RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
विकी :- क्या बात है भाई..तेरी तो लॉटरी निकल गयी...साला हमे तो इसने कभी नही बुलाया..और तुझे
तो रोज़ रोज़....(छेड़ते हुए)
अंकित :- अरे भाई हम हम हैं..बाकी सब पानी कम है..तू ज़्यादा चिड़ा ना..अपनी गर्लफ्रेंड का फोन उठा
ले नही तो मारेगी पकड़ के..
विकी :- अबे साले तुझे कैसे पता मेरी गर्लफ्रेंड है...और ये कैसे पता चला कि उसी का फोन आ रहा है..
अंकित :-(क्लास से बाहर जाते हुए) बेटा अपनी शक्ल देख..सुबह से ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने कितना मारा
हो....तू टेन्षन ना ले...अभी आता हूँ..तो तुझे तेरी गर्लफ्रेंड से बचने का आइडिया भी देता हूँ...
विकी :- थॅंक यू भाई...और हाँ जल्दी आइयो..नही तो मेरा स्वाहा कर देगी वो.....
फिर अंकित टीचर्स रूम का गेट नॉक करता है..
अंदर से आवाज़ आती है...कम इन..
अंकित गेट खोलता है..और अंदर देखने लगता है..अंदर कोई नही था..बस एक कोने में अंकिता बैठी
थी...और उसकी पीठ सामने थी...
बस अंकित का तो बॅंड बज गया वो सीन देख के....अंकिता ने अपने बाल आगे ले रखे थे..
जिसकी वजह से उसकी डीप बॅक कट ब्लाउस की वजह से उसकी वो शानदार गोरी चिकनी पीठ उसके सामने थी...
अंकित की नज़रें अंकिता की नेक से लेके उसकी फुल बॅक पर उपर नीचे नाच रही थी..
तभी अंकिता ने अपनी गर्दन पीछे मोडी....
अंकिता :- आओ अंकित...
अंकित :-(होश में आता हुआ) मॅम कुछ ज़रूरी काम था क्या..
अंकिता :-(कुर्सी को अंकित की तरफ कर लेती है.) नही ऐसा कुछ खास ज़रूरी काम तो नही था...
पर फिर भी तुमसे में वो सवाल पूछना चाहती हूँ..जिसका सच सच आन्सर देना..
अंकित :- श्योर मॅम पूछिए..
अंकिता :- ये हाथ में चोट कैसी लगी ?
अंकित :- (सुन के बोला) व्व.ऊ..व.ऊ.मेने बताया.था... ना...गिर गया ..था कल....
अंकिता :- अच्छा....चलो मान लेते हैं..लेकिन तुम्हे एक बात बताऊ....तुम जितने अच्छे बहाने बना
लेते हो ना...उतने ही बुरे झूठ भी बोलते हो....
अंकित :- मे..मे...कुछ समझा नही...
अंकिता :- कल तुमने जो बहाना मारा...वो बढ़िया था...कि क्लास में आया फिर चला गया..मेने मान
लिया..लेकिन जो तुम इस वक़्त बोल रहे हो वो बहाना नही झूठ है...जो तुम बहुत बेकार बोलते हो..
इसलिए बोल रही हूँ सच सच बताओ..
अंकित :- (अपने मन में...यार ये आइटम बहुत चालू है इसे पता चल गया कि में झूठ बोलने में
बहुत बेकार हूँ..यार इसे बता देता हूँ क्या फ़र्क पड़ेगा वैसे भी)
अंकिता :- आइ आम वेटिंग..
अंकित :- वो मॅम कल हुआ यूँ......(फिर सारी कहानी बता देता है..)
अंकिता :-(सर्प्राइज़्ड होते हुए) तुम ये छुपा रहे थे..लेकिन क्यूँ..तुम्हे पता है तुमने कितना अच्छा
काम किया है...यू आर.
अंकित बीच में ही रोक देता है..
