RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
भारती के घर से वापस तो मैं आ गया ..पर भारती की याद ले कर ...वो मेरा साथ छोड़े नहीं छोड़ती...मेरे जेहन में ..मेरे दिमाग़ में मेरे दिल में एक अजीब सी हलचल मची थी.. उसकी हँसी ..उसकी बातें . उसका अपने आप को मेरा समर्पण ,,उसकी बेबाक बातें ...मेरे मस्तिष्क में घूम रहीं थीं .. मैं बेचैन था फिर उस से मिलने को ..आज तक कोई भी लड़की या औरत मेरे दिलो-दिमाग़ में इस तरेह नहीं छाई थी ..मैं समझ नहीं पा रहा था मुझे क्या हो गया है ..क्यूँ हुआ ..आफ्टर ऑल शी वाज़ ओन्ली ए कॉल गर्ल ..?? पैसा फेंकू तो उस से भी अच्छी माल मिल सकती है ..पर नहीं मुझे भारती ही चाहिए थी ..बस सिर्फ़ भारती ...
खैर..... जैसे तैसे तैयार हो कर ऑफीस के लिए निकला ..मोहन के यहाँ रूका पान के लिए ..
मुझे देखते ही उस ने आँख मारी और चहक पड़ा "
" आज तो साहेब का चेहरा बड़ा खिला खिला लग रहा है ....लगता है गोपाल ने अच्छी खातिरदारी की है...""
मैने अगल बगल देखा ..पर लकली उस समय वहाँ कोई और नहीं था ...
"हां यार ... वो तो है ... टाइम अच्छा निकल गया .." मैने कहा .
" चलिए आप खुश तो मैं भी खुश ..और बोलिए क्या हुकुम है मेरे लिए ..कहिए तो और भी अच्छी चीज़ चखाऊँ आपको ..??" उस ने कहा .
"अरे नहीं यार ..मैं इतने में ही खुश हूँ ... मुझे कोई और नहीं चाहिए ..पर हां तुम्हारे पास गोपाल के घर का फोन नंबर है क्या ..?? उस से कुछ बात करनी थी..?? "
"ह्म्म्म .." मोहन ने कहा "हां हां लीजिए अभी दिया ..पर आपको फोन करने की क्या ज़रूरत..? मुझ से कह दीजिए , फ़ौरन हाज़िर हो जाएगा ..आप क्यूँ तक़लीफ़ करोगे ..?? "
" अरे कुछ नहीं यार बस कुछ बात बतानी थी उसे ..मेरा कुछ सामान वहाँ शायद छूट गया है ..उस से पूछना था कहीं वहाँ तो नहीं रह गया ..? "
"ठीक है साहेब जैसी आपकी मर्ज़ी .." और पीछे मूड कर उस ने अपनी दूकान की रॅक से एक डाइयरी निकाली .. और उसके पन्ने पलट ते हुए मुझे नंबर दे दिया ..मैने अपनी पॉकेट डाइयरी में लिख लिया .. मोहन से पान लिया ..और ऑफीस की ओर कार घूमा ली ..
ऑफीस में भी मन नहीं लग रहा था ...कल रात के सारे सीन दिमाग़ में घूमते ..भारती की सिसकियाँ ..उसकी मस्ती भरी चीख ...उसका मेरे सीने से चीपकना ... मेरे बालों से भरे सीने में हथेली फेरना ... एक अजीब रोमांच सा हो उठता ...
कुछ ज़रूरी फाइल्स निबटाए ..और अपने असिस्टेंट से कहा
"देखो मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही ... मैं जा रहा हूँ ..अगर कोई बहोत ज़रूरी कम आ पड़े तो मुझे घर में रिंग कर देना ..."
" जी सर...कुछ सीरीयस तो नहीं है ना सर...अपने कंपनी के डॉक्टर को बुलाऊं क्या ..??"उस ने चिंतित होते हुए कहा ...
" नहीं कोई खास बात नहीं ..ऐसे ही है..एकाध डिस्पीरिन ले लूँगा ..डॉन'त वरी .." और मैं ऑफीस से निकल गया .
