RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
इतनी ही देर में मेट्रो आ गयी......ज़्यादा भीड़ नही थी फिलहाल इसलिए आराम से वो घुस गया...
वो एक एक कर के कर डब्बे को क्रॉस करता हुआ आगे बढ़ रहा था....और जाके खड़ा हो गया
उस दबे में जो लॅडीस डब्बे के बाद वाला था....
मेट्रो का पहला डब्बा लॅडीस का कर के ग़लती करी है यार(वो अपने मन में बोला)
एक से एक चिकनी वहीं जाके खड़ी हो जाती है....और हम यहाँ निठल्लो की तरह खड़े रहते हैं...
(आज उसे इतना गुस्सा आ रहा था कि वो कुछ भी बोले जा रहा था जबकि उसे पता है लॅडीस के
लिए अलग कम्पार्टमेंट देना अच्छी बात है)
मेट्रो दौड़ती चली जा रही थी...और आख़िरकार अंकित का स्टेशन आ गया......
गेट खुला वो उतरा...उसने स्टेशन से चेक आउट किया......और आ गये एक मेन रोड पे..जिसे क्रॉस
कर के सामने जाना था...क्यूँ कि ठीक उसके सामने उसका कॉलेज था..
रोड क्रॉस कर के वो कॉलेज में एंटर हुआ.......
बस उसकी तो खुशी का कोई ठिकाना ही नही रहा......
वाहह भाई वाहह क्या मस्त कॉलेज चूज किया है मेने..एक से एक बॉम्ब है यहाँ तो......
अंकित धीरे धीरे बोलता हुआ आगे बढ़ रहा था और लड़कियों पे नज़र मार रहा था..
कुछ लड़कियाँ बाइक्स पे बैठी गप्पे लड़ा रही थी....तो अंकित की नज़र बार बार उनकी उठ रही टीशर्ट पे जाता
जिससे उनका नेवेल उसे दिख जाता...तो एक तरफ एक लड़की झुकी हुई थी..जिसकी वजह से उसकी गान्ड बाहर की तरफ
उभरी हुई थी..बस अंकित की नज़र तो उसकी गान्ड पे चिपक गयी.....
ऐसा करते करते वो सीढ़ियों पे पहुचा.....और जब उसने चढ़ते हुई नीचे देखा तो 2 लड़कियाँ
उपर आ रही थी...शक्ल से तो ठीक थी..लेकिन अंकित की नज़र तो उनकी शक्ल पे गयी कहाँ..
वो तो उनके मस्त चुचों के क्लीवेज़ देखने में मग्न था..जो उन लड़कियों के ढीले
टॉप की वजह से दिख रहे थी...उपर से वो चुचों की दरार को देख के बड़ा मस्त हो रहा था..
लेकिन कहीं कोई देख ना ले इसी डर से उसने नज़रे उपर कर ली और वो अपनी क्लास की तरफ बढ़ता चला
जा रहा था....आज कॉलेज का पहला दिन था इसलिए वो थोड़ा सा नर्वस था...उपर से लेट भी
हो चुका था....
वो अपनी क्लास ढूंड रहा था...तभी उसे सामने से एक लड़की दिखाई दी......अब अंकित का कमीनापन
तो अभी तक सबको पता ही चल गया होगा...जहाँ मोटा माल देखा नही वहीं नज़रे गढ़ा दी...
सामने से एक लड़की आ रही थी...हाइट तो उसकी छोटी ही थी..लेकिन जनाब उसने जो वो बूब्स थी..वो उनकी
उमर और हाइट के हिसाब से कुछ ज़्यादा बड़े ही थे...उपर से पहना हुआ टाइट टॉप..जिसकी वजह
से उसका टॉप उपर से उठ रहा था और उस लड़की की नाभि तक दिख रही थी.....
अंकित का लंड एक बार फिर सुबह से दूसरी बार अंगड़ायाँ लेने के मूड में आ रहा था....
अब अंकित क्या अगर कॉलेज का सफाई करने वाला बुड्ढ़ा भी होगा तो उसकी नज़रें अटक जाएगी तो अंकित तो
अभी जवान था..ये तो होना ही था.......वो लड़की सामने से आ रही थी..तो उसकी नज़रें अंकित पे
टकराई...और उसको नोटीस करते हुई ज़रा भी टाइम नही लगा कि अंकित क्या देख रहा है.....
फिर भी उस लड़की ने कुछ नही बोला वो अपनी आँखें मटकाती हुई..और साथ साथ में अपनी कमर को
जैसी कोई मॉडेल हिला हिला के चलती हू..अंकित के बगल से निकलने लगी......
अंकित :- एक्सक्यूस मी...(अंकित ने उसे पीछे रोका)
वो लड़की रुकी और मूड के अंकित की तरफ देखने लगी.....
अंकित :- क्या आप मुझे बता सकती है ये एमएम1 कान पड़ेगी.. (जनाब अंकित के होंठों ने ये सवाल
करा..तो उनकी आँखें भी उस लड़की के फेस पे होनी चाहिए थी..लेकिन हमारे अंकित भाई साहब की नज़र
तो फेस और गर्दन के नीचे ठीक उनके उस चुचों पे पड़ी थी..जिसे उस लड़की ने शायद जान
बुझ के दम लगा के उस टीशर्ट में क़ैद कर रही थी..).
उस लड़की ने अंकित की नज़रों को बड़ी आसानी से पकड़ लिया..उसने अपनी नाक चढ़ाते हुए..
आगे से लेफ्ट हो जाना...(उसकी आवाज़ में कड़क पन था)
वो मूडी और चली गयी...
अंकित धीरे से बड़बड़ाया....साली अकड़ तो ऐसे रही है जैसे मेने पूछ लिया कि चल आजा चल रही है
चुदने...कमीनी कहीं कि एक तो ऐसे तरबूज शरीर पे उगा लिए हैं उपर से ऐसे कपड़े पहन के
चल रही है..तो किसी की नज़र भी वहीं पड़ेगी ... पता नही घर वाले कैसे आने देते होंगे..
ज़रूर हॉस्टिल में रहती होगी..पर इसके इतने मोटे हो कैसे गये...साली एक नंबर की चुड़क्कड़ होगी
और ऐसी शरीफ बन रही थी अभी पूछो मत.. मुझे क्या..किसी से भी चुदे कुत्ति साली...
बोलते हुए चलने लगा और आख़िर कार अपनी क्लास के सामने आके खड़ा हो गया....क्लास रूम
का डोर बंद था....अंकित थोड़ा नर्वस था....वो सोच रहा था की कहीं टीचर उससे कुछ उल्टा
सीधा ना बोल दे...
हिम्मत करके उसने डोर को पुश करा तो वो खुला नही....
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