RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
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अब आगे
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मुममेथ : "ओह....गंगू....बड़ी जल्दी फोन कर दिया, यानी जितना मैं तड़प रही हू यहाँ, उतना ही तू भी तड़प रहा है मेरे लिए, इसलिए घर जाते ही मिला दिया नंबर...''
गंगू : "हाँ , बस कुछ ऐसा ही समझ लो...तुम कहा हो अभी...''
मुममेथ : "अभी तो उन दोनों की सेवा करके बाहर निकली हूँ ...सालों ने एकसाथ मिलकर बजा डाली आज तो...बस अभी इक़बाल का ड्राइवर घर छोड़कर आएगा मुझे...''
गंगू : "तुम मेरा एक काम कर सकती हो क्या...''
मुममेत : "काम तो मैं तेरा कोई भी कर दूँगी...बस मेरी प्यास बुझा जा एक बार फिर से...आज रात इक़बाल दुबई जा रहा है...अगले दो दिनों तक मैं अकेली ही रहूंगी..तू कल आ जा मेरे घर...पहले मेरी बारी , फिर तेरे काम की बारी...''
गंगू ने अगले दिन आने का वादा करके फोन रख दिया..
फिर वो वापिस अपने झोपडे की तरफ चल दिया...अंधेरा होने को था...उसने रास्ते से ही खाने का समान पैक करवा लिया..
घर पहुँचकर उसने बड़े ही प्यार से नेहा यानी शनाया को देखा...सच मे वो काफ़ी खूबसूरत थी...उसका मासूम सा चेहरा,गहरी झील सी आँखे , उसके चेहरे से निकलता तेज सब बयान कर रहे थे की वो एक अमीर घराने की लड़की है..
पर बेचारी की किस्मत तो देखो...उसको देह व्यापार वालो के चुंगल मे फँसा कर दुबई तक पहुँचा दिया गया..और फिर उसकी यादश्त भी चली गयी ...और अब वो अपनी पिछली जिंदगी भूलकर उसके साथ भिखारियो जैसी जिंदगी बिता रही है...और अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी पूंजी, यानी अपना कुँवारापन भी वो गंगू को दे चुकी है...
इसलिए गंगू ने सोच लिया की अब तो कुछ भी हो जाए, वो इसको किसी भी कीमत पर बचाकर ही रहेगा उस भेड़िए के हाथों से..उसके ही पैसे और हथियार का इस्तेमाल करके वो अकेला ही लड़ाई करेगा उन सभी से...और इसके लिए चाहे उसकी जान भी क्यो न चली जाए, वो अब पीछे नही हटेगा..
नेहा : "ऐसे क्या देख रहे हो मुझे...पहली बार देखा है का...''
गंगू : "नही कुछ भी नही....ये लो खाना, जल्दी से लगा दो, काफ़ी भूख लगी है..''
नेहा : "भूख तो मुझे भी लगी है...पर इस खाने की नही...इसकी..'' और इतना कहकर उसने गंगू की पेंट के उपर से ही उसका लंबा लंड पकड़ कर सहला दिया.
नेहा की असलियत जानने के बाद तो और भी ज़्यादा सेक्सी लग रही थी गंगू को वो...ऐसी सेक्सी लड़की की दोबारा चुदाई के ख़याल से ही उसका लंड फटने सा लगा...वो बोला : "तो पहले तुम्हारी इसी भूख का इलाज कर देता हू...''
और इतना कहते ही उसने आगे बढ़कर नेहा को पकड़ कर भींच लिया अपनी बाहों मे और उसके रसीले होंठों को पकड़कर ज़ोर से चूम लिया...उसके होंठों पर लगा सारा शहद निकलकर उसके मुँह मे जाने लगा...और वो कसमसाती हुई सी उसकी बाहों मे मचलने लगी..
''अहह ....... पुचssssssssssssssssssssssssssss ...... उम्म्म्ममममममममम ......''
