RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
फिर अंकित कानो के नीचे अपने निचले होंठो को फिराने लगा...और फेरता हुआ रितिका के चेहरे की तरफ
बढ़ने लगा और अपनी निचले होंठो को उसके गालों पे फेरने लगा...रितिका के हाथ अंकित की पीठ को
सहला रहे थे...उसकी आँखें तो खुल ही नही रही थी.....
अंकित अपना एक हाथ रितिका के कंधे से हटा के....रितिका की चुन्नी पे ले गया और उसे उसके शरीर
से अलग कर उसे नीचे ज़मीन पे फैंक दिया.....अब रितिका की चुन्नी उसके शरीर पे नही थी...
तो अब उसके धके हुए बूब्स वाला हिस्सा चुन्नी से अब बेपर्दा हो गया...
उसके वो चुचे उस सूट में ऐसे लग रहे थे मानो टोकरी में रखे हुए दो बड़े बड़े फल
और उस टोकरी को उपर से पॅक किया हो....
अंकित तो उन रसीले चुचों को देखता ही रह गया...असल में उस सूट में हल्का सा क्लीवेज भी
दिख रहा था...रितिका के चुचों की दरार दिखाई दे रही थी...अंकित की नज़रे वहाँ गुम सी हो गयी...
रितिका को जब कोई हरकत महसूस नही हुई तो उसने अपनी आँखें हल्की सी खोली ये देखने के लिए कि
अंकित क्या कर रहा है ..... लेकिन वो ढंग से आँखें खोल पाती..इससे पहले..
अंकित ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और रितिका के गले पे अपना हाथ फेरने लगा और हाथ फेरता
हुआ थोड़ा नीचे आने लगा...और हाथ को थोड़ा टेडा कर के..ठीक चुचों के उपरी हिस्से
को अपने हाथ से सहलाने लगा...अपनी उंगलियों से उसके शरीर को स्पष्ट महसूस करने लगा..
लेकिन उसके बूब्स को नही छू रहा था....
रितिका अंकित की इस हरकत से अपने शरीर को स्म्भाल नही पाई..और पीछे लुड़कने को गयी..लेकिन अंकित ने
अपना हाथ पीछे ले जाके उसे वहाँ पकड़ लिया....और हाथ से रितिका के शरीर पे प्रेशर डाल के
उसे आगे करने लगा.....
और फिर अपना दूसरा हाथ गले पे फिराते हुए पीछे गर्दन पे ले गया और रितिका के फेस को अपने
फेस के ठीक सामने ले आया....अब दोनो एक दूसरे की साँसें को सॉफ महसूस कर पा रहे थे....
रितिका ने बड़ी मुश्किलो से आँखें खोल के अंकित की आँखों में देखा...
दोनो की आँखों में ना तो वासना थी और ना ही प्यार.....सिर्फ़ एक ही चीज़ थी वो थी मदहोशी....
रितिका के चेहरे पे बाल की एक लट आ रही थी...अंकित ने उसे अपनी उंगली से हटा के ले जाके कान के पीछे
रखी और फिर अपनी उसी उंगली को फिराता हुआ माथे पे ले गया और फिर सहलाते हुए धीरे धीरे...
उसकी नाक के रास्ते से नीचे आने लगा...और होंठो पे आके रुक गया...
होंठो पे अपनी उंगली को अच्छी तरह से सहलाया क्या मुलायम और मस्त होंठ है रितिका के
फिर नीचे चीन से होके....उसकी गर्दन पे आने लगा...रितिका ने मदहोशी मे अपनी गर्दन उपर कर
ली....उसकी साँसें ज़ोरों से चल रही थी..जिसकी वजह से उसके वो शानदार बड़े बड़े बूब्स उपर नीचे
उपर नीचे हो रहे थे......
अंकित ने अपनी उंगली सहलाते हुए नीचे लानी शुरू करी और धीरे धीरे..वो चुचों की तरफ बढ़ने
लगा और बस जहाँ तक वो दरार दिख रही थी वहाँ पे जाके अपनी उंगली रख दी......
रितिका का तो बुरा हाल हो चुका था.....उसके लिए एक एक एहसास ऐसा था कि बताना मुश्किल है कि उस वक़्त
वो कैसा फील कर रही थी...(शायद कोई लड़की ही अच्छी तरह से बता पाए)
फिर अंकित ने अपने काँपते होंठो को रितिका की चुचों की दरार के ठीक उपर रख दिया....
ना चाहते हुए भी रितिका के मूह से हल्की सी आह...निकल गयी...
अंकित अपने होंठो को रगड़ता हुआ धीरे धीरे उस कोमल सुंदर रितिका के जिस्म पे फिराते हुए उपर
लाने लगा...और गले पे से होता हुआ चिन पे रख दिया और वहाँ अपने होंठ खोल के
उसकी चिन को अपने होंठो में दबा के बड़े प्यार से जैसे आइस क्रीम चूस्ते हैं वैसे ही
चूसने लगा लेकिन केवल होंठो से बड़े प्यार से और आराम से...