घर आ कर सीधा नहाया और , फ्रेश हुआ ...थोड़ा अच्छा लगा .. कुछ देर टीवी देखा ..फिर अपनी बीबी को फोन लगाया ..उस से और बच्चों से बातें की ...थोड़ा अच्छा लगा ..कुछ हल्का महसूस हुआ ..तब तक खाने का टाइम हो गया था ..रामू ने टेबल पर खाना लगा दिया था और मेरा इंतेज़ार कर रहा था .
खाना खा कर मैं सीधा बेड रूम चला गया और रामू से कहा "तुम दरवाज़े बंद कर चले जाओ .मुझे और कोई कम नहीं "
" जी साहेब "
मैं पलंग पर लेट गया ..और फोन , जो मेरे बेडरूम में भी लगा था ... उठाया और भरती का नंबर डाइयल करने लगा ......
डाइयल किया ..रिंग जा रही थी ... उधर से कोई रेस्पॉन्स नहीं था..कोई उठा नहीं रहा था ...मैने फोन रख दिया ...
मुझे बड़ा फ्रस्टरेटेड फील हुआ... अकेलापन खाने को दौड़ रहा था... थोड़ी देर बस ऐसे ही लेटा रहा .. छत की ओर एक टक निगाहें ज़मीं थीं ... कल की रात थी और आज की रात है ..कितना अंतर है... कल मेरी बाहों में भारती थी ...आज उसकी आवाज़ सुन ने को भी तरस रहा हूँ ...पर फोन क्यूँ नहीं उठा रहा कोई ... कोई और है क्या उसके साथ ...मुझे सोच सोच कर गुस्सा आने लगा ... फिर मैने सोचा हो सकता है कहीं बाहर गयी हो .. थोड़ी देर बाद फिर रिंग किया ..फिर वोही रिंग की आवाज़ ...जैसे मेरे कान में कोई चीख रहा हो...कान फटने लगा ... मैने फोन क्रेडल पर पटक दिया ...गुस्से से सर की नसें फॅट रही थीं ..मन कर रहा था अगर भारती मिल जाए तो साली को पटक कर उठा उठा के चोद डालूं ..उसकी चूत फाड़ डालूं ...उसके होंठ चूस लूँ जब तक होंठ सूख ना जायें ..कहाँ गयी ..फोन क्यूँ नहीं उठा रहा कोई ...
फिर मैने आखरी बार ट्राइ की .. रिंग गया और तुरंत किसी मर्द की आवाज़ आई , शायद गोपाल की होगी ..
मैने अपने आप को संभाला और आवाज़ को नियंत्रित करते हुए कहा " गोपाल ..मैं सागर बोल रहा हूँ .."
" नमस्कार सर ..कहिए कैसे याद किया ..??
" अरे यार मैं कब से रिंग कर रहा हूँ ..कोई उठाता नहीं .." आवाज़ में थोड़ी झुंझलाहट थी
"अरे हां हम लोग अभी अभी आए ..ज़रा बाहर गये थे ... बोलिए ना क्या सेवा करूँ आपकी ..?"
"मैं अभी भारती से मिलना चाहता हूँ ..." मेरी आवाज़ में अर्जेन्सी थी , ऑर्डर था .. फोर्स था ...गोपाल अनुभवी था .समझ गया ..
"ठीक है साहेब मैं अभी आया .. आप तैयार रहिए ... " उस ने फोन रख दिया .
मैं फ़ौरन बिस्तर से उठा और तैयार हो गया ... पर्स में गोपाल को देने को रुपये रख लिए ..बाहर आया ...दरवाज़े पर ताला लगाया और गेट के बाहर खड़ा हो गया ...5 मिनिट के अंदर ही वो पहुँच गया ...
"साहेब आज आपकी आवाज़ में एक अजीब सी बात थी ..क्या बात है ..सब ख़ैरियत तो है ना ..??"
मैने पैसे निकाले उसे दिए और कहा " हां हां सब ठीक है ..बस तुम जल्दी चलो ."
गोपाल समझदार था , उस ने ज़्यादा बातें करना ठीक नहीं समझा, उसे पैसे से मतलब था, पैसे उस ने जेब में डाले ..और जैसे ही मैं उसकी बाइक पर बैठा उस ने आक्सेलरेटर घुमाया और उसकी बाइक रात के सन्नाटे को चीरते हुए दौड़ पड़ी .