अंकित :- इसलिए नही बता रहा था मॅम में...सब बार बार यही बोलते हैं तूने बहुत अच्छा किया फ्लाना
फ्लाना..मुझे ये सब पसन्द नही है..मेने कोई खास काम नही किया...वो मेरा फ़र्ज़ था जो मेने
पूरा किया..
अंकिता :-(काफ़ी इंप्रेस हो जाती है) तुम जैसे दिखते हो...वैसे बुल्कुल नही हो...उपर से इतने शैतान
लेकिन तुम्हारा मन बहुत सॉफ है..
अंकित :- थॅंक यू माँ......अब में जाउ..
अंकिता :- या श्योर...तुम जा सकते हो..
और अंकित मूड के जाने लगता है..तभी वो दुबारा मॅम की तरफ मुड़ता है..अंकिता उसे ही देख
रही थी...ऐसे मुड़ने पर वो थोड़ी सकपका जाती है..
अंकित :- मॅम आपको यही लगा था ना कि मेने लड़ाई की है और वो भी उसी लड़के से..जिसकी वजह से
मुझे ये चोट लगी (मुस्कुराते हुए)
अंकिता :-(इस बार सर्प्राइज़्ड होने की बारी उसकी थी) हाँ.. बिल्कुल मुझे यही लगा....इसलिए मेने पूछा
क्यूँ कि..(वो बोलते हुए रुक जाती है)
अंकित :- क्यूँ कि...(उससे सवालिया नज़रिया से पूछते हुए)
अंकिता :- क्यूँ की में नही चाहती कि तुम सस्पेंड हो...तुम एक बहुत ब्राइट स्टूडेंट हो..और में ये
नही चाहती कि तुम्हारे रिज़ल्ट में कोई भी कमी आए...समझी...अब जाओ..(मुस्कुराते हुए)
अंकित :- समझ गया में मॅम..अच्छी तरह से..(हंस देता है)
अंकिता :-(थप्पड़ दिखाते हुए) मार खाएगा..चल जा....
अंकिता के मूह से ऐसी फ्रॅंक लॅंग्वेज सुन के चौक जाता है..और फिर हंसता हुआ चला जाता है..
अंकिता :-(हँसती हुई) पगल कहीं का...लेकिन है स्वीट...
बस उसका कॉलेज का दिन ऐसा ही निकल जाता है.......वो घर आ जाता है..काफ़ी खुश लग रहा था
वो...
और सोच रहा था कि यार आज कल चाहे पोपट कितनी बार हुआ हो मेरा..लेकिन कसम से फिर भी
मज़े बहुत आ रहे हैं...
अंकिता मॅम...यार आप सच में कमाल की है...काश आप मेरी उमर की होती तो आपको गर्लफ्रेंड बनाता
अपनी....काश...लेकिन साली किस्मत....इस किस्मत के आगे कौन जीत सकता है......
शाम के 6 बजे...वो लॅपटॉप पे बैठ के चुनमुनियाडॉटकॉम पे स्टोरीस पढ़ रहा था.....
फिर उसने सोचा चलो बाद में पढ़ुंगा ..और फिर वो लॅपटॉप बंद कर देता है कि तभी..
बहादुर :- भैया भाभी जी बाहर बुला रही है..
अंकित :- क्यूँ??
बहादुर :- वो कोई आपसे मिलने आया है..
अंकित :- अबे यार कौन आ गया..
और वो बाहर चल देता है...बाहर उसकी मम्मी किसी से बात कर रही होती है..
अंकित :-(बिना देखते हुए) मम्मी कौन है...
हेलो अंकित....सामने से एक लेडी उससे ही बोलती है...
अंकित :-(सोच में डूबता हुआ) सॉरी आप कौन पहचा..(बस बोलते बोलते रुक जाता है) क्यूँ कि उसकी
आँखें बड़ी हो जाती है..और मूह खुला खुला रह जाता है...
रितिका जी.....)बस उसके मूह से यही निकलता है..
कहानी जारी है ............................
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