RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क से आगे..............
अंकित के हाथ आगे बढ़ते हुए रितिका के उन आधे क़ैद बूब्स पर आ रहे थे....और कुछ ही सेकेंड
में जब दोनो की जीभ एक दूसरे से लड़ाई लड़ रही थी..तो उसने उन बूब्स पर हाथ रख दिए और
उन्हे कस कस्स के दबाने लगा...
अपने हाथों से जितना मसल सकता था मसल्ने लगा..मानो कोई फॉर्म की बॉल हो...बड़ी ही
बुरी तरह से....
किस में भी वही जुनून दिखाई दे रहा था......
रितिका का ब्लाउज ऐसे बुरी तरह निचोड़ दिए जाने से बूब्स के कुछ हिसों के उपर से हट गया था
जिसे रितिका के वो सुंदर या यूँ कहें बेहद सुंदर बूब्स उजागर होने लगे थे..
पर..
अंकित के ऐसा करने पर रितिका को दर्द हो रहा था..और इस बार अंकित को ये पता चल गया..
क्यूँ कि रितिका के हाथों में उसके बाल काफ़ी ज़्यादा कस गये थे...
अंकित ने अपना चेहरा अलग किया...और अपने हाथों से उसके बूब्स दबाना बंद कर दिया..और उसकी
आँखों में देखने लगा...
रितिका की साँसे बहुत तेज़ी से चल रही थी...यूँ कही उखड़ चुकी थी....
रितिका :- (उखड़ी साँसों में) क्या..इसे प्यार...से करना....कहते..आ.आ.. हैं.....
अंकित को रितिका की ये बात दिल को छू गयी...उसे समझ आ गया कि वो क्या कर रहा था..वो अभी जो
कर रहा था वो उसकी वासना था...उसे एहसास हुआ कि लड़की कोई खिलोना नही कि उससे जबर्जस्ती किसी भी
तरह मोड़ दिया...
उसे ये भी समझ आया..कि ये लड़कियाँ सिर्फ़ 2 बूँद प्यार की प्यासी होती है अगर वो दे दिया तो ये सब कुछ
देने को तैयार हो जाती है...
अंकित को समझने में देर ना लगी..वो आगे बढ़ा और रितके के कान के पास जाके उसके कान के
नीचे वाले हिस्से को अपने होंठों में दबा के उसे बड़े प्यार से चूसने लगा...
ह्म्म्म्मममममममममममममममम.....एक आवाज़ रितका के मुँह से निकली..
अंकित ने होंठ हटाए और फिर वो बोला...सॉरी......
और फिर कान में अंदर अपनी जीभ डाल के उसे चाटने लगा...रितिका को गुलगुली होने लगी लेकिन
उससे इस एहसास का मज़ा बहुत आ रहा था...
फिर अंकित अपना चेहरा वहाँ से हटा नीचे झुक गया और अपनी जीभ नाभि में डाल के वहाँ ट्विस्ट
करने लगा....
आहह रितिका के हाथ सिसकी लेते हुए अंकित के सर के पीछे आ गये...
उसने एक हाथ से अपना ब्लाउज आगे लगाए रखा था...जिससे वो ना गिरे...
पर एक साइड से उसके आधे बूब्स तो क्लियर्ली दिख रहे थे..शोल्डर पे से ब्लाउज गिरने की वजह से वो
हवा में झूल रहा था आधी जगह से..
रितिका की आँखें बंद हो गयी थी..अंकित उसके तपते हुए पेट अपने गीले ठंडे होंठो की बरसात
जो कर रहा था..उसका पेट कांप रहा था...और पैर भी साथ साथ हिल रहे थे...उसके लिए खड़ा होना
काफ़ी मुश्किल था....
फिर अंकित उपर उठा रितिका को ऐसी ही देखता रहा...उसकी आँखें बंद थी...तेज तेज साँसे ले रही थी..
फिर अचानक...
अंकित ने अपने हाथ आग बढ़ाए और उसे अपनी गोदी में उठा लिया..रितिका एक पल के लिए चौंक
गयी...लेकिन फिर आँखों खोल के अंकित को देखने लगी...
अंकित भी उसकी आँखों में देखने लगा...और चल पड़ा उसे उठाए बेडरूम की तरफ....
साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ ज़मीन को सॉफ कर रहा था लेकिन इस वक़्त साड़ी इतनी ज़रूरी नही थी
ज़रूरी था तो इन दोनो का आपस में मिलन होना..जो दोनो के लिए ही बेहद ज़रूरी था..
कमरे में पहुच के अंकित ने बड़े प्यार से रितिका को बेड पे रखा..और उसके हाथ को अपने
हाथ में पकड़ लिया..और हथेली के उपर अपने होंठ फिराने लगा..और किस करने लगा..और वहाँ
से किस करते हुए वो आगे बढ़ता चला गया और अपनी जीभ निकाल के अपने रस से रितिका के
हाथ को भिगो दिया और शोल्डर पे पहुच के वहाँ अपने होंठ रख के उन्हे चुस्सने लगा...
रितिका को इस सेंसुअल भरे खेल में बड़ा ही मज़ा आ रहा था हल्की हल्की बहुत हल्की सिसकी लेते
हुए आँखें बंद कर ली थी...
अंकित वहाँ से हटा और कुछ सेकेंड तक इस कमसिन जवानी को देखने लगा...पता नही कैसे काबू कर
रखा था इसने..नही तो इस बाला को ऐसी हालत में पलंग पर देख ले तो कोई भी राक्षस की तरह टूट
पड़े और पूरा खा जाए..हड्डी तक ना छोड़े....
पलंग पर लेटी उपर से आधा नंग शरीर चेहरा इतना खूबसूरत पानी से भरा चेहरा उसपर आधी
खुली ब्लाउज जिसमे से वो सुंदर चुचियाँ खिड़की में से झक रही थी..और नीचे सपाट सुंदर
पेट...जिसके बीच में एक सुंदर होके...और नीचे आगे देखो तो घुटनो तक चढ़ि हुई साड़ी....
कोई भी लड़का दीवाना हो जाए....और पागल होके टूट पड़े...
लेकिन अंकित को पता था कि उसे क्या करना है.....
वो आगे बढ़ा और अपनी एक उंगली को पेट के कोने से फिराते हुए दूसरे कोने तक आया...और साथ
साथ पेटिकोट में धँसी साड़ी को भी खोल लिया.....
रितिका की कमर अपने आप ही हवा में उठ गयी....और अंकित ने फुर्ती दिखाते हुई नीचे फँसी साड़ी
भी खीच ली...और अब पूरी साड़ी शरीर पे से हट चुकी थी...उसने उस साड़ी को वहीं ज़मीन पे छोड़ दिया
और रितिका की टाँगो पे अपनी उंगलियाँ चलाते हुए अपने होंठो की रगड़ मारते हुए धीरे धीरे
पेटिकोट के उपर आने लगा और उपर आकर उसका नाडा भी खोल दिया.......और उसे हल्का सा
नीचे कर दिया....
रितिका का शरीर बुरी तरह से हिल रहा था....उसने अपनी एक उंगली अपने दाँत के बीच में दबा रखी थी..
हल्का सा नीचे होने की वजह से उसकी पेंटी की लाइन दिखनी शुरू हो गयी...
अंकित ने होंठ आगे बढ़ा के ठीक जहाँ पेंटी की लाइन थी उसपे उपर रख दिए और वहाँ चाटने
लगा...
आ..न.न...क......आअहह सिसकी लेती हुई रितिका उछल सी गयी....
क्रमशः...........................
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