RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
पान का आनंद लेते हुए मैं घर वापस आ गया .थोड़ी देर टीवी देखा , फिर बिस्तर पर लेट गया ...पर नींद तो आज कोसों दूर थी ..मैं करवटें लेता रहा , पर सो नहीं पाया ..एक अजीब भारीपन .. मन में उदासी , बेचैनी , तड़प ..बड़ा ही अजीब माहौल था I किसी को बाँहों में ले कर , उसे अपने से चिपका कर एक जोरदार किस करने का मन करता .. कभी मन करता किसी की चूत फैला कर उसकी गुलाबी फांकों को अपने होठों से चूस लूं .. उन्हें ऊपर नीचे चाटता रहूँ , जब तक उसकी चूत से पानी की धार न बह जाये ...फिर अपने तने हुवे लंड को अन्दर पेल दूं ..लगातार ,बार बार उसकी चूतडों को ऊपर उछाल उछाल कर चोदता रहूँ ... यह सब सोचते सोचते मेरा लौड़ा एक दम टून्न हो गया ..७ इंच और मुठी भर का लौड़ा , जो मेरी बीबी के हाथों में भी समां नहीं पाता , वोह दोनों हतेलियों से उसे सहलाती थी .. और बड़े प्यार से उसे मुंह में ले कर चूसती थी .. पर अभी बेचारा बीना किसी सहारे के फूंफकार रहा था , उसकी मजबूरी कोई सुनने वाला नहीं था .. मैंने अपने लौड़े अपनी मुठी में लिया और सहलाने लगा .थोडा अच्छा लगा ... और भी टन्ना गया , जैसे अपने जड़ से उखड ही जायेगा ...मुझ से रहा नहीं गया .मैंने अपने सब से मुलायम तकिये से अपने लंड को , करवट ले कर , बिस्तर से दबा दिया , और अपने कमर हीला हीला कर लंड को तकिये और बिस्तर के बीच रगड़ने लगा ...आः ..कुछ राहत मिली , मैंने जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिए ..जैसे किसी की चूत फाड़ने जा रहा हूँ ...आः ..ऊऊह्ह , सही में बड़ा मजा आ रहा था ... धक्के की रफ़्तार बढती गयी ... मेरा लौड़ा जैसे छील ही जानेवाला हो . पर मैंने ध्यान नहीं दिया , लगातार धक्के लगता रहा ..लगाता रहा और फिर ....मेरे लंड से पिचकारी की तरेह वीर्य निकल पड़ा ... झटके के साथ मैं झाड़ता रहा .. चादर और तकिया पूरी तरेह गीली हो गयी .चिपचिपी हो गयी ..पर मन शांत हो गया ..थोडा शुकून मिला ,, चूत न सही पर लौड़े को कोई जगह तो मिली , रगड़ने को !
और थोड़ी देर हांफते हुए लेट गया ... नींद कब आ गयी मुझे पता ही नहीं चला .. !
सुबह उठते ही मेरी नज़र गीले तकिये और चादर पर गयी ..जो अब सूख गया था और पपड़ी जमी थी वहां ..
पर आखिर कब तक ..??
मैंने मन बना लिया अब कुछ करना है ... कुछ शर्तिया इलाज करानी है लौड़े की बीमारी का ....
और ऑफिस जाते जाते मैं ने पानवाले की तरफ अपनी कार मोड़ दी ......
कार मैंने पान दूकान के पास रोक दी , और उतर कर दूकान के पास गया ...कुछ खास भीड़ नहीं थी , पर फिर भी कुछ लोग वहां थे .. मोहन ने (पानवाला) मुझे देख सलाम ठोंका और कहा ." बस इन्हें जरा निबटा लूं ", सामने खड़े ग्राहकों की ओर इशारा किया !
"कोई बात नहीं , आराम से ..मुझे भी आज जल्दी नहीं .
और मैं खड़ा रहा अपनी बारी की इंतज़ार में I
छोटे शहर में रहने के बहोत फायदे हैं तो सब से बड़ा नुकसान भी है के कोई भी बात बहोत जल्दी फैल जाती है , सब एक दूसरे को जानते हैं .इसलिए मोहन के शर्तिया इलाज से मैं जरा घबडा रहा था , कहीं बदनामी न हो जाये . और पता नहीं कैसी जगह और किस रंडी के यहाँ मुझे भेज दे .. बीमारी का डर भी था , मैं काफी उधेड़ बून में था , उसे कहूं या न कहूं ..?? कहीं एक बीमारी के इलाज में दूसरी कई बीमारियों का शिकार न हो जाऊं..