वहाँ पहुचा तो देखा , शायद गोपाल ने भारती को मेरी बेसब्री और झूंझलाहट के बारे बता दिया था , वो सिर्फ़ नाइटी में थी और मेरे अंदर आते ही वो मुझे सीधा बेडरूम की तरफ खींच कर ले गयी ..दरवाज़ा बंद किया ..और कहा " जानू क्या बात है..? बहुत परेशान हो..गोपाल कह रहा था आप की आवाज़ में बहोत गुस्सा था ..???"
"हां ...एक तो तुम्हारी याद आ रही थी .और जब मैने फोन किया किसी ने उठाया भी नहीं ..एक बार नहीं कई बार रिंग किया मैने ..." मेरी आवाज़ में अभी झुंझलाहट थी.." कहाँ थीं तुम ..??"
और मैने उसे जोरों से अपने से चिपका लिया , उसके होंठ चूसने लगा ..उसे पलंग की ओर घसीट ता हुआ ले गया ,
" अरे अरे क्या कर रहे हो जानू ..ज़रा सांस तो ले लो और मुझे भी लेने दो ..."
पर मैं कहाँ सुन ने वाला था ..उसे बिस्तर पर लिटाया .. अपनी पॅंट खोल दी एक ही झटके में ..मेरा लॉडा भी गुस्से में तना था ...फॅन फ़ना रहा था ...उसकी नाइटी उपर की और टाँगें फैलाते हुए उसकी चूत में लॉडा धंसा दिया ..
"अरे बाप रे ..मार डाला तुम ने जानू .आज मेरी खैर नहीं .."
"हां रानी आज किसी की खैर नहीं ना मेरी ना तुम्हारी ...."
और धकधक मैं पेलने लगा अपना लॉडा उसकी चूत में ...सूखी चूत में मेरा लॉडा भी छिल रहा था धक्के मारने में ..पर दो चार धक्कों के बाद भारती भी मूड में आ गयी ..चूत से पानी निकलने लगा ..कहते हैं गुस्से में चुदाई का मज़ा कुछ और ही होता है ..अगर पार्ट्नर समझदार हो ..भारती समझदार थी ...उस ने मेरे गुस्से और लौडे की मार अपनी चूत से झेल ली ...उस ने पैर फैला दिए और लेने लगी पूरे का पूरा लॉडा अपनी चूत में
"हां राजा ले लो मेरी चूत , मैं तो कल ही से तुम्हारी दासी हूँ ..चोद लो राजा ..फाड़ दो इसे .अपना गुस्सा मेरी चूत में थूक दो ...डाल दो राजा ..मेरे राजा ..."
मैं अब उसकी चूतड़ पकड़े अपनी कमर उठा उठा कर पेल रहा था ..हर धक्के में भारती की चूत फतच फतच करती और उसकी कमर और चूतड़ बल्लियों उछलती ... मैं दन दान चोदे जा रहा था ..अपना सारा गुस्सा भारती की चूत में डाल रहा था ..भारती झेले जा रही थी ...
" हां जानू ..मैं तुम्हारी हूँ ...तुम मुझे चाहे जैसे भी चोद लो ...मैं कुछ नहीं कहूँगी ..तुम ने मुझे मेरे लिए चोदा है ... तुम ने मुझे इतना सूख दिया ..मैं तुम्हारा और तुम्हारे लौडे का गुस्सा झेलूँगी ..चोदो ..चोदो ..राजा चोद लो ...आआआआआः ...माँ ...मेरे राजा ... जिंदगी में ऐसी चुदाई नहीं हुई जानू ..."
