RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
बार बार अपनी रिस्ट . की ओर देखता .. 12 बज गये ....12.15 हो गये ...12.30 ...पर सामने अभी भी सन्नाटा था ...क्या हुआ ...कहीं उन्होने प्रोग्राम चेंज तो नही कर दिया ..कहीं शाह साहेब तौर से वापस तो नहीं आ गये ....मेरी बेसब्री बढ़ती जा रही थी ...कि गेट खुलने की आवाज़ आई ...सामने जो नज़ारा था ...मेरी आँखें खुली की खुली रह गयीं ...
सामने स्वेता भाभी मेरी ओर अपनी तूफ़ानी चाल से आ रहीं थीं ..
उन्होने शिफ्फॉन की झीनी सी सारी पहेन रखी थी ...नाभि से नीचे ... पतले सिल्क का मॅचिंग ब्लाउस ... वी नेक ... और स्लीवेलेस्स ...
और सारी का पल्लू ऐसा डाल रखा था उनके नाभि से उपर तक पूरा पेट नंगा था ... ब्लाउस भी ट्रॅन्स्परेंट ... मैं बस देखता ही जा रहा था ... ब्लाउस के अंदर मॅचिंग कलर का ब्रा ने उनकी चूचियों के उभार को और भी बढ़ा दिया था ... मैं आनेवाले तूफान की कल्पना मात्र से सीहर उठा ...
उन्होने आते ही रोज की तरह मेरे हाथ अपने हाथों में लिए प्यार से सहलाया और पूछा "एक टक क्या देख रहे हो भाई साहेब ... " उनकी आँखों में शरारत थी ..
" भाभी आप तो आज ग़ज़ब ढा रही हैं ..यू लुक सो ब्यूटिफुल आंड स्मार्ट ... "
" अरे छोड़ो भी ..मज़ाक मत करो ..मैं और ब्यूटिफुल ... ?? शाह साहेब तभी तो मुझ से हमेशा दूर ही दूर रहते हैं ..."
" अरे नहीं भाभी मैं झूठ क्यूँ बोलूं ...आप सही में साड़ी में बहोत खूबसूरत लग रहीं हैं , अच्छा है शाह साहेब अभी यहाँ नहीं हैं , वरना ... आप की खैर नहीं थी ..." और मेरे चेहरे पर एक भेद भरी मुस्कान थी ..
" अच्छा जी ... क्या कर लेते ..?? " स्वेता भाभी ने अंजान बनते हुए पूछा ..
" अब मैं क्या बताऊं भाभी ... चलिए अंदर चलते हैं ... वहीं आराम से बताता हूँ ..."
मेरी बात सुन कर स्वेता भाभी जोरों से हँसने लगीं और कहा ,'हां चलो अंदर और अच्छे से बताओ वो क्या करते ... "
वो मेरे से लगभग चीपकते हुए साथ साथ अंदर चलने लगी ...उनकी मदहोश करने वाली पर्फ्यूम मुझ पर जादू का असर कर रही थी ...उनकी पीठ भी नंगी थी ..ब्लाउस का स्ट्रॅप ब्रा के स्ट्रॅप को ढँकने तक ही था ...
साड़ी का यही तो फ़ायदा है ... जितना ढँकता नहीं उस से ज़्यादा उघाड़ देता है ...और यह बात स्वेता भाभी को अच्छे से मालूम था ...
जब वो चल रही थीं झीनी सी शिफ्फॉन की साड़ी के अंदर उनके चूतड़ का उभार बाहर छलक रहा था ..मानो अब बाहर आई ... जांघों का शेप उभर कर साड़ी के अंदर झलक रहा था ...
मैने उन्हें सोफे पर बैठने का इशारा किया और उनके बगल थोड़ा हट कर बैठ गया ...
बैठ ते हुए स्वेता भाभी ने कहा " हां अब चलो बताओ ज़रा ...क्या करते शाह साहेब ... ??"
" अब देखिए भाभी मैं शाह साहेब तो हूँ नहीं ...वो क्या करते यह तो वो जानें या फिर आप ..हां मैं इतना जानता हूँ मैं क्या करता ..." और उनकी तरफ एक टक देखने लगा ..उनकी आँखों में ...
मैने आज का अपना चाल चल दिया ..अब इस के रेस्पॉन्स पर ही आज की मेरी सारी प्लॅनिंग टीकी थी ...
वो जोरों से हंस पड़ीं ,,मेरे और करीब खीसक आईं और कहा .." वेरी स्मार्ट...... चलो ठीक है पर यह बार बार मुझे आप तो ना बोलो ...आज से मैं सिर्फ़ स्वेता हूँ ..समझे ..??? और तुम्हारा फर्स्ट नेम क्या है ..?? "
" प्रीतम ..." मैने फ़ौरन बताया ..
" वाह नाम भी क्या रोमॅंटिक है ... आज तो बस......" और फिर जोरों से हँसने लगी " ओके मैं तुम्हें प्रीत कहूँगी ..कोई ऐतराज ...???""
" बिल्कुल नहीं स्वेता ... "
" ओह छो.... च्वीत ऑफ यू प्रीत .." और फिर जोरों की हँसी ...
और यह हँसी मेरे लिए आज के दिन आगे आनेवाले मज़ेदार पलों की शुरुआत का इशारा था ...
" कम ऑन प्रीत ..अब तो बताओ ना ..प्लज़्ज़्ज़्ज़... !! " वो मेरे और करीब आ गयी ... उसकी और मेरी जांघों के बीच सिर्फ़ मेरे पॅंट और उसकी साड़ी की दूरी थी ..और उसकी शिफ्फॉन की सारी जैसे मेरे जाँघ में फिसल रही थी ...उसके जाँघ की गर्मी , मांसलता और सॉफ्टनेस मैं पूरी तारेह महसूस कर रहा था ..
" बताता हूँ स्वेता , बताता हूँ , पहले यह बताओ क्या पियोगी .. कोक या बियर ..???"
बियर का नाम सूनते ही उसकी आँखे चौड़ी हो गयीं ..और उस ने कहा
" ह्म्म लगता है आज तैयारी जोरदार है ...पर मैने कभी बियर ली नहीं ... मुझे तो बस कोक ही दे दो प्रीत ... "
"अरे यू शुवर स्वेता ..?? एक काम करो ..तुम्हारी कोक में बस थोड़ी सी बियर मिला देते हैं .. ठीक लगे तो ले लेना वरना मैं ले लूँगा और तुम्हें सिर्फ़ कोक ही दूँगा ..ईज़ इट ओके ..???"
"ओके प्रीत ..चलो आज यह भी हो जाए ..पर अगर कुछ हो गया तो फिर तुम जानो .."और फिर जोरों से हंस पड़ी ..
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