और इधर हमारे मोहन भाई दनादन हाथ मारते हुए अपने सभी ग्राहकों को फटाफट निबटाया , फिर पानी से अपने हाथ धोये और मेरे लिए पान के चार सब से अछे पत्ते चूने , उन्हें कैंची से बड़ी सावधानी से कुतरते हुए मेरे से कहा " सागर साहेब , आप मेरे स्पेशल ग्राहक हो , आपको जनता छाप पान कैसे दूं ..?? आप के लिए जरा सफाई से ही काम करना पड़ता है न .. और सुनाइए ..कुछ इलाज़ के बारे सोचा आपने ?? " और ये कहते हुए उस ने आँख मारी और जोरों से हंस पड़ा !!
"यार इलाज़ तो चाहिए .. पर गुरु तुम कुछ ऐसी वैसी जगह तो नहीं भेज रहे मुझे ..?? " यह कहते हुए मैंने अपने अगल बगल देखा ..कोई नहीं था उस वक्त वहां ..
उस ने पान लगाते हुए कहा " क्या बात कर रहे हो साहेब ..जैसे पान आपका स्पेशल छांटता हूँ मैं .आपके लिए वैसी ही स्पेशल चीज़ भी चुन रखी है .. बस एक बार आजमा के तो देखो साहेब .. अपना हथियार आप उस के अन्दर से निकालना ही नहीं चाहोगे ... " और फिर जोरों से हंस पड़ा ... !!
"ऐसी बात है ..?? " मैंने पूछा.
"बिलकुल ..एक दम चुम्बक है सर , उस के साथ आप ऐसे चीपकोगे जैसे शहद से मक्खी .. पूरे का पूरा चूस लो .. '
उसकी बातों से मेरा मन भी डोल गया ...और मैं मीठे शहद की कल्पना में खो गया ..."ये शाला है बड़ा चालू , लगता है मेरी इलाज कर के रहेगा .." मैंने सोचा . शहद चूसने की बात से मेरे पैंट के अन्दर कुछ हलचल सी हुई ..
तब तक मोहन पान लगा चूका और एक पान मुझे थमाया और बाकि के तीन पैक कर दिया मेरे ऑफिस के लिए ! पान मैंने मुंह में दबाया और बोला... " देख यार बातें तो तू बड़ी बड़ी कर रहा है ..पर सही में सब कुछ वैसा ही है जैसा तू बता रहा है.. ??"
" आप से मैं झूटी बात क्यूं करूंगा सर ..?? मुझे क्या आप से अपना रिश्ता तोडना है ..?? मैं इतना घटिया इंसान नहीं हूँ सागर साहेब ..एक बार चीज़ को चख तो लो साहेब ..अगर पसंद नहीं आये तो चार जूतियाँ मारना मुझे ... "
उसकी इन बातों से मैं काफी इम्प्रेस हो गया .." चलो ", मैंने सोचा , " एक बार ट्राई मारने में क्या हर्ज़.. ये शाला झूठ बोल कर जायेगा कहाँ ..?? "
"ठीक है .. बोलो क्या करना है और कब ..??" मैं ने अपनी रजामंदी दे दी !!
मोहन की आँखों में चमक आ गयी ...उस ने कहा " शुभ काम में देर किस बात की ..मैं आज शाम के लिए सब सेट कर देता हूँ .. अगर पसंद आ गयी तो बस रात भर का इंतज़ाम हो जायेगा ... "
"ठीक है . ""
और मैं पान का पैकेट ले कर अपनी कार की ओर चल पड़ा .. कार स्टार्ट की और ऑफिस पहुँच गया ..!
दिन भर मैं शाम की रंगीनियों के बारे सोचता रहा ..कैसी रहेगी ..?? इस तरेह की चुदाई का ये मेरा पहला मौका था ... मेरा रोम रोम सीहर उठा .. एक रोमांच सा दिल में होने लगा ..जैसे तैसे काम निबटा क़र घर पहुंचा . हाथ मुंह धो कर फ्रेश हुआ .थोडा हल्का सा नाश्ता किया और चल पड़ा आज के adventure की तरफ .. मोहन के पान दूकान की ओर..
ये मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम था ...!
|