RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
वो मेरे बगल में बैठी थी... उस ने कुर्सी से उठने की कोशिश में मेरी कुर्सी का हाथ जो उसकी कुर्सी से बिल्कुल लगा था ...का सहारा लिया ..पर यह जान बुझ कर हुआ या धोखे से ..नहीं मालूम ..पर जो हुआ मेरा पूरा जहेन झन झाना उठा ...उस ने सहारा तो लिया पर उसका हाथ फिसल गया कुर्सी के हाथ से और सीधा मेरे पॅंट की ज़िप पर आ कर रूका ....चूँकि मैं पैर फैलाए रिलॅक्स्ड पोज़िशन में था .. उस ने अपने हाथ से वहाँ अच्छी तरह दबाते हुए उसका सहारा लेते हुए उठने की कोशिश की और मेरे लंड का सहारा लेते हुए कोशिश मे कामयाब भी हो गयी ..मेरा लंड तड़प उठा उसकी मुट्ठी में ... उसे भी शायद अंदाज़ा हो गया उसकी मजबूती का .. जब खड़ी हो गयी तो स्वेता के होंठों पर एक संतोष और खुशी की मुस्कान थी और आँखों में चमक ...
"बड़ा अच्छा लगा ...आप से बातें कर .." स्वेता बोली..मुस्कुराते हुए ...
मैं भी अपने क्रॉच को सहलाते खड़ा हो गया ...और कहा "मुझे भी ...."
"ओके अब मैं चलूं ...देर हो रही है ...अब तो हम मिलते रहेंगे ... "
और वो फिर अपनी तूफ़ानी चाल से मेरे बगीचे की ओर चल पड़ी ..कुछ फूल तोड़े और अपने हाथों को हिलाते हुए बाइ किया और बाहर निकल गयी ....पर मेरे अंदर अपने तूफ़ानी चल और हाथ की पकड़ का धमाकेदार असर भी छ्चोड़ दिया ....
उफफफफफफफ्फ़.. क्या चीज़ थी ...एक आँधी आई चिंगारी में आग भड़काई और चली गयी ...मेरे दिलो- दिमाग़ में हलचल सी मची थी ...
कहाँ तो मैं अकेलेपन में बिरहा के गा रहा था ...और अब यह हाल है के भारती के भजन और स्वेता के संगीत का आलम छाया था... वाह रे वाह दिन बदलते भी देर नहीं लगती ...
भारती और स्वेता ..दोनों अपनी जगह बेमिसाल थी .. भारती दशहरी आम थी ...जिसे बस चूस्ते जाओ ..मीठा रस ही निकलेगा ..वहीं स्वेता बनारसी लन्गडे आम की तरह थी ..जिसे खाओ भी चूसो भी ..और मुझे दशहरी और लंगड़ा दोनों आम बहोत पसंद हैं...
मेरे लौडे में अभी भी उसकी मुट्ठी की पकड़ महसूस हो रही थी ,,जिस तरह स्वेता ने उसे दबाया था ..लग रहा थे जैसे उसे निचोड़ लेगी ... जब पहली ही मुलाक़ात में यह हाल ..आगे का हाल सोचते ही मन में झूरजूरी सी हो उठी ...मैं डिन्नर ले कर बीस्तर पर लेटा था और इन्ही विचारो में खोया था ...स्वेता के हाथ के कमाल को मेरे लंड महाराज अभी भी याद कर रहे थे .....पर मैं अभी तक यह समझ नहीं पाया कि स्वेता की हरकत जान बूझ कर थी या सिर्फ़ एक खूबसूरत हादसा ..? यह तो पता लगाना ही पड़ेगा ...वरना लेने के देने हो सकते हैं ...
और इस बात का पता काफ़ी हद तक स्वेता की दूसरी मुलाक़ात से चल गया ...
अगले दिन शाम को मैं उसी तरह चाइ पी कर बाहर बरामदे में बैठा था ...और फिर उसी तरह आँधी आई स्वेता के रूप में ...
