Maa ki Chudai माँ का चैकअप
08-07-2018, 10:48 PM,
#7
RE: Maa ki Chudai माँ का चैकअप
"वो! हां! आज ए/सी ठीक से काम नही कर रहा शायद" ऋषभ ने झूट बोलने का प्रयत्न किया जबकि कॅबिन के भीतर व्याप्त शीतलता भौतिकता-वादी संसार से कहीं दूर वर्फ़ समान नैसर्गिक आनंद का एहसास करवा रही थी.
"कहीं मा को मेरी उत्तेजना का भान तो नही ?" खुद के ही प्रश्न पर मानो वा हड़बड़ा सा जाता है और भूल-वश अपनी टाइ को रूमाल समझ चेहरे पर निरंतर बहते पसीने को पोंच्छना आरंभ कर देता है.
"पागल लड़के" ममता ने प्रेम्स्वरूप उसे ताना जड़ा और फॉरन अपना पर्स खंगालने लगती है.
"यह ले रूमाल! टाइ खराब मत कर" वह मुस्कुराइ और अपना अत्यंत गोरी रंगत का दाहिना हाथ अपने पुत्र के मुख मंडल के समक्ष आगे बढ़ा देती है, पतली रोम-रहित कलाई पर सू-सज्जित काँच की आधा दर्ज़न चूड़ियों की खनक के मधुर संगीत से ऋषभ का ध्यान आकस्मात ही ममता की उंगलियो पर केंद्रित हो गया और तुरंत ही वह उनकी पकड़ में क़ैद गुलाबी रूमाल को अपने हाथ में खींच लेता है.
"थॅंक्स मा! शायद मैं अपना रूमाल घर पर ही भूल आया हूँ" उसने ममता के रूमाल को अपने चेहरे से सटाया और अती-शीघ्र एक चिर-परिचित ऐसी मनभावन सुगंध से उसका सामना होता है जिसको शब्दो में बयान कर पाना उसके बस में नही था.
औरतें अक्सर अपने रूमाल को या तो अपने हाथ के पंजों में जकड़े रहती हैं ताकि निश्चित अंतराल के उपरांत अपने चेहरे की सुंदरता को बरकरार रख सकें या फिर आज की पाश्‍चात सन्स्क्रति के मुताबिक उसे कमर पर लिपटी अपनी साड़ी व पेटिकोट के मध्य लटका लेती है या जिन औरतों को पर्स रखना नही सुहाता वे अमूमन उसे अपने ब्लाउस के भीतर कसे अपने गोल मटोल मम्मो के दरमियाँ ठूँसे रहती हैं और इन तीनो ही स्थितियों में उनके पसीने की गंध उसके रूमाल में घुल जाती है.
"तेरा क्लिनिक तो वाकाई बदल गया रेशू! तू इसी तरह दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता रहे मेरी कामना है बेटे" ममता की ममतामयी आँखों में हर उस मा सम्तुल्य खुशी का संचार होता नज़र आया जो अपने पुत्र की कामयाबी पर फूली नही समाती. हलाकी कॅबिन की दीवारो पर चहु ऑर तंगी, ख़ास नारी जात के गुप्तांगो व चुदाई के दौरान के अधिकांश आसान जो वर्तमान में प्रचिलित हैं उन्हे प्रदर्शित करती भिन्न-भिन्न तरह की रंगीन तस्वीरें देखने की उसकी इक्षा उतनी प्रबल तो नही थी मगर फिर भी कभी-कभार छुप-छुपा कर वह अपनी तिर्छि निगाह क्रम-अनुसार एक के बाद एक उन तस्वीरो के ऊपर अवश्य डालती रही. कुच्छ देर से सही परंतु उसकी आँखें एक ऐसी विशेष तस्वीर से चिपकी रह जाती हैं जो यक़ीनन उसे उसके ही रोग से संबंधित मालूम पड़ रही थी.