रितिका धीरे धीरे गहरे नशे में उतरती जा रही थी...उसके हाथ खुद ब खुद अंकित के पीछे उसके
सर में बालों के अंदर घूम रहे थे....
अंकित उसकी चिन को ऐसे प्यार करने के बाद..वहाँ से हटा और अपने होंठ ले जाके गाल पे
रख दिए....और अपने उपर वाले होंठ से उसे कुरेदने लगा...
रितिका की गर्म सांस अंकित के चेहरे पे पड़ रही थी...जो अंकित और दीवाना बना रही थी.....
अंकित ने अपने होंठ रितिका के होंटो के ठीक नीचे रख दिए और वहाँ उन्हे फिराने लगा...
दोनो के होंठो के मिलन में ज़्यादा दूरी नही थी.....
एक हाथ बढ़ता हुआ अंकित का रितिका की कमर पे से होता हुआ ठीक उसके पेट के उपर आ गया..
उस पतले से सूट के उपर अंकित का हाथ दबाब बना रहा था..उसे सहला रहा था...
रितिका की तो साँसें उपर नीचे होने लगी....बड़ी तेज़ी सी उसकी धड़कने तेज चलने लगी...
रितिका के होंठ हल्के से खुल गये और उनमे से निकल रही गरम साँसें अंकित के होंठो पे पड़ रही
थी..
अंकित ने अपनी नज़रे उठा के रितिका की तरफ देखा तो रितिका का चेहरा पूरा लाल पड़ चुका था..
आँखें बंद और चेहरा सॉफ कह रहा था...रूको मत..जो करना है वो करो.....
इस वक़्त मदहोशी ने दीवाना बना रखा था.....
अंकित ने अपने होंठ आगे बढ़ाए धीरे धीरे...और अपने दोनो होंठो को खोल के सीधे
रितिका के उन तड़पते निचले होंठ के उपर रख दिया....और अपने दोनो होंठो के बीच दबा लिया..
और उन्हे प्यार करने लगा....रितिका की तरफ से कोई रेस्पॉन्स नही था..शायद उसको इतना मज़ा आ रहा था
कि वो सिर्फ़ अंकित को ही सब कुछ करने देना चाहती थी....
उधर अंकित निचले होन्ट को अपने होंठो के बीच में दबा के उस के रस को पीने की कॉसिश कर रहा
था और नीचे उसका हाथ रितिका के पेट से फिसलता हुआ नीचे रितिका के उस पतले से पाजामे के उपर
आते हुए...उसकी थाइस पे आ गया और अपने हल्के हाथ से रितिका की थाइस को सहलाने लगा...
रितिका के शरीर एक बार पूरी तरह से हिल गया....उसके हाथ अंकित के हाथो के उपर आ गये शायद
उसे रोकने के लिए लेकिन सिर्फ़ हाथ उपर रख दिया रोकने की कोशिस नही की....और वो भी अंकित के हाथ
के साथ अपनी ही छाती को सहला रही थी......
उधर फर्स्ट टाइम रितिका ने भी रेस्पॉन्स किया.....
रितिका ने अपने होंठ और थोड़े खोल दिए और अपने उपर वाले होंठ से अंकित के उपर वाले होंठो
को दबा दिया....ऐसा करने से एक लिपलोक्क बन गया था...
रितिका का हाथ अंकित की चेस्ट की तरफ बढ़ गया था और अंकित की चेस्ट को सहला रही थी.....
ना जाने क्या सूझा अंकित को उसने अपने होंठ रितिका से अलग कर लिए...एक दम ऐसे अलग होने से
रितिका को थोड़ा अजीब लगा उसने बड़ी मुस्किलों से आँखें खोली और सामने देखा...
रितिका की आँखें एक दम लाल हो चुकी थी और एक दम नशीली भी....उधर अंकित ने अपने हाथ जो
रितिका की थाइस पे रखे थे वो भी हटा लिए और रितिका के हाथ को अपनी चेस्ट पे से हटा दिया..
अंकित रितिका की आँखों में देखते हुए खड़ा हो गया...रितिका उसे देखे जा रही थी मानो पूछ
रही हो क्या हुआ...क्यूँ इतना प्यारा लम्हा तोड़ दिया तुमने...
लेकिन शायद अंकित के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था.......
अंकित ने पहले तो अपनी पहली हुई सैंडल उतार के एक तरफ कर दी...फिर वो घुटनो के वल बैठ गया
और अपने हाथ आगे बढ़ा के रितिका का एक पैर उपर उठाया...और रितिका ने जो स्लीपर पहनी हुई थी उसे निकाल के साइड में फैंक दिया...
फिर अंकित ने अपने हाथों से रितिका के पैर पे हाथ फिराते.....वाहह कितने ज़्यादा सॉफ्ट है ये..अंकित ने अपने मन में सोचा...फिर सामने उसने दूसरे पैर के साथ भी किया....
दोनो पैरो को अपनी हथेली में लेते हुए देखने लगा...कितने सुंदर छोटे छोटे सॉफ्ट पैर है..
क्रमशः...........................
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