आज जब वो मेरे सामने आई ..... मैं देखता ही रहा ... उस ने कल की ही तरह अपनी गुदाज हथेली बढ़ाई मेरी तरफ ....मेरे हाथों को बड़े प्यार से अपने हाथ में लेते हुए मसला और झूक गयी , उस ने बहोत ही लो नेक वाली और टाइट कुरती पहनी थी ...उस की दोनों गोलाइयाँ जैसे बाहर आने को मचल रही थी ..मैं अपनी कुर्सी से पूरी तरेह उठ भी नहीं पाया था ..इसलिए उसकी छाती मेरे चेहरे के बिल्कुल करीब थी ..उस ने बहोत ही लाइट और मादक पर्फ्यूम लगा रखी थी .. उसकी खूशबू का नशीला झोंका मेरे चेहरे पर पड़ा .....मुझे जैसे नशा सा हो गया ...उसकी गोरी गोरी चूचियों की गोलाई साफ दीख रही थी ...आँखों में चूचियों की गोलाई , नाक में उसकी मादक महक और हाथ में उसके गुदाज हाथ ...मैं पागल हो उठा था ...मेरी हालत देख वो मुस्कुराए जा रही थी ...फिर वो मेरे बगल में बैठ गयी ... सलवार भी बिल्कुल टाइट थी ..जैसे उस ने आज पूरी तैय्यारि कर ली थी मुझे घायल करने की ..उसकी कुरती उसके घूटनों तक ही आती थी ...टाइट सलवार के अंदर से मांसल और गदराई जंघें जैसे सलवार फाड़ कर बाहर फैलने को तैयार थीं...मैं बेचैन हो उठा था ...
मैं एक टक स्वेता को देखे जा रहा था ...
" अरे भाई साहेब कहाँ खो गये आप ...?? " उस ने बैठ ते हुए कहा "लगता है बीबी की याद बहोत सता रही है ...?? "
" क..कैसी हैं आप स्वेता भाभी ..." मैं ने अपने आप को नियंत्रित करते हुए कहा ..पर फिर भी मेरा उतावलापन झलक ही गया ...
" हा हा !! मैं जानती हूँ बाबा , जानती हूँ ...ऐसा ही होता है ....हम दोनों की हालत एक जैसी है...." उस ने ठहाका लगाते हुए कहा ...
" क्या मतलब भाभी ..?? "
"अरे क्या करूँ भाई साहेब , आपके शाह साहेब की नौकरी ही ऐसी है...महीने में चार दिन घर रहते हैं और बाकी दिन तौर पर ...अभी दो दिन हुए गये हैं ..पता नहीं कब तक आएँगे ... "उस ने यह इन्फर्मेशन दे कर मेरी आधी मुश्किल हाल कर दी ...
" अच्छा ..?? फिर तो आप अकेली सही में बोर हो जाती होंगी ... पर बच्चे तो होंगे ना ...? " मैने पूछा
यह बात सुन कर उसके चेहरे पर अचानक उदासी छा गयी और वो चूप हो गयी ... फिर सीरीयस होते हुए कहा
" भगवान का दिया सब कुछ है भाई साहेब , पर शादी के 8 साल हो गये हमारे ..पर हम अभी तक दो के दो ही हैं ... अकेला घर जैसे काट ने को दौड़ता है ..."
" ओह्ह सॉरी स्वेता भाभी ... पर इस में आप क्या कर सकती हैं ..." मैने दिलासा देते हुए कहा.. " मैने देखा है कितने कपल्स को शादी के 15 साल बाद भी बच्चे हुए हैं ..."
" ऐसा क्या ... ?? तब तो मुझे होप नहीं छोड़नी चाहिए ..??'" थोड़ी से मुस्कुराहट वापस लाते हुए स्वेता ने कहा
" हां हां बिल्कुल नहीं भाभी ... " मैने कहा और रामू को आवाज़ दी " रामू ... अरे भाई जल्दी चाइ लाओ यार ...मेरे लिए भी .."
