RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क से आगे..............
हाई....आज तो में कसम से गया..लेकिन ध्यान रखना रितिका अगर इसको कुछ हो गया जीन्स के अंदर तो
फिर कभी कुछ नही कर पाउन्गा..हाहहहः..(बोलते हुए हँसने लगा)
चिंता मत करो...बस देखते रहो...(गर्दन पे उंगली फेरते हुई उसके पीछे आ जाती है)
और उसकी गर्दन को पीछे की तरफ नीचे झुका देती है ....
रितिका :- नाउ आइ विल अनफोल्ड युवर आइज़..बट प्रॉमिस मी यू डोंट ओपन युवर आइज़ बिफोर आइ विल गेव यू अनदर इन्स्ट्रक्षन
ओके...
अंकित कुछ बोलने की बजाए सिर्फ़ गर्दन हाँ में हिलाता है...
रितिका उसकी आँखों की पट्टी को खोल देती है..और वेड के मुताबिक अंकित अपनी आँखें नही खोलता..रितिका उसकी
गर्दन को सीधा कर देती है....
रितिका :- डोंट ओपन युवर आइज़ अंटिल से यू टू ओपन.....
और चलती हुई अंकित से दूर चली जाती है......
अंकित :- रितिका कहाँ जा रही है...आँखें खोल दूं....अरे कुछ तो बोलो..में खोल रहा हूँ....जल्दी
करो यार...
रितिका :- जस्ट वेट आ व्हीली प्लीज़.....
अंकित अपने मन में....यार ये मेरा खड़ा कर कर के मेरी मारेगी आज लगता है..उई माँ बड़ा दर्द हो रहा
है....कहीं खड़े रहने के चक्कर में अगर इसको कुछ हो गया तो ये तो चली जाएगी फिर मेरा क्या
होगा...नही नही..ऐसा कुछ हुआ तो में तो ज़िंदा मर जाउन्गा....(इतना सोच ही रहा होता है कि रितिका
की आवाज़ उसके कानो में पड़ती है...)
रितिका :- नाउ उ कॅन ओपन युवर आइज़.....
अंकित की बॅंड तो रितिका की आवाज़ से ही खराब हो गयी थी..उस आवाज़ में इतना सेडक्ट्ष्वनेस था इतनी
ठहरी हुई और बैठी हुई आवाज़ थी कि बस कोई भी सुन के पागल हो जाए....
अंकित ने धीरे धीरे आँख खोलनी शुरू की....और आँखें खोली तो उसे सामने कुछ दिखा पर धुंधला सा
इसलिए उसने एक दो बार आँखें बंद करी और फिर खोली....और फिर जो सामने का नज़रा था उसे सच में आज
अंकित का लंड खाट खड़ी कर जाना था...
रितिका सामने खड़ी थी........आल्मिरा के डोर के साथ ये कोई खास बात नही थी.लेकिन उसके कपड़े जो उसने
पहने थी वो ऐसे थे कि बॅस किसी की भी लुल्ली को लंड बना दे...
बिल्कुल ट्रांसपेरेंट ब्लॅक कलर की एक नाइट ड्रेस या यूँ कहिए नाइटी...उसकी लेंथ मुश्किल से कमर तक
ही थी...
अंकित की आँखें पूरी खुली थी..उसको सांस लेने में भी तकलीफ़ होने लगी ... नज़ारा ही कुछ ऐसा था..
रितिका ने अपने पैर डोर पे रखे हुए थे दोनो हाथ उपर थे चेहरा आल्मिरा से चिपका हुआ था...
सामने का सबाल बिल्कुल खुला हुआ......मानो अंकित को बोल रही हो हिम्मत है तो आओ इस शरीर को बाहों
में भर लो......एक मॉडेल भी फैल हो जाएगी रितिका के आगे इस वक़्त इतनी कयामत ढा रही थी....
चेहरे पे कोई मेकप नही बस होंठो पे रेड लिपस्टिक..बाल खुले हुए...आँखों पे हल्का काजल.....
नीचे आएँ तो उस ट्रॅन्स्परेंट नाइटी में वो उसका खुला बराबर शरीर...ड्रेस के अंदर उसकी दिखती
वो खूबसूरत चुचियाँ सॉफ दिखते हुए वो कड़क हो रखी निपल्स...जो थोड़ी देर पहले अंकित की चेस्ट
में घुसे हुए थे....और नीचे आएँ तो सपाट पेट उसका वो छोटा सा होल और उसके नीचे वो होली
जिसे देख के तो कोई भी उड़ने लगे..जैसे अंकित का लंड उड़ रहा था पर तकलीफ़ के साथ ....
रितिका की वो बेहद खूबसूरत चिकनी चूत जिसका छेड़ सामने बैठा अंकित भी देख पा रहा था...
और उसके नीचे वो सुंदर कोमल मखमली थाइस्स....और साइड में हल्की झल्क देती हुई उसकी वो गान्ड..
कसम से अंकित की तो सॉलिड लगा दी थी रितिका ने......उसने अपनी नज़रें ना चाहते हुए भी रितिका के उपर
से हटा के इधर उधर देखा तो उसका दिल अंदर तक खुशी से झूम उठा ... इतनी मेहनत इतना सब कुछ किया
रितिका ने इस रात को यादगार बनाने के लिए....अंकित सोच में पड़ गया नज़ारा ही ऐसा था कमरे का..
हर तरफ जलती हुई कॅंडल्स जिसकी रोशनी से उस कमरे में खड़ी रितिका की सुंदरता और कमरे के उस पल को
और ज़्यादा खूबसूरत बना रहा था...कमरे का महॉल ही बदल दिया था.....
दर्द चाहे जितना भी हो रहा हो...पर शायद इस पल ने अंकित के सारे दर्द को भुला दिया होगा....
क्रमशः...........................
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