RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
अंकित स्कूटी पे बैठे हुए..
अंकित :- गिराएगी तो नही ना तू
बैठ रहा है या फिर में वापिस जाउ...डॉली बोलती है..
अंकित :- ये आज कल की लड़कियों से तो मज़ाक करना भी भारी है सीधे धमकी देती है..
डॉली :- थॅंक यू..अब चलूं..
अंकित :- चल यार डॉली चल..
डॉली :- तू अब नाम से बुलाएगा या फिर गिरा दूं तुझे..
अंकित :- ओफूओ..धमकी...
डॉली :- हाँ यही समझ ले....
5 मिनट की दूरी पर ही डॉक्टर था बातें करते हुए पहुच गये...
अंकित :- अच्छा बाबा प्रिया अब खुश..
प्रिया :- हाँ खुश..चल अब फटफट से ड्रेसिंग करवा ली..मुझसे तो देखा भी नही जा रहा...कितनी
ज़्यादा चोट लगी है..
अंकित :- अब तू मुझे मत डरा....
प्रिया :- तुझे दर्द नही हो रहा..
अंकित :- क्यूँ में कोई मशीन हूँ जो दर्द नही होगा....हो रहा है..लेकिन बार बार बोलने से कम थोड़ी
होगा..
प्रिया :- बस बहस करवा लो....
फिर अंकित ड्रेसिंग कराने लगता है..काफ़ी हेवी ड्रेसिंग हुई थी....
वो अपने मन में बोलता है..सच में साला पनौती चल रही है...ये चोट तो लग गयी..अब घर
जाके जो बड़ी वाली चोट माँ से पड़ेगी..उसको कैसे झेलूँगा....
बचा लेना..भाई.कोई बचा लेना.....
सोचते हुए वो वापिस घर की तरफ आ जाता है.....
घर के अंदर से घुसने से पहले वो बहाने सोचने लगता है ... पर उसे कुछ सूझ ही नही रहा
था..तो वो आख़िर अंदर चला जाता है..जैसे ही अंदर घुसता है..
अंकित :- बहादुर(उनका सर्वेंट) मम्मी घर पे नही है क्या..
बहादुर :- नही मार्केट गयी है..
अंकित :- चलो शुक्र है..
बहादुर :- ये आपके हाथ पे क्या हुआ..
अंकित :- यार बस गिर गया था.....
वो सीधे अपने कमरे में चला जाता है...और लॅपटॉप खोल के फ़ेसबुक खोल के बैठ जाता है...
आधे घंटे बाद...
वो अंज़े से चट्तिंग कर रहा होता है..कोई देख के नही कह सकता इसे...कि अभी अभी हाथ तुड़वा के
आया है....उसे पता ही नही चला कि कब.
ये तेरे हाथ को क्या हुआ..ईनी बड़ी पट्टी....
अंकित सामने देखता है तो उसकी माँ खड़ी होती है..उसके चेहरे की मुस्कान गायब हो जाती है..
अंकित :- मा वू..उूओ..यी.....
अंकित मोम :- क्या वो वो....तू कभी नही सुधरेगा ना...क्या कर के आया है अब..जो इतनी चोट लग गयी
किसी से लड़ाई मड़ाई करी है क्या..बोलता क्यूँ नही है..(चिल्लाते हुए)
अंकित :- यार आप बोलने दो..तो बोलूं....गिर गया था...यार..वो पत्थर पे पैर पड़ा और फिसल गया..
अंकित मोम :- सच बोल रहा है या झूठ..
अंकित :- सच ही बोल रहा हूँ...झूठ क्यूँ बोलूँगा..
अंकित की मोम कुछ बोलने ही वाली थी..कि तभी बहादुर ने आवाज़ लगा दी..
बहादुर :- भाभी जी आपको कोई बुला रहा है बाहर..
अंकित की मोम....कौन है बोल के चली जाती है..
अंकित :- हस्स्शह बच गया....
(और फिर लॅपटॉप में लग जाता है..)
फोन का आलराम बजा जिससे अंकित की आँखें खुली...
फोन का आलराम बजा जिससे अंकित की आँखें खुली...
अंकित :- यार आज तो सुबह बहुत जल्दी हो गयी...आह.....(उसका चोट वाला हाथ उसके पलंग पर तेज़ी
से लग गया...जिसकी वजह से एक दर्द भरा करंट उसके शरीर में फैल गया)
साला कल तो दर्द नही कर रहा था और आज इतना दर्द क्यूँ हो रहा है.....कम्बख़्त..आहह उंघ
(अंगड़ाई लेते हुए)
चलो भाई चलें..नही तो लेट हो जाएगा.....
फिर वो उठ के कमरे के बाहर आ जाता है....
अंकित मोम :- उठ गया बेटा....अभी दर्द है हाथ में..
अंकित :- हाँ मोम थोड़ा सा दर्द है
अंकित मोम :- तो बेटा आज रहने दे ना...दर्द है तो आराम कर ले..आज..
अंकित :- अरे.अरे...नही मोम..यार कॉलेज जाना ज़रूरी है..नही तो बेकार में क्लास मिस हो जाएगी..तो
बाद में दिक्कत हो जाती है..
अंकित मोम :- ओहो..वाह.....आज कल बड़ी पढ़ाई पे ध्यान दे रहा है...क्या चक्कर है..कोई लड़की
पसंद आ गयी है क्या कॉलेज मे..
अंकित :- ओहो यार आपको इसके अलावा कुछ और नही मिलता क्या......में जा रहा हूँ नहाने नाश्ता तैयार
कर दो..
अंकित मोम :- हुहह..नाश्ता तैयार कर दो..बेटा अब तूने जिस दिन बेकार में छुट्टी की ना कॉलेज की
फिर बताऊगी तुझे..जिस दिन छुट्टी करने को बोल दो..उस दिन तो ज़रूर जाना है..इन्हे..
(तेज आवाज़ में बोलती है)
अंकित :-(अंदर बाथरूम से) बस मम्मी बॅस...कितना बोलती हो सुबह सुबह....
बड़ी मुश्किल से बेचारा नाहया...हाथ बचाते हुए..फिर नाश्ता करा और कॉलेज के लिए निकल गया..
पूरे रास्ते भर में कितनी ही हॉट सेक्सी लड़कियाँ गुज़री लेकिन भाई साहब का ध्यान तो कल हुए
हादसे पर था...मन तो अर्नव की माँ की शक्ल पे जा के ठहर गया था..
अरे अरे..ऐसा नही है कि उससे प्यार करने लगा था...वो तो यही सोच में डूबा था कि आख़िर
5 साल का बेटा है कैसे इसका...उमर तो इतनी लगती नही...उफ़फ्फ़ आज कल का तो ज़माना ही खराब हो चुका है....
कहानी जारी है ............................
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