मैं भी उसकी बातें सून सून कर और ज़ोर और जोरो से धक्के लगाता जाता ...थप ठप..तप पूरा कमरा ऐसी आवाज़ से भर गया ..भारती चीख रही थी ..सिसक रही थी ...थरथरा रही थी .. हर धक्का उसकी चूत में हलचल मचा देता और मेरा लॉडा उस की चूत में टाइट और टाइट होता जाता ..ये भी एक अजीब एक्सपीरियेन्स था ... लॉडा चूत के अंदर ही टाइट होता जाता ..मेरा लॉडा अंदर जाता और भारती उसी लय में अपनी चूतड़ भी उपर करती ...और दो चार धक्कों के बाद भारती ने अपनी चूत और चूतड़ मेरे लंड सहित उपर उठा दिया ..हवा में ..और अपना पानी छोड़ दिया ..मेरा लॉडा नहा रहा था भारती के चूत रस से ...उसके चूत की रस से लौडे को राहत मिली , गुस्सा शांत हुआ और मैं भी दो चार धक्के लगाते लगाते जोरदार तरीके से झड़ने लगा ..मेरा लॉडा झटके पे झटका खा रहा था भारती की चूत में ..भारती ने मुझे अपने सीने से चीपका लिया ... मुझे चूमने लगी "हां राजा .खाली कर लो ...पूरे का पूरा ...."
मैं भी अपना लॉडा उसकी चूत में धंसा कर उसके सीने से चीपक कर चूचियों पर सर रख हांफता हुआ लेट गया ...सब कुछ शांत था ... जैसे एक तूफान आया और चला गया ...
सही में मेरे अंदर का तूफान और शायद जानवर भी कहूँ तो ग़लत नहीं होगा ...अब शांत था...मैं निश्चिंत था ...एक शूकून था मेरे मन में ...जैसे भारती ने मेरे अंदर का ज़हेर अपनी चूत से पूरे का पूरा चूस लिया हो .. और अपने अमृत रस से धो डाला हो...मेरे मन में उसके लिए प्यार , आदर और प्रशंसा छलक रहा था . मैने अपनी आँखें खोलीं तो देखा वो भी शांत थी और मेरी बगल टाँगें फैलाए हुए लेटी थी ..एक दम रिलॅक्स्ड ....
मैने उसे अपनी ओर खींचा और उसके माथे पर हल्के से चूम लिया और अपने सीने से से लगा लिया ...जैसे मैं अपना आभार व्यक्त कर रहा हूँ ..
"अरे बाबा अभी भी मन नहीं भरा तुम्हारा ..?"" उस ने मुस्कुराते हुए कहा .
" ऐसा नहीं है भारती , मेरी रानी ...मैं तो हैरान हूँ तुम से .."
"क्यूँ..?? हैरान क्यूँ हैं ..क्या मेरी चूत में सुरखाब के पर लगे हैं ..या फिर मैं तुम्हें किसी और दुनिया की लगती हूँ ..??'और ठहाके लगा कर हंस पड़ी ..
"नहीं भारती , देखो बूरा मत मान ना प्लीज़. मेरे मन में कोई खोट या ग़लत भावना नहीं है .. "
"हां हां , जो भी मन में आए बक डालो जानू ..अभी अभी तुम्हारे लॉड की बकवास झेली है ..चलो ज़ुबान की भी झेल लूँगी... " उस ने मेरे गाल पर चिकोटी काट ते हुए कहा .
"भारती...तुम्हारे पास कितने लोग आते हैं ..कुछ भी करते हैं .. पर शायद किसी की भी इतनी हिम्मत नहीं होती होगी कि तुम से इस तरह पेश आए जैसे आज मैं तुम्हारे साथ पेश आया ..तुम उन्हें तो सीधा बाहर का रास्ता दीखा देती होगी .....है ना ..???"
"हां बिल्कुल ..किसी मदर्चोद की हिम्मत नहीं जो मेरे साथ ऐसा करे ..मैं तो उन्हें धक्के मार कर बाहर कर दूं ..किसकी मज़ाल जो भारती की मर्ज़ी के खिलाफ भारती को छू सके..साले का हाथ काट लूँगी .." उस ने तेवर दिखाते हुए कहा ..
"वोही तो मेरी जान .." मैं हैरान होते हुए कहा .." फिर तुम ने मुझसे बिना कुछ शिकायत किए चूपचप मेरी सारी बदतमिज़ियाँ , पागलपन , वहेशीपाना झेलती रही ..और वो भी इतने प्यार से ..आख़िर क्यूँ मेरी जान ..मैं तो तुम्हारा कोई नहीं ..औरों की तरह मैं भी हूँ ...और वो भी जब अभी हमें मिले सिर्फ़ एक ही दिन हुए ...आख़िर एक दिन में ऐसा क्या हो गया ..???"
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