RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
अब उसकी नंगी आँखो के सामने थी अपने उफन रहे योवन को संभाल रही नंगी नेहा...उसका नंगा जिस्म किसी नागिन की तरह मचल रहा था..उसकी जांघों के बीच इतनी चिकनाई आ चुकी थी की वो उन्हे आपस मे रगड़कर अजीब सी आवाज़ें निकल रही थी..गंगू ने एक बार फिर से उपर वाले का धन्यवाद दिया की उसकी जिंदगी मे इतनी खूबसूरत लड़की आई..
और फिर वो नीचे बैठ गया और नेहा की दोनो टाँगो को खोलकर अपने कंधे पर रख लिया..जैसे-2 उसका मुँह उसकी उफनती चूत के करीब पहुँच रहा था ,वहाँ से निकल रही मादकता से भरी खुश्बू उसे पागल कर रही थी..
उसकी आँखों के सामने दुनिया की सबसे टाइट चूत थी...बिल्कुल चिकनी चूत ,बिना बालों के..नीचे से उपर की तरफ छोटा सा चीरा...जैसे मिट्टी की गुल्लक मे होता है..उतना ही लंबा और उतना ही छोटा और टाइट...
नेहा भी अपनी साँस रोके अपनी चूत की पहली चुसाई का आनंद लेने के लिए तैयार थी..और जैसे ही गंगू की गर्म जीभ ने उसकी चूत को छुआ, वो उछल सी पड़ी..पर गंगू ने उसकी जांघों को बड़ी ज़ोर से पकड़ रखा था इसलिए वो अलग ना हो पाई..और बिना कोई और देर किए गंगू ने अपना बड़ा सा मुँह खोला और उसकी गुल्लक को मुँह मे भर लिया और अपनी जीभ को सिक्का बनाकर उसे अंदर डाल दिया...छेद छोटा और सिक्का बड़ा..यानी उसकी जीभ अंदर घुस नही रही थी..गंगू सोचने लगा की जब उसकी जीभ अंदर नही जा रही तो उसका लंड कैसे जाएगा..
खूब मेहनत करनी पड़ेगी उसको आज...और उसकी चीखों को भी दबाना पड़ेगा..वरना पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो जाएगा..
गंगू ने अपनी उंगली को उसके अंदर डाला..नेहा सिसक उठी..क्योंकि वो एक ही बार मे अंदर तक जाकर उसकी झिल्ली से जा टकराई..गंगू ने धीरे से अपनी दूसरी उंगली भी अंदर डाल दी..अब नेहा को दर्द होना महसूस हो गया...पर वो अपनी साँस रोके लेती रही..गंगू काफ़ी देर तक अपनी दोनो उंगलियों को अंदर बाहर करता रहा और साथ ही साथ उसकी चूत के तितली जैसे होंठों को अपने मुँह मे लेकर उसका रस चूसता रहा ...फिर उसने अपनी तीसरी उंगली भी अंदर डालनी चाही..इस बार तो नेहा चीख उठी ..
''अहह....... नहियीईईईईईईईईईईईईई ......मत करो....... मुझे दर्द हो रहा है...''
गंगू रुक गया...उसकी तीन उंगलियो की मोटाई तो उसके लंड से आधी ही थी...जब वो नही ले पा रही तो लंड कैसे लेगी..अभी काफ़ी चिकनाई की ज़रूरत थी उसको..और साथ ही नेहा को और ज़्यादा उत्तेजित करने की भी..
वो थोड़ा और नीचे झुका और अपनी जीभ से उसकी गांड के छेद को कुरेदा ...ऐसा करते ही नेहा के पूरे शरीर मे जैसे करंट सा लगा...पर साथ ही साथ उसकी उत्तेजना भी अपने पूरे शिखर पर पहुँच गयी...और उसने अपनी रेशमी टाँगो के फंदे मे गंगू की गर्दन दबोची और अपनी कसावट वाली गांड को उसके चेहरे पर रगड़ने लगी..गंगू को ऐसा लगा जैसे उसके चेहरे की मसाज की जा रही है...
अब गंगू ने अपनी तीन उंगलियाँ एक साथ अंदर डाल दी उसकी चूत के...और वो चली भी गयी...इस बार वो चिल्लाई भी नही...बल्कि ज़ोर-2 से बड़बड़ाने लगी
"आहह............... मैं मर गयी................ इतना मज़ा आ रहा है ...............अहह ...ओफफफफफ्फ़ खा जाओ ......सब कुछ .........चाटो मुझे...............खाओ ........इसको .............अहह ...''
