RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
अंकित कभी उस लेडी की गान्ड पे नज़र मारता कभी अपनी जीन्स पे बन रहे उभर पर...
उस लेडी की गान्ड की वो बीच वाली दरार अंकित को पगल कर रही थी...
अब उस लेडी की गान्ड और अंकित के उभार में ज़्यादा फासला नही था बस
थोड़ा और पीछे..थोडा औरर्र...हाआँ बॅस... (अंकित अपने मन में यही सोच रहा था)
भाई साब ज़रा साइड होंगे...तभी उसके कानो में एक आवाज़ पड़ी...उसने अपनी गर्दन पीछे मोड़
के देखा तो एक आदमी था गंदा सा...काला सा
अंकित :- क्यून्न?
क्यूँ क्या मुझे अगले स्टॉप पे उतरना है....वो आदमी अपनी कठोर आवाज़ में बोला...
अंकित झिझकता हुआ बड़ी मुश्किल से थोड़ा साइड में हुआ और उसके जाने का इंतजार करने लगा...
लेकिन तभी अंकित को एक झटका लगा...
साला कुत्ता..ये तो उस लेडी के पीछे ही जाके खड़ा हो गया....(अंकित गुस्सा होके मन में बोला)
वो आदमी ठीक उसी लेडी के पीछे जाके खड़ा हो गया......
अंकित ने नज़र जब उस लेडी की गान्ड पे मारी..तो देखा कि वो आदमी उस लेडी की गान्ड से बिल्कुल चिपका
हुआ है...अंकित को इतना गुस्सा आया कि साले को अभी जाके मार दे....अंकित के तो खड़े लंड पे इस
आदमी ने कुछ ही सेकेंड पे लात मार दी..
वो कुछ बोलने वाला था लेकिन ये सोच के नही बोला..कि कहीं खुद ही ना फँस जाए..
इतनी देर में स्टॉप आ गया.....अंकित को खुशी हुई कि चलो ये आदमी उतर जाएगा और में इस लेडी के पीछे
खड़ा हो जाउन्गा और इस बार मौका नही गवाउन्गा.......
लेकिन ये क्या..इस स्टॉप पे तो काफ़ी लोग उतर गये......और ये क्य्ाआआआआआ...
वो लेडी भी उतर गयी इस स्टॉप पे.....(अंकित मन में रोते हुए बोला)
बस का गेट बंद हो गया.....अब बस काफ़ी खाली हो गयी थी.....
अंकित इधर उधर नज़र घूमता है..तो बस में उसे क्या दिखता है..
सला आज का दिन कितना खराब है...बस में बचे भी तो है कौन ये बूढ़ी आंटियाँ इनका क्या करूँ
में...हे भगवान दिन की शुरुआत इतनी ख़तरनाक बनानी थी तुझे....
थोड़ी देर बाद स्टॉप आता है..और वो भी बस से उतर जाता है..
चलता हुआ अपने मन में...
साला हरामी कुत्ते का बच्चा...कमीना .. मुझे हटा के खुद मज़े लेने लगा...मिल जाए
ना तो साले का मार मार के भरता बना दूं...हरामी....
क्या दिन है यार आज का..साला इतनी मस्त गान्ड बस टच ही होने वाली थी कि साला टपक पड़ा ऐसा
मौका रोज़ रोज़ थोड़े ही मिलता है..
ये सब उसी की वजह से हुआ है..मनहूस साली....शक्ल देख के ही लग गया था कि आज का दिन मेरा
अब सतयानाश ही जाएगा....कमीनी कहीं की गान्ड तो ऐसे हिला हिला के उस टाइम चल रही थी मानो इससे
बढ़िया माल तो पूरी दिल्ली में नही है...लेकिन ये नही पता कि अपनी शक्ल लेके घूमेगी तो सच में
लोग यही कहेंगे कि ऐसा घटिया माल कहीं नही है..दिल्ली तो बहुत दूर की बात है..
अब पता नही आगे क्या क्या आज झेलने को मिलेगा....दिन की शुरुआत इतनी खराब हुई है...तो पता नही
अभी कितने जूते पड़ेंगे मुझ पर और मेरी..........
बस से सड़ा सा मूड लेके अंकित उतर तो गया लेकिन उसका मूड ज़्यादा देर तक सड़ा हुआ नही रहा..
अब क्या बताए जनाब जब सड़क पर चलोगी तो एक से एक आइटम देखने को मिलती ही है...
बस होना क्या था लगा ली अंकित ने नज़र इधर उधर..कभी किसी के चुचों पे नज़र तो कभी
सामने चल रही लड़की की गान्ड पे नज़र.....यही देखते देखते चलता रहा और कब मेट्रो स्टेशन आ
गया पता ही नही चला....
कार्ड से स्वप करके चेकिंग करवा के प्लॅटफॉर्म पे पहुच गये भाई साब 10 मिनट में...
आधा घंटा और लगेगा.....टाइम देखते हुई अंकित बोला...
(मेट्रो को आने में अभी 2 मिनट बाकी थी)
तभी अंकित ने नज़र अपनी लेफ्ट साइड घुमाई..प्लॅटफॉर्म के आगे की तरफ..जहाँ पे बहुत सारी लड़कियाँ
खड़ी थी बॅग लेकर शायद कॉलेज ही जा रही होंगी....
उनमे से एक गोर्री चिट्टि...हाइट भी काफ़ी अच्छी...फिगर भी एक दम सेक्सी 34-20-30 होगा...नोज पे एक
छोटी सी नोज रिंग पहनी हुई...उसके बाल लंबे लंबे थे.....
ज़रूर पंजाबन होगी..इतनी खुसूरत तो वही होती है...(अंकित मन में बोला)
काश ये मेरे ही कॉलेज में हूँ और मेरी ही क्लास में हो तो मज़ा ही आ जाएगा...(वो उसे
बराबर घुर्रे जा रहा था और अपने मन में बोले जा रहा था)
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