मेरी बातों से स्वेता फिर से अपने पुराने मूड में लौट आईं ..मेरे गालों पर चिकोटी काट ते हुए कहा "ओह , यू आर छो च्वीत भाई साहेब ...आप की बातों से मेरा मन कितना हल्का हो गया ... आपका दिल भी आपके बगीचे की ही तरह खूबसूरत है ..."
"थॅंक्स भाभी ..." मैने उनकी तरफ देखते हुए कहा ..और फिर मेरी निगाहें उनकी छाती पर चूचियों के बीच अटक गयीं ....
स्वेता अपने हाथ गले की गोलडेन चैन पर ले गयी और उसे अपने हथेलियों पर ले लिया और उस से खेलने लगी अब उसकी चूचियों की उभार बिल्कुल नंगी थी ...और उसकी धड़कन के साथ उपर नीचे हो रही थी ..मेरी आँखें वहीं चीपक गयीं ...
" अरे आप फिर कहाँ खो गये भाई साहेब ... "उस ने शरारत भरी नज़रों से देखते हुए कहा ..और चेहरे पर एक विजयी मुस्कान भी थी ...
" अरे कहीं नहीं भाभी . बस ऐसे ही कुछ पुराने यादों की गहराई में गोते लगा रहा था ... "
" अच्छा ..तो गहराई में कुछ मोटी मिले या नहीं ...??"
" अब क्या बताऊ मैं भाभी ...मोटी तो इतने हैं के दोनों हाथों से भर लूँ फिर भी ना समायें .." मैने भी नहले पे दहला छोड़ते हुए कहा ...
" कोई बात नहीं भाई साहेब ..एक बार अगर मुत्ठियो में ना भी आयें तो क्या है ..आप जितनी बार चाहें गोते लगाओ .. बार बार मोती मे भरते रहो . जब तक पूरे मोती ना मिल जायें ... "ऐसा कहते हुए स्वेता ने नेकलेस को अपने मुँह में ले लिया और दाँतों के बीच हल्के हल्के काट ने लगी .. अब गले से नीचे तक पूरी छाती नंगी थी ...
मैं एक टक उन्हें निहारे जा रहा था ... और वो मुस्कुराए जा रही थीं ...
तभी रामू चाइ की ट्रे लिए आ गया , और टेबल पर रख चला गया ...
मैं गहराई से वापस चाइ के कप की ओर लौट आया ..और कप स्वेता की ओर बढ़ाया ..
स्वेता ने आगे बढ़ते हुए अपने चेहरे को मेरे चेहरे के बिल्कुल करीब लाते हुए मेरे हाथ से चाइ की कप ली , उसकी सांस मेरे चेहरे को छू रही थी ..मैं मदहोशी के आलम में था ..और उसकी मुस्कुराहट ने अब हँसी का रूप ले लिया ..हंसते हुए उस ने मेरे हाथ से चाइ ली और वापस कुर्सी पर पैर फैला कर बड़े रिलॅक्स्ड मूड में बैठ गयी ...दोनों जांघों के बीच वी शेप मुझे निमंत्रण दे रहा था ..मेरी आँखें अब उसके उपर से नीचे की ओर पहून्च गयी थीं ...
मैने जैसे तैसे चाइ पी .. पर स्वेता बड़े आराम से चाइ की चुस्कियाँ ले रही थी ..
"आप का रामू बड़ी अच्छी चाइ बनाता है ,,खाना भी अच्छा बनाता होगा ..??"
" आप खुद ही टेस्ट कर लीजिए ना उसका खाना ...अभी तो आप अकेली हैं ...कल सनडे है मेरी भी छुट्टी है ...अगर आप को ऐतराज़ नहीं तो लंच हमारे साथ कीजिए ..मुझे भी अकेले खाने की मुसीबत से कम से कम एक दिन तो छूटकारा मिलेगा ..."
" अरे वाह क्या बात कही आप ने ...ठीक है मैं रामू के हाथ का खाना ज़रूर खाउन्गि और कल ही ..आप तैय्यार रहना ... अच्छा अब मैं चलती हूँ .."
|