"ह्म्‍म्म! काश पापा भी इसे समझ पाते मा" ऋषभ हौले से फुसफुसाया मगर जाने क्यों अल्प समय में ही उसे उसकी मा के रूमाल से कुच्छ ज़्यादा ही लगाव हो गया था और प्रत्यक्ष-रूप से जानते हुवे कि उसकी मा ठीक उसके सामने की कुर्सी पर विराजमान है, वह अनेकों बार उस रूमाल में सिमटी मंत्रमुग्ध कर देने वाली गंध को महसूस करता रहा जो उन मा-बेटे के दरमियाँ मर्यादा, सम्मान इत्यादि बन्धनो की वजह से आज तक महसूस नही कर पाया था.
एक प्रमुख कारण यह भी था कि वर्तमान से पहले उसकी मा ने कभी उसके क्लिनिक का रुख़ नही किया और ममता के आकस्मात ही वहाँ पहुँच जाने से ऋषभ के मश्तिश्क में अब अजीबो-ग़रीब प्रश्न उठने लगे थे, एक द्वन्द्व सा चल रहा था. किसी भी तथ्य का बारीकी से आंकलन करना बुरी आदत नही मानी जा सकती परंतु उसके विचार अब धीरे-धीरे नकारात्मकता की ओर अग्रसर होते जा रहे थे.
"वे भी तुझे बहुत प्यार करते हैं रेशू! हां! बस तेरे करियर के चुनाव की वजह से थोड़ा नाराज़ ज़रूर रहते हैं लेकिन मुझे विश्वास है कि तुम दोनो के बीच का मूक-युद्ध अब कुच्छ ही दिनो का मेहमान शेष है तो क्यों ना आज से ही डिन्नर हम तीनो एक साथ करने की नयी शुरूवात करें ?" ममता ने उस विशेष तस्वीर के ऊपर से अपनी नज़र हटा कर कहा और वापस ऋषभ के चेहरे पर गौर फरमाती है. उसका रूमाल उसके पुत्र की नाक के आस-पास मंडरा रहा था, बार-बार वह गहरी साँसें लेने लगता मानो पति राजेश की तरह वह भी अस्थमा का शिकार हो गया हो. जिन बुरे हलातो से ममता अभी गुज़र रही थी उनमें उसे एक और संदेह जुड़ता नज़र आने लगा था. उसे पूरा यकीन था कि आज से पहले उसका कोई भी वस्त्र ऋषभ के इतने करीब नही आ पाया था क्यों कि उसने खुद ही एक निश्चित उमर के बाद अपने पुत्र के शारीरिक संपर्क में आना छोड़ दिया था.
"तुम्हारे बदन की खुश्बू बेहद मादक है ममता" राजेश के अलावा उसकी कयि सहेलियों ने दर्ज़नो बार उसे छेड़ा था और हर बार वह शरम से पानी-पानी हो जाया करती थी. थी तो मात्र यह एक प्रसंशा ही मगर परिणाम-स्वरूप सीधे उसकी चूत की गहराई पर चोट कर जाया करती थी और शायद उस वक़्त ऋषभ की हरक़त भी उसे उसी बात का स्पष्टीकरण करती नज़र आ रही थी.
"ऐसा क्या है इस रूमाल में जो तू इतनी तेज़-तेज़ साँसे ले रहा है ?" ममता से सबर नही हो पाता और वह फॉरन पुछ बैठी, तारीफ़ के दो लफ्ज़ तो जहाँ से भी मिलें अर्जित कर लेना चाहिए, फिर थी तो वह एक स्त्री ही और जल्द ही उसे उसके पुत्र का थरथराते स्वर में जवाब भी मिल जाता है.
"तू .. तुम्हारी खुश्बू मा! बहुत बहुत अच्छी है"
Reply


Messages In This Thread
RE: Maa ki Chudai माँ का चैकअप - by sexstories - 08-07-2018, 10:48 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,542,914 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 549,154 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,250,106 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 945,115 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,678,451 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,101,326 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,986,128 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,172,086 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,075,194 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 288,950 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)