नेहा की बल खाती जवानी को अपनी बाहों मे उठाकर उसने बिस्तर पर पटक दिया...और फिर हल्की रोशनी मे उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए...नेहा ने भी बिस्तर पर पड़े-2 अपने कपड़े उतारे और नंगी हो गयी...अपनी टांगे और बाहें फेला कर उसने गंगू को बड़े ही प्यार से अपने उपर बुलाया..और गंगू ने उसके प्यार भरे चेहरे को चूमते हुए अपना लंड उसके अंदर डाल दिया..
''अहह ...... ओह ...गंगू ................. .... कितना मज़ा आता है ...जब तुम्हारा ये मेरे अंदर जाता है..... अहह ....... और अंदर डालो ...... उम्म्म्मममममम ''
और फिर गंगू ने ऐसे झटके मार मारकर उसकी चुदाई की, जिन्हे सुनकर शायद अडोस पड़ोस के लोग भी जाग गये होंगे...
और फिर अगले दिन की प्लानिंग करता हुआ गंगू,नेहा के नंगे जिस्म को अपनी बाहों मे लेकर सो गया.
अगली सुबह गंगू की नींद जल्दी ही खुल गयी...उसके दिमाग़ मे कल के सारे सीन किसी मूवी की तरह से चल रहे थे...उसको तो अब भी विश्वास नही हो पा रहा था की उसकी बाहों मे लेटी हुई नंगी लड़की एक अमीर घराने की औलाद है..जो अब सब कुछ भूलकर उसकी पत्नी की तरह उसके साथ रह रही है...चुदाई का मज़ा ले रही है...
हल्का उजाला होने लगा था...उसको प्रेशर भी लगा था, वो धीरे से उठा और बाहर निकल गया..शोच से निपटने के बाद उसने सोचा की लगे हाथो नहा भी लिया जाए, क्योंकि आज के लिए उसने काफ़ी कुछ प्लान कर रखा था, जिसके लिए उसको हर हाल मे 8 बजे से पहले घर से निकलना ही था..आज उसने मुम्मैथ ख़ान से जो मिलना था..
वो नहाने के लिए नदी की तरफ चल दिया..अभी तक पूरी तरह से उजाला नही हुआ था..इसलिए 2-4 लोग ही गलियों मे नज़र आ रहे थे...जब वो नहाने की जगह पहुँचा तो उसकी नज़र सीधा वहाँ नहा रही लच्छो पर पड़ी...जो हमेशा की तरह उपर से नंगी होकर आराम से नहा रही थी..नीचे उसने एक छोटी सी कच्छी पहनी हुई थी..जिसमे उसकी छोटी-2 गोल मटोल सी गांड बंद थी..
गंगू को देखते ही उसकी आँखो मे भी चमक आ गयी...पर अगले ही पल उसने घूम कर दूसरी तरफ़ देखा, जहाँ उसकी माँ भी नहा रही थी..आज वो इतनी सुबह अपनीमाँ के साथ आई थी...जो अपने बदन पर मात्र एक पेटीकोट पहने हुए नहा रही थी..जिसे उसने अपने मोटे-2 मुम्मों के उपर चड़ा रखा था..उसकी माँ उमा को भी वो काफ़ी बार चोद चुका था...पर बाद मे जब गंगू को दूसरी जवान और छरहरी लड़कियाँ और औरतें मिलने लगी चुदाई के लिए तो उसने उमा की तरफ ध्यान देना बंद कर दिया..क्योंकि वो काफ़ी मोटी थी..उसका वजन लगभग 90 किलो के आस पास था उस वक़्त.....और उसके भारी भरकम शरीर के नीचे लेटना किसी यातना से कम नही लगता था गंगू को..
उमा ने भी जब गंगू को देखा तो वो नदी मे चलती हुई उसकी तरफ ही आकर नहाने लगी..लच्छो भी बड़ी उम्मीद भरी नज़रों से गंगू को देख रही थी...जैसे आज वो उसके लंड से चुदने को पूरी तरह से तैयार हो..एक ही जगह पर माँ-बेटी को अपने लिए आशिक़ होता देखने का गंगू के लिए ये पहला मौका था..
इंसान के दिमाग़ मे भले ही लाख परेशानियाँ हो, पर सेक्स वो सब भुला देता है...गंगू के दिमाग़ से इस वक़्त ये निकल ही चुका था की वो और नेहा कितनी बड़ी मुसीबत मे हैं...इस वक़्त तो उसको सिर्फ़ और सिर्फ़ लच्छो की नमकीन और कुँवारी चूत ही नज़र आ रही थी..
