RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
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आरती साहिल के कंधे पर हाथ रख कर बाइक पर बैठी थी ..साहिल के दिल मे बेहद इतमीनान था ..आज उसका दिल बहुत खुस था.. वो धीरे धीरे बाइक चला रा था और आरती से बाते भी कर रहा था . अब उसे इस बात की भी ख़ुसी थी कि वो आरती के साथ ही देल्ही जाएगा .
घर पर साहिल और आरती के जाने के बाद नाना-नानी मार्केट चले गये थे और आरती की मम्मी पड़ोस के किसी घर गयी थी ..रोहन कुच्छ देर तक टी.वी देखता है फिर घर पर किसी को ना देखकर उपर छत पर चल देता है ..
छत पर रेणु अपने कमरे मे किताबो मे सर घुसाए कुच्छ पढ़ रही थी ..रोहन को दरवाज़े पर देखकर वो बुरा सा मूह बना लेती है पर बोलती कुच्छ नही है .
"मौसी अभी भी नाराज़ हो ...आइ एम सॉरी " रोहन मासूम बन ने की पूरी आक्टिंग कर रहा था ..
रेणु कुच्छ नही बोलती...
"मौसी आइ एम सॉरी , आप मुझे माफ़ कर दो प्ल्ज़्ज़...बस दो दिन ही और रहना है फिर तो मैं चला ही जाउन्गा. अब आपको मुझे और नही बर्दाश्त करना पड़ेगा ..जब से आया हूँ आपके लिए सर दर्द बन गया हूँ ..अब कभी नही आउन्गा .. "
रोहन अपनी दाल ना गलता देख एमोशनल ब्लॅकमेल पर आ जाता है .
रेणु अब भी कुच्छ नही बोलती .
"ठीक है मत माफ़ करो ..चला जाता हूँ मैं"
"आ जाओ अंदर " रेणु को उसपर दया आ जाती है..आख़िर सारी ग़लती उसकी ही तो नही थी ...मानो वो मन ही मन खुद को डाँट ती है .
रोहन जाकर रेणु के पास बिस्तर पर बैठ जाता है ...और झट से उसका हाथ अपने हाथो मे ले लेता है ..
"थॅंक यू मौसी ..थॅंक यू सो मच'...आप बहुत अच्छि हो "
"अब रहने दो मस्का लगाने को "
हाए मेरी जान तेरी तो मैं बिना मस्का लगाए ही लूँगा .रोहन मन ही मन सोचता हूँ .
"नही मौसी सच मे...आप नही जानती कि मेरे दिल से कितना बड़ा बोझ उतर गया...मुझे नही पता था कि आप इतना नाराज़ हो जाओगी इतनी सी बात पर .. "
क्या मतलब इतनी सी बात पर .........वो इतनी सी बात थी ????"
रेणु फिर सुलग जाती है .
"ओह सॉरी ...मौसी आप बहुत इनोसेंट हो .. आप नही जानती ना शहर मे लड़किया कैसी होती है ..वहाँ तो ये आम बात है ..इसलिए मुझसे ग़लती हो गई .." रोहन जानता था कि भले कुच्छ देर के लिए ही सही लेकिन रेणु ने उसका साथ तो दिया ही था ..इसलिए वो फिर से कोसिस कर रहा था ..
"मुझे सब पता है शहर मे भी अच्छि लड़किया होती है ...जो जैसा होता है उसको वैसे लोग ही दिखते है " रेणु उसे कोई भाव नही दे रही थी या फिर शायद वो डर रही थी ...रोहन के हाथ लगते ही उसपर सुरूर सा छाने लगता था ये बात वो भी जानती थी ..और इसी वजह से वो रोहन को बिल्कुल भी लिफ्ट नही दे रही थी ...पर आज शायद किस्मत भी रोहन के साथ थी ..
"मौसी आप सच मे बहुत अच्छि हो ... आप कितनी खूबसूरत हो फिर भी इतनी सिंपल रहती हो ..कोई आटिट्यूड नही है आपके अंदर ...आप की उम्र की लड़किया तो अब तक क्या क्या कर लेती हैं .....और आप कितनी सीधी साधी हो ...बहुत किस्मत वाले होंगे हमारे मौसा जी...मैं भी आपकी जैसी लड़की से ही शादी करूँगा ,,अगर आप मेरी मौसी ना होती तो मैं आपसे ही शादी करता..""
रोहन अपने सारे अस्त्र सस्त्र से रेणु को पटाने की कोसिस कर रहा था ....
"जी नही ..ऐसा कुच्छ नही है ,,बहुत सारी अच्छि लड़किया हैं सिर्फ़ मैं ही नही..और क्या मतलब मेरी उमर तक ...क्या क्या कर चुकी होती हैं लड़किया ....????.जैसे तुम्हे बड़ा पता है सबकुच्छ ""
रोहन की बातें रेणु को थोड़ी अच्छि तो लग ही रही थी ..आख़िर वो भी एक जवान खूबसूरत लड़की थी ..और फिर तारीफ किसे अच्छि न्ही लगती.
"सच मे मौसी ..हमारे यहाँ तो स्कूल की लड़किया भी वो सब ...आप समझ ही गई होगी ..और सब नही अच्छि होती ...मुझे तो बस आप ही अच्छि लगती हो ..सच बोल रहा हूँ ...मम्मी कसम " इस बीच रोहन वापस रेणू का हाथ पकड़ चुका था और रेणु ने कोई विरोध नही किया .
"क्यू.?????.मैं क्यू अच्छि लगती हूँ .?????.ऐसा क्या है मुझमे ...जाओ झूठे कही के " रेणु ने पहली बार शर्म से नज़रे झुकाते हुए कहा .
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