RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क से आगे..............
करीब आधे घंटे के बाद वो फ्रेश होके बाहर निकला....रितिका कमरे में नही थी..अंकित के चेहरे पर
इश्स वक़्त एक अजीब सी परेशानी झलक रही थी...लेकिन वो रेडी हुआ और कमरे से बाहर निकला तो उसे हॉल में भी रितिका नही दिखाई दी....वो कुछ बोलता उससे पहले ही
अंकित ब्रेकफास्ट रेडी है...जस्ट 2 मिनट......रितिका ने किचन में से आवाज़ लगाई.....
अंकित चुपचाप टेबल पे बैठ गया...वो इस वक़्त बहुत अजीब सा दिखाई दे रहा था हर पल चेहरे पे एक
खुशी और एक बच्पना जो दिखाई देता था..इस वक़्त बहुत ही व्याकुल और कन्फ्यूषन से भरा हुआ दिखाई दे रहा था....
रितिका ब्रेकफास्ट लेके आई..दोनो ने आराम से ब्रेकफास्ट किया....कोई कुछ नही बोला..दोनो में कोई बात नही हुई..
पर जब रितिका प्लेट्स उठा के किचन में गयी तो अंकित ने पूछा...
अंकित :- फ्लाइट कितनी बजे की है... (किचन के गेट पे खड़ा होके)
रितिका की पीठ उसकी तरफ थी...रितिका ने कहा... 12 बजे की है..बस अभी निकलना है....
फिर पता नही अंकित को क्या हुआ वो तेज कदमो से चलता हुआ आया और पीछे से रितिका को कस के पकड़ लिया .... रितिका के पल के लिए चौक गयी..
अंकित :- आइ अम गोनना मिस यू .... रियली... (और कुछ ना बोल पाया और ऐसे ही खड़ा रहा)
फिर कुछ देर बाद वो अलग हुआ..रितिका उसकी तरफ मूडी और उसने फिर हग कर लिया..
रितिका :- आइ आम गॉना मिस यू टू..अंकित.
दोनो अलग होते हैं...
अंकित :- जहाँ से शुरुआत की थी....आज वहीं ख़तम हुआ है हम दोनो का ....
अंकित बोलता है तो रितिका को उस दिन की याद आ जाती है...जब अंकित ने उसे वो सब कुछ कहा था...
काफ़ी अजीब समय था दोनो के लिए...दिल में एक अजीब सी हलचल ... अजीब हालत..अजीब महॉल कहने को बहुत कुछ ..पर रिश्ता ऐसा कि कहना भी नही बनता.. या फिर यूँ कहे..वो दोनो ही नही जानते कि कुछ दिन पहले क्या रिश्ता बना ... और कैसा बना...क्या ये रिश्ता प्यार का है..या फिर किसी और चीज़ का..
ये लो अंकित....रितिका और अंकित गेट पे खड़े थे...तभी रितिका ने अपनी मुट्ठी खोल के चाबियों का गुच्छा
दिखाया..
अंकित :- ये क्या है?
रितिका :- इस घर की चाबी?
अंकित :- लेकिन मुझे क्यूँ दे रही हो?
रितिका :- क्यूँ कि में चाहती हूँ कि तुम इस घर का ख़याल रखो मेरे जाने के बाद..
अंकित :- पर में नही...
रितिका :- प्लीज़...बहुत यादें जुड़ी है इस घर से..
इसके बाद अंकित कुछ नही कह पाया...और उसने वो चाबी रख ली....
रितिका :- आइ डोंट नो व्हाट टू से.....बट इतना कहना चाहूँगी यू मेड माइ लाइफ बेटर अगेन थॅंक यू सो मच...
(और आगे बढ़ के अंकित को गले लगा लेती है)
कुछ देर दोनो ऐसे ही रहते हैं उसके बाद अलग होते हैं...घर से बाहर निकलते हैं..अंकित गेट लॉक करता है......टॅक्सी बाहर ही खड़ी थी...रितिका ने पहले ही फोन कर दिया होगा..या फिर कंपनी ने भेजी होगी ऐसा अंकित सोचने लगा....
अंकित ने समान रखा रितिका के लिए गेट खोला .. रितिका अंदर बैठ गयी....दोनो एक दूसरे को देखने लगे..
शायद रितिका चाहती थी कि अंकित कुछ कहेगा या फिर कुछ बोलेगा..लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ..अंकित कहना तो बहुत कुछ कहना चाहता था...पर उसने सिर्फ़ इतना ही कहा..
