RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
अगली सुबह...
आज अंकित काफ़ी देर तक सोता रहा..कौलेज तो जाना नही था इसलिए मज़े में सो रहा था..
10 से 11 बज गये लेकिन वो भाई साहब नही उठे..
वो तो जब उसकी माँ ने कान के पास आके चिल्लाना शुरू किया तब जाके भाई साहब की आँखें
खुली..
अंकित अंकित..उठ जा..कितना सोएगा...कामवाली सफाई करने आ जाएगी और तू सोता रहिओ...फिर खुद
करियो सफाई..
बस अब काम की बाते सुन के आँखें कैसे ना खुलती.भाई साहब अचानक उठ के बैठ गये...
अंकित :- (अंगड़ाया लेते हुए) हाँ हाँ उठ रहा हूँ ना...यार.....(और पीछे तकिये लगा के उसपे
टैक लगा के बैठ गया)
उसकी मम्मी बाहर चली गयी कमरे से....
उठते ही जनाब नी फोन चेक किया..
अंकित :- ऊ तेरी.... 11 मिस...किसके हैं देखूं तो...ओह्ह्ह सारे दिशा के हैं....
(और फिर पढ़ने लगा)
हाहाहा...हल्की हँसी हँसने लगा...साले कैसे ब्रा पेंटी के मसेज भेज रही है...सच में बहुत ही
ज़्यादा कंटक और कमीनी लड़की है ये...एक ही दिन में 11 नों-वेज मेसेज...साली..हाहाहा..
(अंकित पढ़ते हुए बोला और मुस्कुरा रहा था)
तभी उसकी मम्मी अंदर कमरे में आई और बेड के सामने पड़े कुछ कपड़े उठाते हुए बड़बड़ाने
लगी..
सारे काम तो मुझे ही करने पड़ते हैं घर पे...महाराज को देर तक सुल्वा लो..उसके बाद तफ़री
करवा लो ये नही कि अपनी मम्मी की मदद कर दे..नही वो तो करनी नही है...सारा दिन निथल्ले की तरफ
पड़े रहो...(बोलते हुए कमरे के बाहर चली गयी
अंकित :- (अपने आप से) बिना सुने तो मेरा दिन कहाँ शुरू होता है.....
और फिर उठ के बाथरूम में घुस जाता है..
और फ्रेश होते टाइम सोचने लगता है...कि साला आज जो भी हो जाए रितिका की तो बॅंड बजानी ही है..
बहुत हो गया.....अब मुझसे और कंट्रोल नही होता...सही टाइम देख के जाउन्गा...और आज आर या
पार वाला काम कर ही दूँगा...(उसकी आँखों में एक अलग ही रिक्षन और चमक थी)
दोफर को पलंग पे लेटा रहा और फिर थोड़ी देर बाद चुनमुनियाडॉटकॉम खोल के बैठ गया.....
अंकित :- आज क्या पढ़ुँ...क्या पढ़ु..साला अब कोई अच्छा रायटर का बच्चा नही क्या...सब की स्टोरी तो पढ़ ली
(स्क्रोल करते हुए नीचे आने लगा) ओ तेरी की..अबे इस्पे भी स्टोरी लिखने का नही छोड़ा हाहहा..
साले बड़े कमिने लोग है...किस ने लिखी है..
और फिर खोल के पढ़ने लगता है....
3 से 4 से 5 से 6 बाज जाते हैं लेकिन अंकित स्क्रीन से नही हटता....आख़िर कर वो लॅपटॉप की स्क्रीन बंद करता
है..उसकी आँखें बड़ी हो गयी थी...
अंकित :- थर्कि ये नही है साला हम है..बुरा हाल कर दिया इसने तो...कसम से...लाजवाब लिखा हुआ था..
अब तो मेरा दिमाग़ काम करना बंद कर चुका है.....मेरे दिमाग़ में से तो वो गोआ वाला सीन
नही निकल रहा (बोलते हुए वो टाइम देखता है 6:05 हो गये थे) ओ तेरी की..जल्दी करना चाहिए ये टाइम
ही सही है मेरे लिए......
बोलते हुए वो उठ जाता है और फ्रेश होके रितिका के घर के लिए निकल जाता है...
सही 6:20 पे वो गेट के बाहर खड़ा होता है..वो सामने पार्क में नज़र गढ़ाता है आर्नव वहाँ नही
था....उसे थोड़ी चिंता होती है...
लेकिन..
अंकित :- आज तो कुछ भी हो जाए आर्नव हो या तार्नव .. आज तो काम ख़तम कर के ही जाउन्गा..
वो आगे बढ़ाता है और डोर बेल बजाता है.....एक बार बजता है कोई आवाज़ नही आती..दूसरी बार बजाता
है...तब भी नही आती..उसके बाद वो इकट्ठी तीन चार बार बजा देता है...
तब जाके अंदर से उसे रितिका की मीठी आवाज़ आती है..
कमिंग..........
बोलते हुए रितिका गेट खोलती है..और बाहर खड़े अंकित को देख के उसका चेहरा गंभीर बन जाता है..
इसे पहले अंकित कुछ बोले..
रितिका :- आर्नव घर पे नही है...वो आंटी के साथ घूमने गया है..और में इस वक़्त बिज़ी हूँ..
(अंकित रितिका को पूरा नही देख पा रहा था क्यूँ कि उसने अपना चेहरा ही गेट के बाहर निकाल रखा था)
रितिका और अंकित ने कुछ एक आध मिनट के लिए आँखों ही आँखों में देखा..और रितिका गेट बंद कर
ने लगी...पर उसे ये उम्मीद नही थी..कि अंकित ऐसा कुछ करेगा....
उसने दरवाजी पे हाथ लगा के उससे बंद करने से रोक दिया...
रितिका उसे घूर्ने लगी...
अंकित :- मुझे काम है..
रितिका :- मेने कहा ना मुझे कुछ काम है..तुम जाओ प्लीज़...(सॉफ्ट टोन में बोलते हुए)
अंकित :- नही मुझे भी कुछ कम है..(हर्ष टोन में बोलते हुए)
रितिका :- अंकित प्लीज़ जाओ..(वो दरवाजे को बंद करने के लिए पुश करती रही...)
लेकिन अंकित ने अपने हाथ की ताक़त से उसे पीछे ढकलने लगा...और आख़िर वो उसमे सफल भी हुआ..
रितिका पीछे की तरफ हो गयी..उसके नाज़ुक हाथों में इतनी जान कहाँ थी..अंकित अंदर घुसा और
उसने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया..
क्रमशः...........................
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