RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क से आगे..............
सब कहते हैं लड़कियों को समझना मुश्किल होता है पर तुम जैसे लड़के को में आज तक नही समझ
पाई...प्यार करूँ या नफ़रत कुछ समझ नही आता...जो तुमने उस दिन किया वो ग़लत था या सही नही पता
पर हाँ इतना जान गयी हूँ..कि तुमने जो किया उस दिन सिर्फ़ मेरी भलाई के लिए किया..अगर तुम ऐसा ना
करते तो आज शायद में मेंटल कन्डीशन की उस स्टेज पे पहुच गयी होती जहाँ से बाहर निकलना
नामुमकिन था...लेकिन तुम्हारी कही हुई उन प्यारी बातों से जैसे दिल में अलग नशा सा पैदा कर दिया
हो...जानती हूँ एक पत्नी और एक बेटे की माँ होने के नाते ये सब जो बोल रही हूँ ग़लत है...पर तुमने
सच कहा था एक औरत का जीवन उसका परिवार नही होता...उसका खुद का भी होता है...उसे जीने
का भी पूरा हक है...और बात जब तुम्हारे साथ बिताए उस 15 मिनट की आती है जो तुमने मेरे साथ
किया जानती हूँ कि वो तुमने वो सब वासना में आके नही बल्कि प्यार के नाते किया..उस दिन तुमसे ये
कह ना पाई..लेकिन आज कह रही हूँ..उस दिन तुम्हारा प्यार झलक रहा था..जो शायद हर औरत चाहती
है...हाँ पर तरीका बहुत ग़लत था..शायद हम दोनो का....
लेकिन तुम्हारी कही हुई बातों ने दिल को छू लिया और मेने तभी फ़ैसला कर लिया था कि अब में तुम्हारे
लिए सिर्फ़ पहले जैसे बनूँगी...
तुम्हे मेरी बातें बकवास लग रही होंगी..या फिर सोच रहे होगे कि सफाई दे रही हूँ में...पर मेरा
यकीन मानो ऐसा कुछ नही है....
और लिखने के लिए मेरे पास कुछ नही है..बस तुमसे एक रिक्वेस्ट है..कल शाम 4 बजे मेरे घर
में तुम्हारा इंतजार करूँगी..अगर तुम आए तो में समझूंगी कि हम से जो ग़लती हुई वो सिर्फ़ मेरी ही
वजह से हुई थी....
क्यूँ कि जितनी ग़लती तुम्हारी थी उससे कहीं ज़्यादा मेरी...मेरा तरीका बहुत ग़लत था...
लेकिन में दिल से चाहती हूँ कि तुम एक बार आओ...तुमसे मिलने के लिए में बहुत बेचैन हूँ...
रितिका...
अंकित ने आख़िरकार पूरा लेटर पढ़ लिया..उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था..वो अपना सर पकड़ के
बैठ गया...उसे खुद कुछ समझ नही आ रहा था कि जो हो रहा है वो सही है या ग़लत और जो हुआ
वो सही था या ग़लत....अब जब वो रितिका का चॅप्टर अपने लाइफ से बंद कर चुका था तो अचानक ये
सब क्या हुआ.....
अंकित :- ओह्ह शिट..शिट..शिट....ये कहाँ से आ गई..कई बार हम जो चाहते हैं वैसा क्यूँ नही होता..जब
में चाहता था कि रितिका मुझे मिल जाए तब गड़बड़ हो गई..और जब में नही चाहता था कि कभी भी
रितिका सामने आए तो आज .....ये साली लड़कियाँ इतनी ब्लॅक मैल क्यूँ करती है....
यार ये क्या हो गया अब क्या करूँ....(और फिर पलंग पे आँखें बंद कर के पसर जाता है)
अच्छा भला दिन टेन्षन से भर गया था अंकित का..कहाँ तो उसने सोचा था कि आज मज़े से बाहर
जाएगा...लेकिन इस लेटर ने उसका तो क्ल्प्ड कर दिया...ऐसा उसे अभी लग रहा है...
कल का दिन आख़िर आ ही गया....अंकित ने रात भर बहुत सोचा ...
वो जानता है कि उसने रितिका का चॅप्टर क्लोज़ कर दिया था लेकिन वो रितिका से कभी नफ़रत नही करता
था और ना ही कभी कर पाएगा इसलिए उसने जाने का फ़ैसला कल रात को ही कर लिया था..
वो घर से 3:30 ही बाजी तैयार होके निकल गया था....
उधर रितिका ने पूरी तैयारी कर रखी थी....सॉफ सफाई घर की खुद ही की..आर्नव भी आज घर पे नही
था...सब काम किचन के उसने खुद ही किए शायद काम वाली की भी छुट्टी कर रखी थी उसने...
जब उसने घड़ी में देखा कि 3:30 बाज गये तो वो सीधा रूम में घुस गयी तैयार होने के लिए..
4:00 (क्लॉक में टाइम हुए और तभी)
तिंज्गग तोंगगगगगगगगग.....घर में ये आवाज़ गूँजी...रितिका ने रूम का डोर खोला..
आईईई...रितिका बोलते हुए दरवाजे पे जाती है..उसकी दिल की धड़कन तेज हो रही थी...इतने दिनो के बाद
अंकित से मिल रही थी उसके दिल में हलचल हो रही थी..उसने गेट का डोर लॉक पकड़ा और उसे खोल के
गेट को खींचा और मुस्कुराते हुए सामने देखा तो....
गुडआफ्टरनून मॅम..में इस कंपनी से आया था क्या आप ये प्रॉडक्ट लेना चाहेंगी...
सामने एक सेल्स मॅन खड़ा था....रितिका के चेहरे की मुस्कान चली गयी....वो रूड्ली बोली..
नही चाहिए...और उसने गेट को बंद कर दिया बिना उस लड़के की सुने....
एक बार उसे बहुत गुस्सा आया सारे मूड का सत्यानाश हो गया उसका.....
तिंज्ग तोंज्गग.....फिर से एक बार बेल बाजी.....रितिका के दिल की धड़कन एक बार फिर तेज हो गयी....
वो मूडी और गेट का डोर लॉक पकड़ के गेट को खोला...
मॅम एक बार तो प्रॉडक्ट देख लीजिए.....सामने वही सेल्स मॅन खड़ा था...
रितिका एक पढ़ी लिखी वेल मॅनेज्ड आइजुकेड़िट लड़की है..गुस्सा तो शायद ही कभी आता है लेकिन..
इस वक़्त आ गया उसे....
रितिका :- आइ सेड ना आइ डोंट वॉंट .. डोंट यू अंडरस्टॅंड...(चिल्लाते हुई गेट को धडाम से बंद
कर देती है ) इन सब को भी इसी वक़्त आना है...नॉनसेन्स..स्टुपिड..(गुस्से में)
तिंगगगग तोंगगगगगगगगगग....एक बार फिर से बेल बजी....
रितिका का गुस्से का ठिकाना नही रहा वो अपने आप से बोलती हुई...नाउ आइ आम गूना स्लॅप हिम...
गुस्से में बोलती हुई गेट खोलती है..
रितिका :- क्या है..तुम्हे...शरम नही आती बार बार परेशान करते हुए....आइ गॉना कोंपलिन फॉर यू
(वो बिना देखी बोल देती है)
लेकिन जैसे ही शांत होती है और सामने देखती है...तो उसका मूह खुला का खुला रह जाता है..
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