RE: Adult kahani छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
उसके बाद हम दोनो अंदर आ गये. हमारे पीछे वो लड़का भी अंदर आ गया. मेने गेट बंद किया. और अंदर जाने लगी. मेने देखा मेरी दोनो बेटियाँ बड़े ही उत्साह के साथ घर आए हुए मेहमानो को देख रही थी. जब से उन दोनो ने होश संभाला था. तब से पहली बार हमारे घर पर कोई आया था. हमारी जिंदगी बहुत ही नीरस होकर रह गयी थी. जब रात होती तो, घर में अजीब सा सन्नाटा छा जाता. खाना खाने के बाद हम तीनो अपने-2 बिस्तरों पर लेट जाते. और सोने की कॉसिश करते. ना कभी हँसी मज़ाक होता. और ना ही कभी किसी तरह का एंजाय्मेंट.
मेरे पति के गुजरने के बाद ये घर सिर्फ़ एंथो का मकान रह गया था. पर आज मेने कई सालो बाद अपनी दोनो बेटियों के चेहरे पर हल्की से मुस्कान देखी थी. हम लोग अंदर आए, और में उन्हें अपने रूम में ले गयी. अब ग़रीबो के पास सोफा तो था नही. इसलिए मेने उन्हे बेड पर बैठाया. और अपनी बड़ी बेटी रामा को आवाज़ दी.
में: रामा बेटा ज़रा दो ग्लास पानी ले आना.
रामा: जी मम्मी.
थोड़ी देर में रामा पानी लेकर रूम में आई, और उसने नीता और उस लड़के अमित को पानी दिया. “रामा बेटा आंटी को नमस्ते कहो” रामा ने नीता को नमस्ते कहा.
नीता: (रामा को गले से लगाते हुए) ये रामा है, देखो तो सही कितनी बड़ी हो गयी है. पहचान में नही आ रही. बहुत खूबसूरत है तुम्हारी बेटी. और छोटी कहाँ है सोन्या.
मेने सोन्या को आवाज़ दी, और सोनिया भी रूम में आ गये.
सोनिया: नमस्ते आंटी जी.
नीता: (सोन्या को गले लगाते हुए) नमस्ते बेटा. रेखा तुम्हारी दोनो लड़कियाँ कितनी खूबसूरत है. बिल्कुल तुम पर गयी है.
सोनिया: में नही आंटी जी. रामा गयी है माँ पर.
और फिर नीता और सोनिया हसने लगी. आज पता नही कितने सालो बाद मेने अपने बेटियों के चेहरो पर ख़ुसी देखी थी.”एक मिनिट” कहते हुए नीता अपना बॅग खोलने लगी. और उसने उसमे से दो पॅकेट निकाले, और रामा और सोनिया को देते हुए कहा “ये तुम दोनो के लिए” दोनो ये गिफ्ट लेकर बहुत खुस थी.
में: अर्रे इसकी क्या ज़रूरत थी ?
नीता: अर्रे कितने सालो बाद देख रही हूँ. तो खाली हाथ आती क्या ?
में: रामा जाकर आंटी के लिए चाइ नाश्ते का इंतज़ाम करो.
रामा: जी मम्मी.
और फिर रामा और सोनिया दोनो किचन में चली गयी. मेने नीता की तरफ देखा, तो उसने मुझे इशारे से बाहर चलने को कहा. में और नीता दोनो बाहर आ गये. में जानती थी कि नीता से नीचे बात करना ठीक नही होगा. क्योंकि नीचे रामा और सोनिया दोनो किचन में थी. तभी अंदर से अमित ने आवाज़ लगाई “आंटी जी” मेने उसकी तरफ पलट कर देखा तो वो मुझे ही बुला रहा था. में थोड़ा सा अनकंफर्टबल महसूस कर रही थी.
में उसके पास गयी और बोली “क्या हुआ कुछ चाहिए क्या”
अमित: नही वो में कह रहा था. कि क्या में टीवी देख सकता हूँ.
में: (थोड़ी देर सोचने के बाद) हां लगा लो. (जब से मेरे पति की मौत हुई थी. तब से ना तो कभी मेने टीवी देखा था और ना ही मेरे बेटियों ने. इसीलिए में थोड़ा झीजक रही थी)
में नीता को लेकर ऊपेर आ गयी. और ऊपेर आते ही, उसने अपने पर्स से 1000-2 के 5 नोट निकाल कर मेरे सामने कर दिए. मुझे इन पैसो की सख़्त ज़रूरत थी. पर ना जाने क्यों में अपने हाथ आगे नही बढ़ा पा रही थी.
नीता: अर्रे देख क्या रही है (और ये कहते हुए उसने मेरा हाथ पकड़ कर मेरे हाथ में पैसे थमा दिए) क्या सोच रही है.
में: तू ये सब क्यों मतलब उस लड़के की उमेर तो देख ली होती. तेरे बेटे जैसा है वो. और आज कल के ये बच्चे भी.
नीता: क्या क्या कहा तूने बच्चा. अर्रे मेरी जान एक बार उसका हथियार देख लेगी ना तो खड़े -2 तेरी फुद्दि मूत देगी.
में: होश में रह कर बात कर नीता. बच्चे नीचे है.
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