Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास
07-19-2018, 01:18 PM,
#90
RE: Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास
जिस्म की प्यास--25

गतान्क से आगे……………………………………

वो दोनो लड़के उनके साथ ही चल रहे थे और ललिता को कुच्छ समझ नहीं आ रहा था कि अब आगे क्या होगा

और फिर उसे एक जानी पहचानी आवाज़ सुनाई दी...

"हां जी मेमसाहिब कहाँ जाना है आपको" ये तो वोई आदमी था जिसके रिक्शा में ललिता कयि बारी बैठके घर

जा चुकी थी... ललिता दोनो लड़को की झंड करते हुए उस रिक्शा में बैठ गयी.... रिक्शा हमेशा की

तरह बहुत तेज़ चल रहा था और ललिता अब तीसरी बारी इसी रिक्शा में बैठी हुई थी... पिच्छली दो बारी उस आदमी

ने उस सुनसान सड़क (जोकि एक शॉर्ट कट था) पे जाके उस रिक्शा से उतर करके झाड़ियों में जाके मूता था

और शायद इस बारी भी वो यही करेगा ऐसा ललिता सोचके बैठी थी.... और जब वो रिक्शा उस सुनसान सड़क की

तरफ पहुचा तो तब ललिता बोली "एक मिनट रुकना भैया..."

ललिता रिक्शा से अपना पर्स लेकर उतरी और बड़ी हिम्मत दिखाते हुए उन झाड़ियों की तरफ बढ़ी...

उसे नहीं पता था कि वो रिक्शा वाला भैया क्या रहा है और वो पिछे मुड़ना भी नहीं चाहती थी...

उस सड़क पर हमेशा की तरह अंधेरा छाया हुआ था और जब तक ललिता उन झाडियो तक बढ़ी वो अंधेरे में

गुम हो गयी मगर झाडियो की आवाज़ आती रही और फिर पूरी शांति हो गयी.... ललिता इतने अंधेरे में

सहम कर वही खड़ी रही और उस रिक्शा वाले का बेसब्री से इंतजार करने लगी... वो झाडिय सामने दिखने

में काफ़ी भयानक लगती थी मगर अभी ऐसा कुच्छ नहीं लग रहा था...उन झाडियो के उधर हद से ज़्यादा

पेशाब की बू आ रही थी जो अब ललिता की नाक में फेल गयी थी... कहीं वो भैया ये तो नहीं सोच रहा कि मैं

भी यहाँ मूतने ही आई हूँ?? ऐसा ख़याल ललिता के दिमाग़ मैं आया मगर कुच्छ देर बाद ललिता को चलने की

आवाज़ आई और फिर झाड़ियों को हटाकर उसके सामने वोई आदमी खड़ा हो गया.... अंधेरे में दोनो

एक दूसरे को देख नहीं पाए मगर उस रिक्शा वाले के हाथ सीधा ललिता के स्तनो को दबाने लगे.....

इस एहसास के लिए नज़ाने ललिता कितने दिनो से बेताब थी... उस रिक्शा वाले ने ललिता को मम्मो से ही खीचा

और उसके होंठो पे एक गीली चुम्मि करी....रिक्शा वाला अच्छी तरह जानता था कि यहा खड़ा रहना ख़तरे से

खाली नही है और यहाँ वो इस अमीर लड़की को चोद भी नही पाएगा तो उसने जल्दी से अपनी पॅंट को नीचे

उतारा और अपना लंड ललिता के हाथो में थमा दिया... ललिता समझ गयी थी कि ये रिक्शा वाले भैया क्या

चाह रहे है और उन झाडियो में बैठ गयी... उस लंड के उधर की बू इन झडियो की बू में कुच्छ फरक

नहीं था... ललिता ने उस लंड को पकड़ा जो कि ज़्यादा बड़ा नहीं था मगर सख़्त हो गया था और अपना

मुँह खोलके उसको चूसने लगी..... उस भैया ने अपना हाथ ललिता के सिर पे रखा और उसको अपनी रफ़्तार से

आगे पीछे करने लगा....

क्या सही है या ग़लत ये अब ललिता के दिमाग़ ने सोचना ज़रूरी नही समझा और वो उन झाडियो के अंधकार

में रॅंडियो की तरह एक रिक्शा वाले के गंदे लंड को चूसे जा रही थी.... उस भैया ने अपना

सीधा हाथ बढ़ाया और ललिता के मम्मो को उसकी टी-शर्ट के उपर से ही मसल्ने लग गया.... उसे कभी नही

लगा था की ये ज़िंदगी उसे ऐसे मौके भी देगी... ललिता ने भी आगे बढ़ के रिक्शा वाले के अंडे को आहिस्ते

आहिस्ते से दबाने लग गयी.... देखते ही देखते उस भैया ने अपना सारा वीर्य ललिता के गाल माथे होंठो पे छिड़क दिया.... ललिता की चूत चुद्ने के इंतजार में लगी हुई थी मगर उससे पहले वो कुच्छ कह पाती

वो आदमी अपना लंड हिलाता हुआ वहाँ से चला गया.... ललिता ने अपने पर्स में से हॅंकी निकाला और

अपने चेहरे को ढंग से सॉफ करके उस हॅंकी को वही फेंक दिया... ललिता नीचे ज़मीन को देखती हुई रिक्शा

में बैठ गयी... उसके बाद किसी ने भी अपना मुँह तक नही खोला और जब ललिता ने उस रिक्शा वाले को

पैसे दिए तो उसने मना कर दिया और पूछा "अब कब मिलोगि" .... ललिता पीछे मूड गयी और बोली "जल्द ही"

ललिता जानती थी कि अब वो दिल्ली में कुच्छ ही दिनो की मेहमान है और इसके बाद शायद ही वो मयंक,

उस चौकीदार, रिचा के नौकर और इस रिक्शा वाले से मिलेगी.... उसे खुशी इस बात की थी कि जाने से पहले

दिल्ली ने उसे एक छोटी बच्ची से एक जवान लड़की बना दिया था... घर पहूचके ही उसने सबसे पहले नहाना

ज़रूरी समझा तो वो अपने कपड़े ले के टाय्लेट में चली गयी... उसको अपने बदन में से उस रिक्शा वाले की बदबू सी आने लगी थी... उसने अपनी पैंटी को देखकर ही अंदाज़ा लगा लिया था कि उस रिक्शा के वाले लंड में

कितना दम था जो उसकी चूत को काफ़ी गीला कर चुका था.... आज उसने नहाने में हद्द से ज़्यादा देर करदी थी

क्यूंकी वो अपने बदन को वो ज़रूरते पूरी कर रही थी जो वो रिक्शा वाला नहीं कर सका...

अपने मम्मो को दबा कर अपनी चुचियो को मसल कर अपनी चूत में उंगली घुसाती हुई नज़ाने वो अपनी इस

रोमांचक दुनिया में कितना खो चुकी थी....
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