RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
रितिका :- अंकित...आ.आ.ह..प्लीस..ए...मत.टीटी.त.. करूऊ (बोलते बोलते उसकी आँखें मदहोशी में बंद हो रही
थी) और वो अंकित के बालों को पकड़ के पीछे खिचने में लगी हुई थी..
प्लीज़..ए.ए..ए.ए... मत करो...ये सब ठीक नही हाइयैई........
अंकित ने अपनी होंठ हटा लिए और रितिका की आँखों देखने लगा..
अंकित :- अगर ये ठीक नही है...तो फिर क्यूँ भेजा मुझे वो लेटर क्यूँ वो सब किया क्या वो ग़लत नही
था...और अभी...खुद से क्यूँ बताया कि आर्नव घर पे नही है....इससे सिर्फ़ यही मतलब निकलता है कि
आपके दिल में भी वही है जो मेरे दिल में है..हम दोनो को अपनी अपनी परेशानी बतानी है...
और आप भी यही चाहती है...पर आपको एक अजीब सी डोर ने बाँध रखा है जो आज में तोड़ के
रहूँगा..क्यूँ कि ना तो में आपको परेशानी में देख सकता हूँ..और ना ही खुद परेशान
हो सकता हू....
(इतनी बाते उसने आँखों में आँखें डाल के बोली)
और रितिका को कमर से पकड़ की पीछे दीवार से सटा दिया..और अपने हाथ आगे करके...
उसके शानदार बूब्स के सामने से उसकी साड़ी का पल्लू हटा दिया जो सीधी जाके फर्श पर गिर गया
और फिर आगे बदः के उसके सीने से चिपक गया जिस्शे अंकित की चेस्ट में रितिका के बूब्स घुस गये
और फिर से..
पागलों की तरह कभी गालों तो कभी नेक और कभी ब्लाउस को शोल्डर पे से हटा के वहाँ
होंठो केए बरसात करने लगा...
रितिका ना कहते हुए भी हार चुकी थी..उसके हाथ अपने आप अप अंकित के सर के पीछे चले गये
और उसकी आँखें बंद हो गयी....और उसके मुँह से हल्की हल्की आह..निकलने लगी...
उसके शरीर ने उसके दिल और दिमाग़ पे आख़िर कर क़ब्ज़ा कर ही लिया...(इसमे अंकित की बातों का बहुत असर
था कि वो अब हार मान चुकी थी...)
अंकित का एक हाथ शरीर को सहलाता हुआ उसके पेट पे पहुच गया और उसकी उस न्यूड पेट की नाभि
पे रख वहाँ अपनी उंगलियों से ट्विस्ट करने लगा...
रितिका के पेट ने तो नाचना शुरू कर दिया इस प्रहार से...गहरी गहरी साँसे चल रही थी उसकी..
अंकित तो पागलों की तरह चुम्मा चाटी कर रहा था पूरी गर्दन पे...मानो कोई अनोखी चीज़
मिल गयी हो..(वैसे उसके लिए अनोखी ही है)
दूसरे हाथ से अंकित रितिका के चेहरे को सहला रहा था और रितका भी उसके हाथों पे अपना चेहरा घिस रही
थी...अब उसने अपने दिमाग़ की बाते सुननी बंद कर दी...
दिल और शरीर की बातों में खो गयी....और इस सुख का आनंद लेने लगी...
अंकित ने अपना हाथ रितिका के चेहरे से हटाया और ब्लाउज की तरफ बढ़ा के उसे शोल्डर पे से गिरा
दिया अब पीछे से तो खुला हुआ ही था...शोल्डर से गिरने की वजह से वो लटक सा गया मगर
अंकित की चेस्ट रितिका से चिपकने की वजह से वो पूरा नही गिरा..
अंकित ने वहाँ जीभ निकाली और शोल्डर पर अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी.
आहह..रितिका सिसकती हुई उसके बालों में हाथ फैरने लगी..उसके शरीर में गुलगुली होने
लगी....
कुछ सेकेंड तक ऐसे ही रितिका को गुलगुली करने के बाद उसने अपना चेहरा उठाया और रितिका की आँखों
में देखने लगा..रितिका के हाथ बराबर अंकित के बालों में चल रहे थे...
रितिका भी उसकी आँखों में देख रही थी...
दोनो की आँखों में एक ही बात मुझे नज़र आ रही है..
कि अब बस और नही.....और नही....इंतजार होता इस पल को ज़िने दो...
बस देखते ही देखती अंकित के होंठ आगे बढ़ने लगे...और करीब बढ़ते चले गये..
और आख़िर कर रितिका के उन रसीले होंठो पे पड़ गये..और उन्हे चूसने लगी....
बड़ी ही बहरामी से अंकित रितिका के होंठ चूस रहा था..तो रितिका भी पीछे नही हाटी..और वो
भी उसी जोश के साथ किस करने लगी...
सर का नशा अब सर चढ़ चुका था...और वो पूरी ढोल बजाते हुए आगे बढ़ रहा था..
क्रमशः...........................
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