RE: Dost ke Papa Chudai निशा के पापा
निशा का दिल बहुत जोर से धडक रहा था | निशा का यह सोचकर ही बुरा हाल हो रहा था कि अगले पल क्या होने वाला है | यह सोचते हुए निशा का पूरा जिस्म तप कर गर्म हो चूका था और वो अपने पापा के कमरे तक पहुच गई और दरवाज़ा खोल कर अंदर चली गयी |
दलीप ने अपनी बेटी को देखा और जा कर दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया और वापिस अपनी बेटी के पास आकर उसके हाथ को पकड़ कर उसे अपने बेड की तरफ ले जाने लगा |
निशा का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था | उसकी चूत से इतना ज्यादा पानी निकल रहा था कि उसकी पूरी पैंटी गीली हो चुकी थी | दलीप ने अपनी बेटी को अपने बेड तक ले जाकर बैठा दिया और खुद भी उसके साथ बेड पर बैठ गया |
“बेटी तुम वापिस क्यों चली आई” दलीप ने बेड पर बैठते ही अपनी बेटी की तरफ देखते हुए कहा | निशा ने अपने पापा की बात सुनकर अपना कन्धा निचे कर दिया और कुछ नहीं बोली क्योंकि उसे बहुत ज्यादा शर्म आ रही थी |
“बताओ ना बेटी”, दलीप ने अपने हाथों से अपनी बेटी के सर को पकड कर ऊपर करते हुए कहा |
“ पिता जी हमें बहुत शर्म आ रही है” निशा ने अपने पिता को देखते हुए कहा |
“अच्छा छोडो बस यह बताओ कि क्या तुम भी मेरी तरह यह सब करना चाहती हो”, दलीप ने निशा के हाथ को पकड कर चूमते हुए कहा |
“पिता जी मुझे कुछ नहीं पता, मगर आपको देखकर मुझे भी कुछ होने लगा है” निशा ने अपना कन्धा फिर से निचे करते हुए कहा |
“ओह्ह्ह्ह बेटी इसका मतलब तुम्हारा दिल भी अपने पिता के साथ यह सब करने को करता है”, दलीप ने निशा की बात सुनकर खुश होते हुए कहा और अपनी बेटी का हाथ पकड कर अपनी पेंट के ऊपर सीधा अपने खड़े लंड पर रख दिया |
निशा का पूरा जिस्म अपना हाथ अपने पिता की पेंट पर पड़ते ही सिहर उठा क्योंकि दलीप का लंड पूरी तरह से तना हुआ था जो निशा को अपना हाथ वहां पर रखते ही महसूस हुआ |
“पापा एक बात कहूँ?” निशा ने दलीप की तरफ देखते हुए कहा |
“हाँ बेटी बताओ क्या बात है” दलीप ने खुश होते हुए कहा |
“पिता जी मुझे इतनी शर्म आ रही है कि मैं आपका साथ नहीं दे पाऊँगी, अगर आप अपनी आँखें बंद करके मेरे साथ यह सब करें तो मुझे शर्म नहीं आएगी और मैं आपका साथ भी दूँगी” निशा ने अपना कन्धा निचे करते हुए कहा |
“ठीक है बेटी मैं अपनी आखें बंद कर लेता हूँ , मगर फिर सब कुछ तुम्हें ही करना होगा”, दलीप ने अपनी बेटी की तरफ देखते हुए कहा |
“ठीक है पापा मगर ऐसे नहीं एक मिनट” निशा ने बेड से उठकर अलमारी से अपनी माँ का एक दुप्पटा उठा लिया और अपने पिता के पास आते हुए उसे उसकी आखों पे कस के बाँध दिया |
“अरे बेटी तुमने तो सच में अँधा बना दिया” दलीप ने अपनी आखों पर पट्टी बंधने के बाद कहा |
“पापा अभी तो आपकी बाहों को भी बांधना है”, निशा ने अपनी साड़ी को अपने जिस्म से अलग करते हुए कहा |
“बेटी यह ठीक नहीं है , फिर तो मैं तुम्हें छू भी नहीं सकता,” दलीप ने निशा की बात सुनकर परेशान होते हुए कहा |
“पापा आप चिंता मत करें, मैं आप को किसी शिकायत का मौका नहीं दूँगी”, निशा ने कहा और उसकी शर्ट को उसके जिस्म से अलग करते हुए उसको सीधा बेड पर लिटाते हुए उसके दोनों बाजुओं को ऊपर करके बाँध दिया |
निशा ने अपने पापा को बांधने के बाद बेड से उतरते हुए अपने पूरे कपड़ो को अपने जिस्म से अलग कर दिया और बिलकुल नंगी हो गई |
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