RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
आर्नव सीधे वहीं जाता है..वहीं पे खाना ख़ाता है...फिर में शाम को उसे वहाँ से ले लेती हूँ..
काफ़ी अच्छे लोग है...तो कल से अब ये तुम्हारी ड्यूटी...
अंकित :- समझ गया..तो में 5 बजे तक आता हूँ...आर्नव को वहाँ से लेके घर खोल के यहाँ उसे
पढ़ा दूँगा.
रितिका :- कोरेक्ट...बिल्कुल सही...
अंकित :- ओके...वैसे आपके ये पड़ोसी काफ़ी अच्छे हैं..बड़े मुश्किल से मिलते हैं..
रितिका :- हाँ सही कहा तुमने...तभी तो में बेफिकर होके ऑफीस चली जाती हूँ...काम करने वाली
भी अच्छी मिली है मुझे..सुबह सुबह 8 बजे आ जाती है...सारा काम करके निकल जाती है...मेरे ऑफीस जाने
से पहले इसलिए कोई दिक्कत नही है..
फिर दोनो आपस में 10 मिनट कुछ और बाते करते हैं....आर्नव आभी घर पे नही था..वो पड़ोस
के घर में था वहाँ अब उसका मन काफ़ी लगता है...
अंकित :- अच्छा अब में चलता हूँ..नही तो मेरी माँ मुझे सवाल कर के परेशान कर देगी..
रितिका :- हहेहेः...अच्छा ओके..
फिर अंकित खड़ा होके जाने लगता है...
रितिका :- अंकित रूको..मेन बात करनी तो रह ही गयी
अंकित :- (मुस्कुराते हुए) क्या.?
रितिका :- फीस... तुम्हारी फीस के बारे में..
अंकित :- फीस कैसी फीस..आर्नव को पढ़ाने की कोई फीस नही लूँगा में...
रितिका :- ऐसा नही हो सकता..में फ्री में थोड़ी पढ़वाउंगी..
अंकित :- रितिका आप एक तरफ तो मुझे अपना फ़्रेंड बोलते हो..और दूसरी तरफ ट्यूशन वाला बना के पराया
कर रहे हो..ये तो ग़लत बात है..
रितिका को अंकित की बात बहुत अच्छी लगती है...
रितिका :- ह्म्म चलो लेकिन फिर में जो तुम्हे दूँगी..वो तुम्हे रखना पड़ेगा..
अंकित कुछ सोचता है..और हाँ में गर्दन हिला देता है और निकल जाता है...
रितिका उसके जाने का बाद अपने आप से बोलती है...बहुत अच्छा लड़का है ये...
फिर अगले दिन से वही हुआ जो डिसाइड हुआ था....
अंकित शाम को 5 बजे तक आ जाता आर्नव को पढ़ाने..आर्नव उसके साथ बहुत कोफोर्टबल था...उसे काफ़ी
मज़ा आता था अंकित के साथ..अंकित का पढ़ने का तरीका काफ़ी अच्छा था...हंसते हुए बड़ी ही
अच्छी तरह से पढ़ाता था.....
और जब तक पढ़ता था जब तक रितिका वापिस नही आ जाती थी..जैसे ही रितिका आती थी वापिस वो बाइ कर
के निकल जाता था..
रितिका काफ़ी रोकने की कॉसिश करती..लेकिन अंकित कभी नही रुकता था....शायद उसके पीछे उसकी कोई वजह थी...
लेकिन कभी पता नही चली...
और फिर एक दिन.....वो दिन आ ही गया जिससे अंकित ने और उसकी सोच ने एक अलग ही दिशा पकड़ ली....
अंकित कॉलेज से आने के बाद मज़े से सो गया और फिर 4:30 बजे उठा आर्नव के पास जाने के
लिए.....
वो उठ के तैयार होने लगता है कि तभी उसका फोन बजता है..
अंकित :- हेलू रितिका
रितिका :- हेलू अंकित हाउ आर यू?
अंकित :- आइ आम टोटली फाइन जी..बस आर्नव के पास ही जा रहा हूँ
रितिका :- मत जाओ..
अंकित :- क्या?
रितिका :- वो आक्च्युयली अंकित में आज आर्नव को बाहर घुमाने लेके चली गयी..काफ़ी दिन हो गये थे
ऑफीस की वजह से में आर्नव को कहीं ले जा नही पा रही थी तो आज ऑफीस से जल्दी आके आज आर्नव को
बाहर लेके चली गयी घुमाने के लिए वो बहुत ज़िद्द कर रहा था..
अंकित :- ओह्ह..सीसी..आज मम्मी बेटा घूमने निकले हैं...बढ़िया है कोई नही .. में कल आ जाउन्गा
नो प्राब्लम
रितिकिया :- अरे नही नही...तुम आज ही आना...पर 7 बजे तक अगर तुम्हे कोई प्राब्लम ना हो तो..?
अंकित :- 7 बजे..ह्म..ओके कोई नही..में आ जाउन्गा ..
रितिका :- ओह्ह थॅंक यू सो मच....
अंकित :- नो प्राब्लम मॅम...
रितिका :- हहहे..ओके बाबयए..
अंकित :- बाबयए..
(फोन कट)
अंकित अपने आप से...साला..बेकार उठा में .. इतनी मस्त नींद आ रही थी...चलो कोई नही अब जब तक
चुनमुनियाडॉटकॉम पे कोई स्टोरी ही पढ़ लेता हूँ..जिससे मूड फ्रेश हो जाएगा....
कुछ देर स्टोरी पढ़ने के बाद....वो घर के बाहर चला जाता है...और 7 बजने का इंतजार करता रहता
है.....
7 बजने से ठीक 10 मिनट घर से निकल जाता है.....और 7 बजे वो ठीक रितिका के घर के बाहर ही
खड़ा होता है..
बेल बजाता है..
आ रही हूँ..बोल के रितिका गेट खोलती है...और सामने खड़े अंकित को देख के मुस्कुरा देती है...
बस अंकित का तो मूह खुल गया जब उसने सामने रितिका को ऐसे हंसते हुए देखा....वो तो एक पल
के लिए फ्लॅट ही हो गया था....
कहानी जारी रहेगी.............................
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