RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क से आगे..............
उधर अंकित के मन के उपर से एक बोझ उठ गया था..क्यूँ कि वो जानता था जो भी उसने कुछ किया
और जो भी कुछ बोला उससे रितिका उसे अच्छी तरह समझ गयी होगी...
वो अब एक बार फिर पहले जैसा बन गया था....जब दिल को सुकून मिल जाता है..तो फिर वो इंसान वैसा ही
बन जाता है जैसा होता है....(इंसान सिर्फ़ तभी बदलता है जब हालत ऐसा उससे करवाते हैं)
धीरे धीरे समय बीतने लगा...
एक तरफ रितिका नाम के चॅप्टर को भूलने की कोसिश में था...वो अपने इस पास्ट को भूलने की कॉसिश
कर रहा था....और आगे बढ़ रहा था...रोज कॉलेज वैसे ही मस्ती करते हुए जाना...
हर सेक्सी हॉट लड़की को घूर्ना...बस में चान्स मिलने पर लाइन मारना...
अंकिता काफ़ी खुश थी अंकित को ऐसे देख कर...अंकित का ध्यान अब पढ़ाई पर पूरा था...
दूसरी तरफ....रितिका ने भी अपने आप को संभाल लिया था अब वो दुबारा पहले जैसी बनती जा रही थी..
धीरे धीरे रिकवरी हो रही थी...नींद की गोलियाँ बहुत कम हो गयी थी....फेस पे धीरे धीरे वही
चर्म वापिस आ रहा था ... और वो अपने काम को दिल से एक बार फिर करने लगी थी....
बस फ़र्क ये था इन दोनो में...कि जहाँ अंकित भूलने में लगा हुआ था..वहीं रितिका अंकित को
भुला नही पा रही थी..और उसी के बारे में सोचती रहती थी...कई बार रात में सोते हुए उसे
वही सब दिखता जो अंकित ने उसके साथ किया और जो भी कुछ बोला.....
रितिका :- (अपने आप से) क्या वो सब सही था....कैसे मुश्किल में डाला है..एक तरफ तो उसकी उन कड़वी
बातों से मजबूर किया नफ़रत करने के लिए...और दूसरी तरफ उसकी वो प्यारी बातों से दिल में कुछ
ना कुछ हो रहा है...आख़िर ऐसा क्यूँ हो रहा है....
धीरे धीरे...दिन हफ्ते में बदले...हफ्ते महीनों में बदल गये...और महीना ख़तम
होते होते वो साल भी ख़तम हो गया..
लेकिन दोनो के बीच कोई कॉंटॅक्ट नही था....कभी रितिका ने फोन नही किया जबकि वो अंकित को भुला
नही पाई थी..
इधर अंकित के 2न्ड सेमेस्टर के एग्ज़ॅम नज़दीक आ चुके थे....इस बार अंकित को डबल मेहनत
करनी थी..क्यूँ कि पिछली बार के सारे पेपर्स में बॅक थी उसका एग्ज़ॅम भी इस बार भी देना था..
और अंकित ये मेहनत दिखा भी रहा था..
कॉलेज की छुट्टियो में वो रोज़ अंकिता के घर जाता था..और वहाँ पढ़ता था..
इस चक्कर में अंकित अंकिता के बेहद क्लोज़ आने लगा..और ज़्यादा फ्लर्ट करने लगा..एक तो अंकिता ऐसे
कपड़े पहन के रहती थी..कि अंकित का तो बॅंड ही बज जाता....कभी छोटी छोटी निक्कर...उसमे दिखते
उसके वो सुंदर सुंदर हॉट लेग्स..तो कभी टाइट शॉर्ट टॉप्स...जिसमे से उसके चुचे अंकित की लालसा को
और बढ़ा रही थी....कभी कभी जब अंकिता पढ़ा रही होती थी..तो अंकित की नज़र अंकिता के चुचों
पे जा अटकती...कैसे वो उस टॉप में फँसे होते थे..जैसे पिंजरे में फँसा पंछी....
अंकित का तो वहीं तंबू बन जाता....
लेकिन अंकिता ने कभी भी ऐसा शो नही किया जैसे वो अंकित को जान बुझ कुछ शो कर रही है या
कुछ भी..वो सिर्फ़ पढ़ाने में ध्यान लगाती...और अंकित को एक स्टूडेंट की तारह मानती..
लेकिन पढ़ाई के बाद...दोनो खूब गप्पे लड़ाते....एक फ्रेंड्स के नाते....कई बार अंकित का फ़िजिकल
टच होता....जैसे हाथो पे हाथ रख दिया हो..या फिर कंधे टच हो गये हों...
अंकित के लिए तो यही काफ़ी था एरेक्ट होने के लिए..पर अंकिता ने हमेशा नॉर्मली ही लिया...
