RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे और साथ में कुछ घबडाहट भी थी ..पता नहीं शाला कैसी माल दिखायगा.. कोई ऐसी वैसी रंडी होगी ..जो शाली अपनी चूत खोल और फैला के लेट जाएगी .. और चूत कम भोंसडा ज्यादा होगा .. फिर मज़ा क्या आयेगा ..उस से अच्छा तो अपना तकिया रगड़ना है .. खैर अब जब ओखल में सर दिया तो मूसल का क्या डर ..चल बेटा प्रीतम सागर .. लगा शाली चूत की सागर में गोते ... कुछ मोती तो मिल ही जायेंगे ..हा हा हा !! इन्ही सब सोच में मेरी कार दूकान के पास आ गयी ..मैंने दूकान से थोड़ी दूर पर कार रोकी और चल पड़ा मोहन की तरफ ..
उसकी दूकान पर कुछ लोग थे .. इसलिए मैं वहां पहुंचते ही चुपचाप एक कोने में खड़ा हो गया ..मोहन ने मुझे देख लिया और एक हलकी मुस्कान दी और कहा " बस सर ..थोडा वेट कीजिये न ..मैं इन्हें निबटाया और आपको पान खिलाया .." और उस ने धीरे से आँख भी मार दी ...
मैं भी उसके जवाब में मुस्कुरा दिया ..
थोड़ी देर बाद एक शख्श को छोड़ बाकि सभी चले गए .. इसलिए मैं आगे तो बढा पर उस शख्श की ओर शक की निगाह से देखा .. मोहन मेरे मन की बात भांप गया और तुरंत बोला " सर यह हमारे करीबी गोपाल सिंह हैं ...आज आप के काम की जिम्मेदारी इन्ही की है .. " और गोपाल की ओर मुखातिब हो कर उस से कहा " अरे भैय्या गोपाल , ये हमारे सागर साहेब हैं ..हमारे बहोत ही खास ,,आज इनकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं होनी चाहिए ..बेटा अगर इनसे कोई शिकायत हुई तो फिर तू जानता है न तेरा क्या हश्र होगा .." और जोरों से हंसने लगा I
मोहन का पान लगाना और बातें करना दोनों हमेशा साथ ही होते हैं... हँसते हुए उस ने मेरी ओर पान बढाया और कहा " ई पान भी आज स्पेशल है साहेब , आप भी क्या याद रखेंगे .. पान खाइए और गोपाल के साथ जाइये ..लूटिये मज़े .. बेफिकर .. " और एक और जोरदार ठहाका .. !
मैंने मुंह में पान डाला और गोपाल से कहा " चलो बैठो मेरी कार में , कहाँ जाना है ..?? "
पर गोपाल ने मेरी कार की ओर ऐसे देखा जैसे कोई मालगाड़ी हो.. और उसमें बैठना उस की इज्जत के खिलाफ है I
मैं पूछा"क्या हुआ , कार देख कर घबडा क्यूं गए यार ..? छोटी है क्या ..??"
" अरे नहीं नहीं , साहेब बात दर असल ये है .. मैं जहाँ रहता हूँ वहां लोग कार में कम ही आते हैं ..और आज तो काम काफी देर तक चलेगा ..है न ..? और आपकी कार बाहर खड़ी रहेगी ..लोगों को बेकार में शक होगा .. "
" फिर क्या किया जाये ..?? " मैंने पूछा I
" मेरे पास बाइक है , आप को ऐतराज नहीं तो आप अपनी कार अपने घर छोड़ दें , आपका घर तो पास ही है और बाइक पर चलते हैं .. "
मतलब गोपाल ने मेरे बारे सब कुछ मालूम कर लिया था I
" तुम्हें मेरे घर के बारे कैसे मालूम .. यार तुम तो बड़ी चालू चीज़ हो .?? " मैंने कहा I
" अब सर इस धंधे में सालों से टीका हूँ ..चालू तो होना ही पड़ेगा .."
"ठीक है यार मैं समझता हूँ , मैं आगे कार से जाता हूँ , तू मेरे पीछे बाइक ले के आ .."
और मैं कार अपने गैराज में रखा और गोपाल की बाइक के पीछे हो गया सवार और चल पड़ा अपनी बरबादी या आबादी(?) की ओर I
जैसा की आम ख्याल होता है ऐसी जगहों का ..मेरे दिमाग में भी यही ख्याल था कि गोपाल मुझे तंग और भीड़ भरी गलियों से होता हुआ किसी छोटे से दो या तीन मंजिले मकान के किसी अँधेरे बंद कमरे में ले जायेगा , पर यह तो कोई और ही रास्ता था .. जहाँ हम पहुंचे वो एक साफ सुथरी कालोनी थी .. जैसा कि राज्य सरकार के हाऊसिंग बोर्ड होते हैं ..एक छोटे से बंगलेनूमा घर के बाहर गाड़ी रुकी , गोपाल ने मुझे उतरने को कहा और बोला " येही है मेरा गरीबखाना , सर . आज आप मेरे खास मेहमान हैं "
"पर यार ..." मैं आगे कुछ बोल पाता के सामने देख मेरी बोलती बंद हो गयी ,मैं एक टक देखता ही रह गया !
