RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
तब तक रामू ने चाइ की ट्रे टेबल पर रख दी थी ..हम दोनों चाइ की चुस्कियाँ ले रहे थे और बातें भी कर रहे थे ..बहोत ही सहेज ढंग से ...
" तो यह बात है ..मतलब हम दोनो का नज़रिया सेम टू सेम ....हा हा हा हा !!!" मैने कहा
" यस सेम टू सेम ...ही ही ही ही ही..!! " उ स ने जवाब दिया .. " अब जैसे आज ही देखो ..कित ने सहेज ढंग से हम लोग बातें कर रहे हैं और ऐसी बातें जो शायद कोई भी औरत किसी मर्द के सामने इतनी आसानी से नही कह पाएगी ..पर तुम्हारे सामने मुझे ज़रा भी संकोच , शर्म या झिझक नहीं आई ... बिकॉज़ यू मेक मी फील सो कंफर्टबल ... "
" थॅंक्स स्वेता , यू अंडरस्टॅंड ..थॅंक्स आ लॉट .." मैने कहा ..
सडन्ली उसकी निगाहें घड़ी पर गयीं .." अरे बाप रे इतना समय हो गया ..मैं चलूं शाह साहेब का फोन आने वाला ही होगा ..अगर फोन रिसीव नहीं हुआ तो बस समझो मेरी सामत ...कल फिर मिलेंगे इसी जागेह उसी समय ..ओके बाइ फॉर नाउ .." जाते जाते उस ने एक चिट मेरे हाथ में थमाया और कहा "इस में मेरा फोन नंबर है ..विल वेट फॉर युवर कॉल ..."
और फिर वो उठी और उसी तूफ़ानी चाल से बाहर निकल गयी ..और मैं उसकी हिलती , उछलती और मचलती जवानी को देखता रहा .....
उफ़फ्फ़ क्या चीज़ थी यह स्वेता भी ...सच में तूफान ... आती थी तो तूफान ..जब तक रहती थी तो तूफान , मेरे दिलो-दिमाग़ में और पॅंट के अंदर तूफान ..और जब जाती थी तो तूफान...आज पहली बार उसके चूतडो का उछाल , उनकी गोलाई और उभार मैने ध्यान से देखा ...मन किया के बस उन्हें मसल दूं...खा जाऊं ...पूरा मुँह उसकी दरार में घूसेड दूं और चूस लूं ..चाट लूँ..उसकी दरार हाथों से फैला उसके होल को चाट जाऊं ऊऊऊः क्या सेक्सी हिप्स थे ...और यह बात स्वेता जानती थी..उसकी चाल इस बात को चीख चीख कर उजागर करती थी .उसके हर कदम पर उसके चूतडो का उछाल बड़ा नपा तुला होता था ...लगता जैसे अब वो सारी की हदें पार कर , सारी सीमाओं को लाँघते हुए ...बस बाहर आने वाले हो ...मैं पागल हो उठा था ..
उसके चूतडो के ख़याल से जैसे तैसे बाहर आया और हाथ में उसके फोन नंबर की चिट देखा ..मेरे होंठों पे मुस्कुराहट थी... चिट को मैने चूम लिया ..नंबर अपनी डाइयरी में नोट कर लिया .. चिट को फाड़ कर डस्ट बिन में डाल दिया ..
रात को डिन्नर कर लेता था ... थोड़ी देर पहले ही बीबी और बच्चों से बातें हुईं थीं..मैं काफ़ी रिलॅक्स्ड फील कर रहा था ..सोने की तैय्यारि में था कि फिर स्वेता के चूतड़ आँखों के सामने आ गये ..आती हुई नींद उसकी चूतड की दरार में थी ....बूरी तराः उसके चूतड़ मे होल में फँसी थी ... मैं करवटें ले रहा था ..नींद आँखों से ओझल थी और कहीं और थी ...वहाँ से निकालना ही पड़ेगा ... और मैने अपनी डाइयरी में स्वेता का नंबर देखा ..और मेरी उंगलियाँ पहून्च गयीं मेरे फोन पर ..नंबर डाइयल किया ....रिंग जा रहा था ... कोई रेस्पॉन्स नहीं ....मैने दुबारा रिंग किया ..मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो रही थी .... कोई तो उठाओ फोन ..उठाओ ...और उधर से जानी पहचानी आवाज़ आई '"हेलो ..??''
" स्वेता ..मैं ... "
" हां तुम ही हो सकते हो भोले राम ....इतनी देर लगा दी फोन करने में ..?? मैं कब से फोन लिए बैठी थी ... बाथरूम भी नहीं जा रही थी ...और फिर जब नहीं रहा गया आख़िर ..तो गयी और जनाब ने रिंग किया ..कहो क्या हाल है ..??"
"बहुत बूरा .." मैने कहा
"अले अले ..क्या हुआ मेरे स्वीट स्वीट बच्चे को ...कौन परेशान कर रहा है ..मैं अभी उसकी खबर लेती हूँ ...जल्दी बताओ .."
"तुम्हारे चूतड़ ...." मैने तपाक से जवाब दिया .
मुझे ऐसा लगा जैसे उसकी रिसीवर हाथ से छूट गया था ..कुछ गिरने की आवाज़ आई ...
" माइ गॉड .... माइ गॉड ...तुम बहोत गंदे हो प्रीत ..."
"अब तुम मुझे गंदा बोलो या सॉफ ..मैने सच्ची बात बता दी ..स्वेता ..तुम्हारे चूतड़ है ही ग़ज़ब यार ...मेरी नींद भी वहीं अटकी है .. देखो ना कभी मेरी जान तुम्हारे अंदर अटकती है तो कभी नींद ..मैं क्या करूँ ..तुम्ही बताओ ...मैं क्या करूँ .."
" ह्म्म्म्म..लगता है मामला बड़ा सीरीयस है .... कुछ तो करना पड़ेगा .." और उधर से फिर वोही " ही ही ही ही ही .."
"हां हां, हंस लो हंस लो ..मेरी नींद और जान अटकी है और तुम्हें हँसी आ रही है ... "
" अरे बाबा हंसु नहीं तो और क्या करूँ ..अब इतने रात गये कैसे ढूंढू मैं उसे ..और वहाँ कितना अंधेरा होगा ..ही ही ही... "
" तुम्हें ढूँढने की ज़रूरत नहीं स्वेता ..मैं खुद ही निकाल फेंकूंगा उसे ..कैसे यह तुम जानती हो .."
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