लच्छो अपनी छोटी-2 घुंडीयों पर साबुन लगाकर उन्हे सॉफ कर रही थी...जिसकी वजह से वो काफ़ी सख़्त हो चुकी थी...और गंगू को देखने के बाद तो उनमे रक्त संचार और भी तेज़ी से होने लगा था...और ज़ोर से रगड़ने की वजह से वो लाल हो चुकी थी..
गंगू उन्हे देखने मे बिज़ी था की उसके कानों मे उमा की आवाज़ पड़ी : "आज तो बड़े दिनों के बाद दिखा है रे गंगू...मेरी याद नही आती आजकल...''
वो भी बेशर्मो की तरह अपना आधे से ज़्यादा मुम्मा बाहर निकाल कर उसपर साबुन लगा रही थी...लच्छो अपनी माँ को ऐसी हाकत करती देखकर जल भुन रही थी...वैसे तो वो अपनी माँ को अच्छी तरह से जानती थी...उसका झुग्गी के काई मर्दों के साथ संबंध था...पर इस वक़्त वो गंगू पर लाइन मार रही थी, जो उसको बिल्कुल भी पसंद नही आ रहा था...वो तो अपनी माँ को किसी सोतन की तरह से देख रही थी..
गंगू : "तू ही नही दिखती आजकल उमा, तेरे पति का कुछ पता चला क्या ..?"
उसका पति 4 महीने पहले लापता हो गया था, शुरू मे उमा भी परेशान हुई थी, पर ये सोचकर की चलो अच्छा हुआ की अब कोई रोक टोक वाला नही है, वो भी अपनी जिंदगी मे मस्त हो गयी थी...वो शायद अब पैसों के लिए भी चुदवाने लगी थी बाहर जाकर..और ये उड़ती हुई खबर गंगू ने भी सुनी थी की वो अब एक धंधे वाली बन चुकी है..
उमा : "नही पता चला रे...बेवड़ा था, पता नही कहाँ मर खप गया...वैसे भी वो किसी काम का नही था मेरे लिए...तू तो जानता है गंगू, जवान हो रही बेटी की चिंता हर किसी को रहती है...बस उसी के लिए इधर उधर फिरती रहती हू अब...''
उसने बड़ी ही बेशर्मी का परिचय देते हुए अपनी दोनो ब्रेस्ट बाहर निकाल ली...वो जानती थी की उन्हे देखकर गंगू का लॅंड ज़रूर खड़ा हो जाएगा और उसको फिर से एक बार उसके तगड़े लॅंड को अंदर लेने का मज़ा मिलेगा..
पीछे खड़ी हुई लच्छो अपनी मा को उपर से नंगी देखकर हैरान रह गयी...उसने तो सोचा भी नही था की वो ऐसा कुछ करेगी...और वो भी ऐसे, सबके सामने...नदी मे 8-10 लोग और भी नहा रहे थे...उनकी नज़रें भी उमा की मोटी ब्रेस्ट पर जम कर रह गयी...वो भी अपने-2 लॅंड को अपने हाथों मे लेकर सहलाने लगे..और उसके मोटे-2 मुम्मों के दर्शन का मज़ा लेने लगे..
गंगू ने भी नोट किया की अब वो पहले जैसी मोटी नही रह गयी...उसकी ब्रेस्ट और भी आकर्षक हो चुकी है...और गांड भी पीछे से काफ़ी बाहर निकली हुई थी...शायद रंडी बनने के बाद उसने अपने जिस्म को सही तरह से ढाल लिया था..
गंगू : "हाँ , दिख रहा है, तेरे इधर उधर फिरने का असर तेरे उपर...''
वो उसके गुलाबी और मोटे निप्पल को घूरता हुआ बोला..
उमा ने इधर उधर देखा फिर धीरे से बोली : "चल ना गंगू...मेरी खोली मे चल...बस थोड़ी ही देर लगेगी...''
उसकी चूत शायद अंदर से खुजाने लगी थी...
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