आख़िर दिन बीतते चले गये...और एग्ज़ॅम के दिन आ गये....अंकित ने कुत्ते की तरह मेहनत की थी इस
बार....एक एक कर के एग्ज़ॅम दे ही दिए...अब तो बस उसे वेट करना था रिज़ल्ट के आने तक का...
उसी बीच में दोनो की फोन पे काफ़ी बात होने लगी...ऐसा लग ही नही रहा था कि दोनो टीचर
स्टूडेंट है.....
एक दिन फोन पे
अंकित :- अच्छा मॅम एक क्वेस्चन पूछूँ?
अंकिता :- हाँ..बिल्कुल..
अंकित :- आपका कोई बाय्फ्रेंड नही है?
थोड़ी देर तक वहाँ से कोई आवाज़ नही आई..
अंकित :- आरयू देअर?
अंकिता :- (फिर बोली) तुमने ये क्वेस्चन क्यूँ किया?
अंकित :- क्यूँ कि मेरा मन किया इसलिए....
अंकिता :- अच्छा जी..तो तुम्हारा मन भी करता है....वैसे तुम्हे क्या लगता है?
अंकित :- ह्म्म्म...अगर मुझे पता ही होता तो आपसे क्यूँ पूछता..
अंकिता :- फिर भी गेस?
अंकित :- ह्म्म चलो आप कहते हो तो बोलता हूँ....मेरे हिसाब से कोई बाय्फ्रेंड नही होगा अभी आपका..पर हाँ आपके
पीछे बहुत से दीवाने पड़े होंगे..
अंकिता :- दीवाने..हहेहहे..अच्छा जी...लेकिन ये बताओ कि ये कैसे श्योर हो कि मेरा कोई बाय्फ्रेंड नही है?
अंकित :- बस लगता है....अब इसमे क्या बताऊं....
अंकिता :- ह्म्म्म तो फिर तुम कैसे कह सकते हो कि मेरे पीछे बहुत से दीवाने पड़े हैं..
(मुस्कुराते हुए)
अंकित :- अरे ये तो 100 % ट्रू है..आपके पीछे लड़के नही पड़ेंगे तो फिर किसके पीछे पड़ेंगे..
(फ्लर्ट करता हुआ)
अंकिता :- ओहो बातें तो देखो भाई साहब की..अच्छा मुझ में ऐसा क्या है..
अंकित :- ऐसा क्या नही है...आप इतनी ब्यूटिफुल..इतने सेक्सी हो कि आपके पीछे तो हर लड़का लट्तू हो
जाए....(बोलने के बाद मन में...साला ये क्या बोल दिया जोश जोश में...अब तो तू गया बच्चू..
टीचर के साथ इतना तगड़ा फ्लर्ट अब तो लग गयी..बजेगी बॅंड अब तो)
लेकिन जो उसने सोचा उसका उल्टा ही हुआ...
अंकिता :- हहेहेहेहेहेहेहहे.....
अंकित :- (जान में जान आई....और सोचने लगा...हँसी तो फँसी) लो इसमे हसना कैसा ... में सच बोल
रा हूँ..(हिम्मत आ गयी थी आगे फ्लर्ट करने की)
अंकिता :- चलो चलो बदमाश...अपनी टीचर से फ्लर्ट करते शरम नही आती तुम्हे हाँ..
(झूठा गुस्सा दिखाते हुए...जो अंकित समझ गया था)
अंकित :- ओहो वाहह अब टीचर बन गयी आप..अभी तक तो फ़्रेंड थी...लेकिन सीरियस्ली मॅम आप
सच में बहुत ब्यूटिफुल हो...जब मेने आपको पहले दिन देखा था में तो तभी बस देखता
ही रहा था आपको....
अंकिता :- ओह्ह मिस्टर.. बस हाँ...फ़्रेंड हूँ इसका मतलब ये नही कि तुम भूल जाओ कि तुम मेरे स्टूडेंट भी हो..
बदमाश....कहीं का..फ्लर्ट करता है .. शरम नही आती..
अंकित :- हाहहाहा.....अब सच बोलो तो लोगों को लगता है कि फ्लर्ट कर रहा हूँ...हद है...
अंकिता :- तुम कल घर आओ तो बताती हूँ...अच्छी तारह से क्लास लूँगी तुम्हारी...चलो अभी रखती हूँ..
अंकित :- कोई नही मॅम थॅंक यू फॉर युवर टाइम..बाबयए....
फोन कट
अंकित अपने आप से...यार ये अंकिता मॅम बस किसी तारह से फँस जाए..तो मेरी तो लॉटरी निकल जाएगी..
काश ऐसा हो जाए...उफफफ्फ़.....मेरा तो बुरा हाल हो जाता है जब भी सोचता हूँ उनके बारे में...
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