बाए रितिका...आइ होप यू हॅव आ न्यू लाइफ आंड ग्रेट फ्यूचर अहेड...मिस यू सो मच....(मुस्कुराते हुए अंकित ने कहा)
तो रितिका भी मुस्कुरा के बस यही कह पाई...यू टू .अंकित...यू टू...बाए....(और फिक्स टॅक्सी वाले को चलने के लिए बोल दिया)
टॅक्सी जा रही थी..और अंकित उसे वहीं खड़ा होके देखता रहा...देखता रहा जब तक टॅक्सी उसकी आँखों के आगे से ओझल नही हो गयी....और अचानक ही उसे आभास हुआ...कि आज कुछ खो दिया है उसने...कुछ ऐसा जिसकी आदत पड़ गयी थी उसे....उसने चेहरे पर एक अजीब सी घबराहट झलक रही थी..
मेने खो दिया रितिका को आज...सच..हाँ..खो दिया..अब वो कभी वापिस नही आ पाएगी...सच में..तो अब में कैसे रह पाउन्गा उसकी आदत पड़ गयी थी...ये क्या हुआ कैसे हुआ सब नही पता ...पर क्यूँ हुआ..रितिका कैसे छोड़ के जा सकती है..मेने उसे रोकने की कॉसिश क्यूँ नही करी...एक बार बोल तो सकता था...शिट्स...ऐसा कैसे हो सकता है...कुछ अजीब सा क्यूँ लग रहा है...कहीं मुझे प्यार तो नही हो गया था...
तभी उसका फोन बजता है.....वो फोन देखता है और उठाता है..
हे ड्यूड..व्हतस अप.....क्या हाल है......
अंकित :- दिशा आज सुबह सुबह...
दिशा :- हाँ यार.....बस कल रात को काम था..तो सुबह आई..तो सोचा तेरे से बात कर लूँ..तू तो फ़ोन करता नही है..
अंकित :- ऐसी बात नही है यार..बस कुछ बिज़ी था..
दिशा :- ओह्ह्ह..अच्छा....वैसे आज क्या कर रहा है?
अंकित :- नतिंग मच..क्यूँ?
दिशा :- व्हाट अबाउट टुडे यू कम माइ प्लेस?
अंकित :- मीन्स? (उसके चेहरे के भाव बदलने लगे)
दिशा :- अरे बाबा..माइ आंट ईज़ नोट हियर ... शी ईज़ गोयिंग फॉर आ ट्रिप दिस आफ्टरनून... सो आइ थॉट वी डू सम पार्टी....व्हाट से...
तभी अंकित की घंटी बजने लगी...पार्टी होल नाइट..दिशा के फ्लॅट पर....और उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ गयी....और एक शैतानी लकीर फैल गयी.....
अंकित :- या या श्योर...आइ विल बी देअर....
दिशा :- ओह्ह ग्रेट...वी हॅव फन रियली...आइ टेल यू दा टिमी लेटर ऑन..ओके..
अंकित :- या या..नो प्राब्लम..
दिशा :- ओ के चल में फिर सो लूँ थोड़ी देर...बहुत नींद आ रही है...बाबयए..
अंकित :- बाबयए.... (फोन कट)
वाऊ..दिशा के घर...मज़ा आएगा...यस...इट्स रियली गॉना फन... आज बहाना मारना पड़ेगा फिर से घर पर....मज़ा आएगा.....आज तो उस आइटम के साथ... (वो चाबी उछालते हुए अपने आप से बोल रहा था)
तभी उसकी नज़र चाबी पर पड़ी....और फिर घूम के उस घर पे पड़ी...रितिका के घर पर...
नही वो प्यार नही था...एक अट्रॅक्षन था .....
शायद एक ऐसा अट्रॅक्षन था जिसमें हम दोनो खो गये और समझ ही नही पाए कि क्या कर रहे हैं...एक ऐसा अट्रॅक्षन जो हम दोनो की ही नीड थी...
पर ...
मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है कि मेने सिर्फ़ रितिका से अपनी वही माँगी हुई चीज़ ही हासिल की....वही पुरानी
एक कीमत "ज़िंदगी" की.....क्या में यही चाहता था आज भी... क्या मुझे मिला भी यही....क्या सिर्फ़ वही कीमत चुकाने के लिए वो मेरी लाइफ मे थी....सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरा एहसान चुकाने के लिए...
अंकित अपने आप से ये सवाल करता हुआ रितिका के घर को घूरते हुए खड़ा रहा....
तो भाई लोगो आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना दोस्तो फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब के लिए अलविदा आपका दोस्त राज शर्मा
दा एंड
समाप्त
|