RE: Adult kahani छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
सोनिया सुबक्ते हुए मेरे पास आई, और मुझसे सॉरी कहने लगी…..”पर में उस पर और बरस पड़ी और बोली, तुझे तो बाद में देखूँगी…पहले कल उसकी खबर लेती हूँ”
में ये कह कर अपने रूम में आ गयी…….अगली सुबह डोर बेल बजी……मेरा गुस्सा पहले ही सातवें आसमान पर था….में गेट पर गयी, और गेट खोला. बाहर अमित खड़ा मेरी तरफ देख कर मुस्करा रहा था….जी तो चाह रहा था कि इस हरामजादे का यही मूह तोड़ दूं……पर में नही चाहती थी कि हंमरे घर की इज़्ज़त बाहर गली मुहल्ले में उछले…….
अमित सीधा अंदर चला गया,और अपने रूम में जाने लगा….मेने जल्दी से गेट लॉक किया, और उसकी तरफ पलटी….
में: (गुस्से से चिल्लाते हुए) वही रुक जा हरामजादे…….
मेरी आवाज़ सुन कर अमित मेरी तरफ पलटा, और हैरत से मेरी तरफ देखने लगा.
में: हां तुझे ही कह रही हूँ…..रंडी की औलाद…….
अमित: क्या हुआ आंटी आप मुझसे ऐसे क्यों बात कर रही है………
में गुस्से से उसकी तरफ बढ़ी, और उसको उसके बलों से पकड़ कर खेंचते हुए 4-5 झापड़ उसके मूह पर दे मारे……पर इस अचानक हमले से वो लड़खड़ा कर पीछे गिर गया…..पर गुस्सा अभी भी शांत नही हुआ था….में फिर उसकी तरफ लपकी…..पर उसने मुझे पीछे धक्का दे दिया…..
में: हरामज़ादे हमारी इज़्ज़त को उछालता है….में तुझे जिंदा नही छोड़ूँगी…….
में उसकी तरफ फिर लपकी, और उल्टे हाथ पैर चलाने लगी…….अमित भी बचने के लिए हाथ पैर चलाने लगा….सोनिया जो अब तक अंदर खड़ी तमाशा देख रही थी भागते हुए बाहर आ गयी.और मुझे पकड़ने लगी……..
सोनिया: माँ क्या कर रही हो….पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो जाएगा……
में: सोनिया में कहती हूँ छोड़ मुझे…….में आज इसे जिंदा नही छोड़ूँगी…….
अमित: अबे क्या नौटंकी लगा रखी है……..मेने तेरी लड़की के साथ कोई ज़बरदस्ती नही की, अगर मेरी ग़लती है तो तेरी भी लड़की की उतनी ही ग़लती है…….
में: तू अभी के अभी निकल यहाँ से…..में तेरी शकल भी नही देखना चाहती. आज के बाद इधर नज़र उठाई तो तेरी आँखें निकाल दूँगी……
अमित: जा रहा हूँ जा रहा हूँ….मुझे भी कोई शॉंक नही है यहाँ रहने का….वो तो सोनिया से प्यार करता हूँ इसीलिए चुप हूँ…….
में: चुप कर हरामी गंदी हरकते करके उसे प्यार का नाम देता है..दफ़ा हो जा यहाँ से……
अमित अपने रूम का डोर पटके हुए अंदर गया, और अपने कपड़े और समान बॅग में डालने लगा…..में बाहर बरामदे में चारपाई पर बैठ गयी…. अमित अपना समान बॅग में डाल कर चला गया……कुछ दिन घर का महॉल ऐसे ही रहा. अमित के जाने के बाद सोनिया उदास रहने लगी थी…..मुझे डर था कि बच्पने में वो कोई ग़लत कदम ना उठा दे…..
धीरे-2 घर का माहॉल ठीक होने लगा……फिर हमारे दो रूम रेंट पर चढ़ गये…..दोनो ही रूम एक फॅमिली ने रेंट पर लिए थे….उनके बच्चे अभी बहुत छोटे थे……इसीलिए एक दिन मेने अपने जेठ और जेठानी के घर जाने का प्लान बनाया. में सुबह किरायेदार की बीवी को ये बोल कर चली गयी कि, में किसी काम से जा रही हूँ…..वो सोनिया का ध्यान रखे………
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