सामने एक खूसूरत सांवली लम्बी जवान औरत गेट खोल रही थी .. जवान इसलिए के उसकी उम्र कोई 25 - 26 की होगी और औरत इसलिए के उसके सही जगह बिलकुल सही उभार था ..जैसे किसी शादी शुदा औरत जो अपनी फिगर संभालना जानती हो , का होता है .. न मोटी न दुबली .. बस एक दम ऊपर से नीचे भरी भरी l सांवला रंग होते हुए भी एक अजीब चमक थी ..जो किसी को भी अपनी और खींच ले .. हल्का सा मेक अप और होठों पे हलकी लिप स्टिक ...चेहरा कटीला , जैसा किसी मॉडल का होता है... नाक तीखे ... मैं बस देखता ही रहा .....
"भारती .. ये हैं सागर साहेब , आज हमारे खास मेहमान ... " गोपाल की आवाज़ से मैं अपनी चकाचौंध से वापस आया और भारती की ओर मुखातिब हुआ ..
भारती ने मुझे मुस्कुराते हुए नमस्कार किया और हमें अन्दर आने का इशारा किया , और हम तीनों घर की ओर चले .. आगे आगे गोपाल उसके पीछे भारती अपनी कुल्हे मटकाती , कमर लचकाती चल रही थी ओर मैं उसे देखता हुआ मन ही मन यह दुआ करता हुआ के आज अगर ये मिल जाय तो बस अपने लौड़े क़ी तो चांदी ही चांदी .. आगे बढ़ रहा था l
उसने टाईट सलवार कमीज़ पहन रखी थी , जिस से उसके जवान बदन का निखार उभर उभर कर मेरे दिल दीमाग और लौड़े पर हथोड़े मार रहा था .. ! क्या गांड थी , और क्या कमर की लचक ..!
हम लोग अन्दर आये ,ये शायद ड्राइंग रूम था गोपाल का ..बड़े करीने से सजा था .. जैसे किसी मध्यम वर्गीय परिवार का होता है ...मैं और गोपाल वहीँ सोफे पर अगल बगल बैठ गए और भारती अन्दर चली गयी l
" अरे भाई गोपाल क्या येही जगह है ..?? चलो यार जल्दी से माल के दर्शन कराओ ..." मैं कहा l
"अरे सर , अभी तक जिसे आप आँख फाड़े देख रहे थे वोही तो है ... !!"
"एएँ .क्या बक रहे हो गोपाल , वो तो तुम्हारी बीबी है न ..?? ...."
" सर आप आज ज्यादा सवाल न करें धीरे धीरे आप सब समझ जाओगे ...आज बस आप मस्ती लूटें l अभी वो न किसी की बीबी है न किसी की मां न किसी की बहेन..वो जितनी देर आप यहाँ हो आपकी है , बस आपकी ..आप जैसे चाहे उस से मजे लो .. " उसने जोरदार ठहाका लगाया " आप मेरी बात समझ रहे हैं न ..? अब मैं जाता हूँ , काफी थक गया हूँ ..आराम करूंगा , भारती आती ही होगी ..आपका ख्याल रखने ..."" उसने मुझे आँख मारी और झट अन्दर चला गया .. !
गोपाल की बातों से मैं अवाक रह गया ... कहाँ तो मैं किसी ऐसे वैसे जगह और लड़की के बारे सोच रहा था , और कहाँ एक दम घरेलु , खूबसूरत , सुघड़ और सेक्सी औरत हाथ लग रही है ..मन में झूर्झूरी सी होने लगी .. भारती किसी भी एंगल से ऐसी औरत नहीं लगती थी जो धंधा करती हो ..आखिर क्या मजबूरी थी इस के साथ ... ?? फिर मैंने सोचा " छोड़ यार भारती की मजबूरी .. अभी अपने लौड़े की मजबूरी का ख्याल कर और अपने पैसे की कीमत वसूल , ऐसी माल रोज हाथ नहीं लगती ...भारती की मजबूरी आज नहीं तो कल मालूम कर ही लेंगे ... "
पर फिर भी ... मेरे मन में भारती का रहस्य जानने ने की इच्छा जाग उठी .. और रहस्य तभी जाना जा सकता है जब की उसका दिल जीतो ..और दिल जीतने का सब से सहज तरीका है उसकी चूत ... जो मुझे मिल रही है ... और फिर भारती को ताबड़तोड़ चोदने के ख्याल से मेरे मन में लड्डू फूटने लगे .पैंट के अन्दर हल चल होने लगी ... मैं बेसब्री से उसका इंतज़ार करने लगा ..!
|