानक हमले से चौंक उठा ..पर फिर तुरंत सम्भल गया ..और चूप चाप खाना खाने लगा ..जैसे कूछ हुआ ही नहीं ... मुझे गुदगुदी हो रही थी ..मेरे मुँह से हँसी निकलते निकलते रुक गयी ... उधर संध्या इन बातों से बेख़बर मेरे सामने बैठी मेरी ओर ताकते हुए खाए जा रही थी ... उसके अंदर भी तूफान था .. धीरे धीरे स्वेता अपनी कुर्सी पर थोड़ा आगे की ओर खिसक गयी और अपने पैर मेरी पिंडली में और उपर कर लिया ..और उसका रगड़ना ज़ोर पकड़ता जा रहा था ..मेरी हालत खराब थी ... लॉडा मेरा फूलता जा रहा था ..मानो पॅंट चीरते हुए बाहर आ जाए ...मैने स्वेता की ओर देखते हुए उसे आँखों से इशारा किया कि "नहीं " पर उस पर तो भूत सवार था ... उस ने शरारत भरी मुस्कान लाते हुए कहा ..
" वाह कितना मज़ा आ रहा है ,,हे तुम ने कितनी अच्छी सब्जी बनाई है संध्या .." और फिर मेरी ओर देखते हुए कहा .. " मालूम है प्रीत ..यह सब्जी संध्या ने फटाफट 10 मिनट में ही बना डाली ..खास तुम्हारे लिए .."
"अच्छा ..थॅंक्स संध्या ..सच में सब्जी बड़ी टेस्टी है .. तुम तो बहोत गुणी हो .."
संध्या ने मेरी ओर देखा और मुस्कुरा दिया ...और इधर टेबल के नीचे की हरकतें ज़ोर पकड़ रही थीं ..स्वेता का अपने पंजों से मेरी पिंडली का रगड़ना तेज़ और तेज़ होता जा रहा था ... मैने भी सोचा स्वेता को भी कुछ सर्प्राइज़ दी जाए ..मैने धीरे से अपनी पॅंट का ज़िप खोल दिया .. और लॉडा बाहर निकाल दिया और थोड़ा आगे की ओर कुर्सी कर ली .. मेरे लौडे से पानी टपक रहा था ...शायद एक दो बूँद स्वेता के पैर पर भी गिरी ..वो चौंक गयी और हँसने लगी और अपनी कुर्सी को थोड़ा और आगे की ओर खींच लिया उस ने , अपने पैर थोड़ी और उपर कर मेरे लौडे की टिप को पैर के अंगूठे से रगड़ने लगी ..मैं सीहर उठा ... और स्वेता मुस्कुराए जा रही थी मेरी ओर देख देख ... मानो कह रही हो "क्यूँ ..कैसी रही..?? ""
"वाह वाह स्वेता ..तुम दोनों ने क्या खाना बनाया ..मज़ा आ गया ...मन कर रहा है उंगलियाँ तक चाट जाऊं ...वाााआआः .." और इधर उसकी टाँगों की हरकतों से मुझे ऐसा लगा कि अब मैं झाड़ जाऊँगा ...मैने जल्दी से खाना ख़त्म करते हुए कहा " बस ..बस अब और नहीं खाया जाएगा स्वेता ..मैं उठता हूँ ..." और झट लौडे को अंदर किया एक हाथ से और कुर्सी पीछे खींचते हुए उठ कर बाथरूम की ओर तेज़ कदमों से भागा , वहाँ पहून्च्ते ही दो जर जोरदार झटके दिए अपने लौडे को और लौडे ने पिचकारी छोड़ दी ..बहोत देर से बेचारा स्वेता की हरकतों से परेशान था ...फिर मैं हाथ मुँह धो बाहर आया .
तब तक उन दोनों ने भी खाना ख़त्म कर लिया था ..और फिर अंदर जा कर हाथ धो वापस बैठ गये .
पर मैने संध्या में एक अजीब बदलाव देखा ..उसका चेहरा लाल था ... और सांस तेज़ चल रही थी ... लगता है उस ने स्वेता की हरकतों को भाँप लिया था और उस से बर्दाश्त नहीं हो रहा था ..वो भी काफ़ी गरम थी शायद ... पर लाज और लिहाज ने उसे खूल कर इज़हार करने से रोक रखा था ..जिसका नतीज़ा था उसकी तेज़ सांस ...
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