RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
उसके चेहरे पे हल्का सा टेन्षन था एक हाथ से साड़ी पकड़ी और एक हाथ को अपने माथे पे लगाया जल्दी जल्दी चल रही थी...उसने लिफ्ट ली और ग्राउंड फ्लोर पे उतरी और तेज कदमों से चलती हुई वो एक कोने मे जाके पतली सी गलेरी में से होते हुई एक जगह आके खड़ी हो जाती है...
एक तरफ मेल्स टाय्लेट और उसकी बगल में फीमेल टाय्लेट ... रितिका फीमेल टाय्लेट के गेट के बाहर खड़ी हो जाती है....उसने अपने हाथों से हॅंडल को दबाया और इधर उधर देखने लगी कि कोई देख तो नही रहा..फिर हॅंडल नीचे करके उसने दरवाजा खोला और फट से घुस गयी अंदर....
अंदर वॉशरूम काफ़ी बड़ा और स्टाइलिश था...डोर के ठीक पीछे वॉशबेसिन और मिरर थे...उसी के साइड में कॅबिन्स बने हुए थे 6 या 7 थे...उसके सामने की जगह खाली थी....काफ़ी स्टाइलिश बाथरूम बना हुआ था
रितिका अंदर घुस के अपनी गर्दन घुमाने लगी और अंदर आके डोर को बंद कर दिया..
यू देअर... वो हल्के से बड्बडायि...उसको डर लग रहा था...(वो चलती हुई कॅबिन्स के सामने आके खड़ी हो गयी)
सभी कॅबिन्स के डोर बंद थे ... उसने पहले सोचा कि उसे नॉक किया जाए..लेकिन फिर कुछ सोच के नही किया..
ओफफफूऊऊ.....(अपने माथे पे हाथ रख के धीरे से बोली और घूम गयी और सामने दीवार की तरफ देखने लगी)
फिर फोन पे कॉंटॅक्ट्स खोले और नंबर डाइयल करने लगी....
कि तभी पीछे से धीरे से बिना आवाज़ करे एक कॅबिन का डोर खुला और उसमे से निकला हाथ सीधी रितिका के मुँह पर पड़ा...रितिका की आँखें फट गयी उसका मुँह बंद था इसलिए वो चिल्ला भी नही पा रही थी...
तभी उन हाथों ने उसे कॅबिन के अंदर खीच लिया और कॅबिन का डोर बंद कर दिया...
रितिका अंदर छूटने के लिए छटपटा रही थी....उहं उंगघह छूटने के लिए दम लगा रही थी ....
कि अचानक वो हाथ रितिका के उपर से खुद ब खुद हट गया.....रितिका सीधी खड़ी होके गहरी गहरी साँसे लेने लगी...कि तभी...
हाहहहहहहाहा........रितिका के पीछे से हँसने की आवाज़ आई....रितिका गुस्से से भरा चेहरा लेके पीछे
मूडी
सामने अंकित अपने हाथों से तालियाँ बजाता हुए आँख मीच के हंस रहा था...
रितिका ने कंधे पे चमाटे लगा दिए एक के बाद एक 3 - 4..
अरे मार क्यूँ रही हो... (हँसना बंद करते हुए अपने शोल्डर्स को सहलाने लगा)
रितिका :- अच्छा...क्यूँ ना मारू..ऐसा भी कोई करता है..कितना डर गयी थी में..
ओह...गोल मुँह करके अंकित बोलता है...
रितिका :- क्या ओह्ह्ह.....एक पल के लिए मेरी जान ही निकल गयी थी..
ये बात सुन के अंकित रितिका की कमर में हाथ डाल के उसे थोड़ा अपने करीब कर लेता है..
अंकित :- ऐसे कैसे निकल जाने देता.....
रितिका :- हट..बदमाश...(थोड़ा सा पीछे होती है) अरे याद आया(अपने सर पे हाथ मारते हुए) अंकित तुम्हे यहाँ नही आना चाहिए था ये मेरा ऑफीस है और वो भी फीमेल्स वॉशरूम में आर यू मॅड...तुम्हे पता है ना..तुम जाओ यहाँ से फ़ौरन प्लीज़....अगर किसी ने देख लिया तो क्या होगा तुम्हे पता है..ओह्ह माइ गॉड..नो प्लीज़..तुम निकलो बाहर... (वो अंकित का हाथ खीच रही थी थोड़ी घबराई गयी थी)
अंकित :- ओफूओ....यार कितना डरते हो..कसम से...कुछ नही होगा....में तुम्हे तो कुछ नही होने दूँगा..
(उसने दोनो हाथों को पकड़ के उसे विश्वास दिलाया)
रितिका :- तुम ना....(और मुस्कुरा दी...इसी मुस्कान पे तो अंकित भाई साहब फिदा थे) लेकिन तुम्हे कैसे पता कि में आ गयी हूँ...
अंकित :- ह्म्म(अपने दोनो हाथ गले के दोनो तरफ डालते हुए) मेडम 5 दिन कैसे काटे हैं हमने..ये हम ही जानते हैं..में कैसा जानता हूँ ये छोड़ो लेकिन ये बताओ कि आपने मुझे क्यूँ नही बताया कि आप गये हो..
रितिका :- यार आज सुबह 3 ऑक्लॉक आई...और फिर सुबह ही ऑफीस चली गयी...वैसे आज ईव्निंग में तुम्हे सरप्राइज देती...लेकिन तुमने तो मुझे सरप्राइज कर दिया.... (बोलते हुए वो अपनी आँखें और चेहरा ऐसा बना रही थी जैसे वो बच्चों की तरह सच में सरप्राइज ना देने पर निराश हो)
पर उस टाइम वो इतनी भोली लग रही थी कि अंकित बस उसे ही देखे जेया रहा था कि तभी रितिका ने उसकी आँखों में देखा..
क्रमशः...........................
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