अब वो पूरी बावली हो चुकी थी...गंगू ने महसूस किया की अब उसकी चूत पहले से ज़्यादा चिकनी हो गयी है...यानी अब वक़्त आ गया था सील तोड़ने का..
वो उठा और उसने नेहा की दोनो टाँगो को फेला कर अलग-2 दिशा मे कर दिया..और फिर उसकी गीली चूत के उपर लंड रखकर उसकी आँखों मे देखा..
नेहा बेचारी को पता नही था की उसके साथ क्या होने वाला है...वो तो बस अपनी मस्ती मे मचलती हुई अपनी चूत की खुजली को मिटा देना चाहती थी.
गंगू ने धीरे-2 अपना भार उसके उपर डाला..और सिर्फ़ एक इंच अंदर जाकर उसका लंड अटक गया...पर अब इस पार या उस पार...ये सोचते हुए उसने अपने घोड़े को जोरदार झटका दिया और वो हिनहिनाता हुआ नेहा की चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया.
''आआआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ........ नहियीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ........मैं मर गयी .........................अहह .......''
उसकी आँखो से आँसू निकल आए..खून निकल कर बाहर रिसने लगा..गंगू कुछ देर के लिए रुका और फिर एक और झटके से और अंदर और फिर आख़िरी झटके मे पूरा अंदर समा गया उसके..
नेहा के मुँह से अब कोई आवाज़ ही नही निकल रही थी...दर्द के मारे उसका बुरा हाल था..पर अंदर फँसे लंड को महसूस करते हुए एक अजीब सी तरंग भी उठ रही थी ...
गंगू काफ़ी तजुर्बे वाला था...उसने धीरे-2 अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया...और दस मिनट तक ऐसे ही करता रहा..
धीरे-2 नेहा की दर्द भारी चीखो की जगह मस्ती भरी सिसकारियों ने ले ली...
गंगू भी सोच रहा था की ये चुदाई भी कैसी चीज़ है, हर कोई डरता भी है, दर्द भी होता है...पर बाद मे मज़े भी पूरे मिलते हैं..
अब तो नेहा पागल कुतिया की तरह अपनी टांगे उसकी कमर मे लपेट कर उसके लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर ले रही थी...उसे पूरी तरह से महसूस कर रही थी..
उसकी मस्ती भरी चीखों से वो छोटी सी झोपड़ी गूँज रही थी..
''आअहह ह ओगगगग ओह ओह हाआँ ऐसे ही..... उम्म्म्ममम .....अब दर्द नही है......हन ......मज़ा मिल रहा है .......अहह एसस्सस्स ..एसस्स ........उम्म्म्मममममम अहह ''
और ऐसे ही सिसकते-2 नेहा की चूत से ढेर सारी क्रीम निकल गयी...जिसे गंगू ने भी महसूस किया.
गंगू भी इतनी टाइट चूत मे जाकर अपने लंड को ज़्यादा देर तक नही रोक पाया , वो उसके अंदर झड़कर कोई रिस्क नही लेना चाहता था..कुँवारी लड़की के साथ चुदाई करते हुए वो सेफ रहना चाहता था..
उसने लास्ट मूमेंट पर अपना लंड बाहर खींच लिया..नेहा तो जैसे इसी इंतजार मे थी..वो उठकर उपर आई और उसके लंड को निगल कर ज़ोर-2 से चूसने लगी..
और अगले ही पल उसके अंदर से अलग-2 साइज़ की पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी...जिसे नेहा ने अपने चेहरे और मुँह के अंदर निगल कर पूरी तृप्ति पा ली और उसकी सारी मायोनीज खा गयी
गंगू उसके बाद हांफता हुआ उसके उपर ही गिर पड़ा..
ऐसी चुदाई उसने अपनी जिंदगी मे आज तक नही की थी..
पर ये तो अभी शुरूवात थी..वो उसके साथ हर तरीके से मज़े लेना चाहता था जो उसने सोच रखे थे..
कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद वो बोला : "चलो....नदी पर नहाने चलते हैं...''
नेहा ने हाँ मे सिर हिला दिया और उठकर कपड़े पहनने लगी..
गंगू ने उसके हाथ से ब्रा खींच लि और बोला : "बिना ब्रा-पेंटी के ही चलो...''
नेहा के चेहरे पर भी शरारत भरी मुस्कान फैल गयी...वो शायद समझ चुकी थी की गंगू उसके साथ क्या-2 करने वाला है..
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